जिन लोगों को मुगल इतिहास के बारे में थोड़ी-सी भी जानकारी होगी, तो वे यह जानते होंगे कि मुगल सम्राट शाहजहां के बेटे औरंगज़ेब ने अपने बड़े भाई दारा शिकोह का सिर क़लम करवा कर हिंदुस्तान के सिंहासन पर कैसे अपना कब्ज़ा जमाया था. इतने बरसों बाद भी सत्ता की ताकत तक पहुंचने और उसे किसी भी तरीके से हथियाने की वो भूख आज भी शांत नहीं हुई है.बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके लालू प्रसाद यादव का खानदान इसकी सबसे ताजी मिसाल है, जहां उनके दो बेटों के बीच पार्टी की कमान संभालने को लेकर ही इतनी दुश्मनी बढ़ती जा रही है कि उनकी पार्टी आरजेडी अगर सत्ता पाने की दहलीज़ तक पहुंच गई,तो तब कैसा मंज़र देखने को मिलेगा.    


लालू करा पाएंगे सुलह?
शायद इसीलिए सियासी गलियारों में अब ये सवाल तेजी से उठ रहा है कि लालू यादव क्या अपने दोनों बेटों के बीच सुलह कराके उन्हें संभाल पाएंगे? लेकिन इससे भी बड़ा सवाल ये है कि दो भाइयों के बीच लड़ाई के बीज बोने वाला और बड़े भाई को छोटे के खिलाफ बग़ावत के लिए तैयार करने वाला क्या कोई बाहरी नेता है? ऐसा नेता,जिसे लालू के परिवार में फुट डलवाकर अपना सियासी भविष्य सुरक्षित नज़र आता हो?


"दोनों बेटों में से ही होगा उत्तराधिकारी"
जयप्रकाश नारायण की समग्र क्रांति के आंदोलन के जरिये बिहार की राजनीति में कूदने वाले और फिर देश की सियासत में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाले लालू प्रसाद इतने नासमझ नहीं हैं कि उन्हें ये अहसास ही न हो कि उनकी सियासी विरासत को संभालने के तमाम गुण किस बेटे में मौजूद हैं. बहुचर्चित चारा घोटाले में सजा होने से पहले ही उन्होंने अपने दोनों बेटों तेज प्रताप व तेजस्वी यादव को राजनीति में उतारकर ये संदेश दे दिया था कि अब उनका उत्तराधिकारी इनमें से ही एक होगा. लेकिन इस संदेश में भी उनकी ये चतुराई थी कि जो उनके पदचिन्हों पर चलते हुए जनता का भरोसा हासिल करने में कामयाब होगा, वही उनकी सियासी विरासत को संभालने का हकदार भी होगा.


तेजस्वी में है लालू का अंदाज
शायद इसीलिए 2015 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपने दोनों बेटों को मैदान में उतारा और संयोग से दोनों ही पहली बार विधायक चुने गए, बिहार में महागठबंधन की नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार बनी जिसमें तेजस्वी उपमुख्यमंत्री बने और तेज प्रताप कैबिनेट मंत्री. बताते हैं कि दोनों भाइयों की उम्र में महज़ डेढ साल का फर्क है और उसी लिहाज से तेजप्रताप, तेजस्वी से बड़े हैं. बिहार में लालू परिवार की राजनीति को समझने वाले कहते हैं कि तेज प्रताप का झुकाव राजनीति से ज्यादा धर्म की तरफ है और अक्सर वे खुद को कृष्ण का अवतार होने का दावा सार्वजनिक रूप से करते दिखे हैं. जबकि इसके उलट तेजस्वी को न सिर्फ राजनीतिक मुद्दों की समझ है, बल्कि उनके पास अपने पिता की वैसी भाषा-शैली भी है, जो लोगी को प्रभावित करती है. इसीलिए बिहार में लोग तेजस्वी को लालू की तरह ही जमीन से जुड़ा नेता मानने लगे हैं.


छोटी सी बात पर हुआ विवाद
हालांकि दोनों भाइयों के बीच उठे ताजा विवाद की जड़ बेहद छोटी-सी है लेकिन उसमें अहंकार की लड़ाई ज्यादा दिखाई दे रही है. आरजेडी की युवा इकाई के अध्यक्ष पद से जिस आकाश यादव को हटा दिया गया, उसे लेकर तेज प्रताप नाराज हो गए क्योंकि वे उनके खास सिपहसालार में शुमार हैं. उन्होंने इसका विरोध करते हुए अपने छोटे भाई से हुई अनबन को सड़क का तमाशा बनाकर रख दिया. लेकिन लालू परिवार को नजदीक से जानने वाले बताते हैं कि माजरा कुछ और ही है क्योंकि इतनी छोटी बात पर कोई ऐसे बगावत करने पर उतारु नहीं हो जाता. इसलिए वे इसका सारा ठीकरा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर ये तर्क देते हुए फोड़ते हैं कि आरजेडी में बगावत का फायदा सिवा उनके और किसे हो सकता है.


"नीतीश सरकार के तेजस्वी से खतरा"
हालांकि इन आरोपों या कयासों को लेकर पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन ये भी सच है कि अगर आज नीतीश  सरकार को अगर कहीं से ज्यादा खतरा है तो वह आरजेडी से ही है क्योंकि तेजस्वी एक विकल्प के तौर पर वहां उभर रहे हैं. वैसे याद दिला दें कि पिछले साल सरकार बनने के ठीक बाद लालू प्रसाद पर आरोप लगा था कि वह जेडीयू के विधायकों को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं ताकि बिहार में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में आरजेडी की सरकार बन जाए. हालांकि ऐसा हुआ नहीं,इसलिये राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अगर आरजेडी में फूट पड़ी और उसका विभाजन हो गया तो इसका सबसे ज्यादा फायदा नीतीश कुमार को ही होगा.वैसे राम विलास पासवान के बेटे चिराग पासवान एलजेपी के टूटने का जिम्मेदार नीतीश को ही मानते है.


"कौनसी सियासी घुट्टी पिलाएंगे लालू"
लिहाज़ा, लालू खानदान में हुई इस बगावत की शुरुआत को भी उनसे जोड़कर देखा जा रहा है. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि 73 बरस की उम्र में अपनी सेहत दुरुस्त रखने के इलाज में जुटे लालू प्रसाद यादव ये बगावत थामने के लिए अपने बड़े बेटे को ऐसी कौन-सी घुट्टी पिलाएंगे कि छोटे वाले को सत्ता के सिंहासन तक पहुंचा सके? 


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