एक्सप्लोरर

'कबीर' के मगहर से निकली उस आवाज़ को ममता बनर्जी ने आखिर कैसे पकड़ा?

हमारे देश की सियासत भी क्या रंग दिखाती है कि इस हिन्दू-मुस्लिम एकता को समझने के लिए आज भी हमें संत कबीर की बानी का सहारा लेना पड़ता हैं. वे कबीर, जो न हिन्दू थे, न मुसलमान लेकिन यूपी के गोरखपुर से महज़ चंद किलोमीटर की दूरी पर उस 'मगहर' में उनकी समाधि भी है और मजार भी. हिन्दू समाधि पर जाकर शीश नवाते हैं, तो मुस्लिम उस मज़ार के आगे अपने दोनों हाथ झुकाकर सेहत-बरकत की दुआ मांगते हैं. वहां पहुंचने वाले होते तो दोनों ही भिखारी हैं लेकिन सारा मसला अकड़ का है.और कहते हैं कि वहां जो जितना ज्यादा झुकता है,वो उतना ही ज्यादा वहां से लेकर आता है.

वहां जो गए और जो आज तक न भी जा पाए, कोई अफ़सोस नहीं लेकिन बड़ी बात ये है कि एक फकीर की बातों को अगर हम अपने जेहन में उतार लें, तो फिर इस देश में फसाद भड़काने वालों को वो आग ही कहां से मिल पाएगी! उसी कबीर ने आज से 600 बरस पहले लिखा था-

"अजहुं तेरा सब मिटै, जो जग मानै हार |
घर में झजरा होत है, सो घर डारो जार ||"

सरल भाषा में इसका अर्थ ये है कि "आज भी तेरा संकट मिट सकता है, यदि संसार से हार मानकर तू निरभिमानी हो जा. तुम्हारे अंधकाररूपी घर में काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि का झगड़ा हो रहा है, तो उसे ज्ञान की अग्नि से जला डालो."
अब उन्हीं कबीर के जरिये बात करते हैं देश के अलग-अलग हिस्सों में भड़क रही साम्प्रदायिक हिंसा की घटनाओं की. आखिर ऐसा क्यों हो रहा है कि इतने बरसों से किसी फ़राज़ अहमद या किसी मंसूर खान के घर से आने वाली ईद की सेविईयां खाने से मुझे सीधे तौर पर तो रोका नहीं जा रहा, बल्कि ये अहसास कराया जा रहा है कि अगर ऐसा किया, तो अगला नंबर आपका है. हालांकि पिछले 33 बरस की पत्रकारिता में ऐसी धमकी देने वाले सिरफिरे तत्वों से न डरा हूं और न ही आगे डरूंगा.

खैर, काम की बात ये है कि देश के मौजूदा हालात को देखते हुए जो शुरुआत देश की सबसे पुरानी और मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस को करनी चाहिए थी. लगता है कि उसे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हथिया लिया है. हालांकि ये कहना अभी जल्दबाज़ी होगी कि मोदी सरकार के खिलाफ इस मोर्चाबंदी करने में उन्हें कितनी कामयाबी मिलेगी लेकिन इतना ज़रूर है कि गैर बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को एक मंच पर लाने की उनकी इस पहल को विपक्षी राजनीति के एक मजबूत औजार के रुप में ही देखा जाएगा.

दरअसल, ममता बनर्जी ने एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को ये प्रस्ताव दिया है कि हर मोर्चे पर देश में जिस तरह के हालात पैदा किए जा रहे हैं. उसका मुकाबला करने के लिए सभी गैर बीजेपी शासित राज्यों के सीएम का एक सम्मेलन क्यों न मुंबई में रखा जाए जिसकी मेजबानी महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार में शामिल शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस करे. इसके लिए ममता बनर्जी ने उन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र भी लिखा है जहां बीजेपी सत्ता में नहीं है.

ममता ने ये भी सुझाया है कि यह सम्मेलन अगले हफ़्ते भर में ही आयोजित करने की कोशिश की जाए, तो और भी बेहतर रहेगा क्योंकि तब इसके जरिये हम देश को ये बता पाने में कामयाब होंगे कि महाराष्ट्र के जरिये समूचे देश में साम्प्रदायिक उन्माद को फैलाने के पीछे आखिर कौन-सी ताक़ते हैं और वे ऐसा क्यों कर रही हैं.

किसी भी लोकतंत्र में विपक्ष को अपनी राजनीति करने और सरकार की किसी भी गलत नीति के खिलाफ पुरजोर तरीके से आवाज़ उठाने का पूरा हक है. लेकिन यहां ममता के दिये इस प्रस्ताव के पीछे की राजनीति को थोड़ा व्यापक रुप से समझना होगा. आपने खबरों में देखा-पढ़ा होगा कि महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने अपने ही मौसेरे भाई उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार को ये धमकी दी है कि अगर 3 मई तक प्रदेश की मस्जिदों से लाउड स्पीकर नहीं हटाये गए, तो फिर राज्य में खराब होने वाले साम्प्रदायिक तनाव के लिए वे जिम्मेदार नहीं होंगे. उनकी भाषा पर अगर गौर करें, तो वे सरकार को ये अल्टीमेटम दे रहे हैं कि उस नीयत तारीख तक अगर उनकी बात नहीं मानी गई, तो महाराष्ट्र में साम्प्रदायिक दंगे होना अवश्यम्भावी हैं. हालांकि लोकतंत्र के पिछले 75 बरसों के इतिहास में शायद ये पहला ऐसा मौका है, जब एक प्रादेशिक नेता अपने बयान से न सिर्फ संविधान की धज्जियां उड़ा रहा है, बल्कि लोकतांत्रिक तरीके से चुनकर आई किसी प्रदेश की सरकार को सरेआम धमका भी रहा है.

शायद इसीलिये ममता चाहती हैं कि 3 मई से काफी पहले ही विपक्ष शासित राज्यों के सीएम वाले इस सम्मेलन के जरिये देश की जनता को हक़ीक़त से रुबरु कराने के साथ ही देश की सर्वोच्च न्यायपालिका को भी ये संदेश दिया जाए कि वह अपने स्तर पर स्वयं ऐसी अराजकता के खिलाफ संज्ञान ले. ममता जानती हैं कि महाराष्ट्र की सरकार राज ठाकरे की धमकी के आगे नहीं झुकेगी लेकिन वो उसके बाद होने वाले संभावित खतरे को भी भांप रही हैं कि 3 मई को देश की आर्थिक राजधानी मुम्बई से भड़कने वाली साम्प्रदायिक हिंसा की आग बंगाल,उत्तरप्रदेश समेत देश के अन्य कई राज्यों को भी अपनी चपेट में ले लेगी.

वैसे कानून के जानकार मानते हैं कि संविधान के प्रावधानों के तहत कोई भी सरकार सिर्फ किसी एक खास समुदाय के धार्मिक स्थलों से लाउड स्पीकर को हटाने का गैर कानूनी आदेश नहीं दे सकती है.दिल्ली हाइकोर्ट के एडवोकेट रवींद्र कुमार कहते हैं कि "अगर मस्जिद से लाउड स्पीकर हटाया जाता है, तो फिर मंदिर, गुरुद्वारे,चर्च समेत हर तरह के धार्मिक स्थलों से भी उन्हें हटाना होगा क्योंकि संविधान के मुताबिक  कोई भी सरकार किसी एक धर्म के साथ भेदभाव नहीं कर सकती. ये तो हो सकता है कि कोई राज्य सरकार सभी धार्मिक स्थलों पर लाउड स्पीकर के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाने के लिए एक नया कानून लेकर आये और उसे लागू कर दे.लेकिन किसी भी पुराने बने कानून को लागू करने में कोई सरकार सेलेक्टिव नहीं हो सकती.और,अगर कोई सरकार किसी भी खास समुदाय के खिलाफ ऐसी कार्रवाई करती है,तो उसे न्यायपालिका में चुनौती दी जा सकती है,जो सरकार के ऐसे किसी भी फैसले को पलटने में ज्यादा देर नहीं लगाएगी."

ममता का ये प्रस्ताव इसलिए भी अमली जामा पहनते हुए लग रहा है कि शिवसेना नेता संजय राउत ने ऐलान कर दिया है कि एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने ममता बनर्जी के इस प्रस्ताव पर चर्चा की है.मुंबई में इस तरह का एक सम्मेलन आयोजित करने के प्रयास शुरू हो गए हैं. इस बैठक में बेरोजगारी, महंगाई, केंद्रीय जांच एजेंसियों के 'दुरुपयोग', सांप्रदायिक कलह पैदा करने के प्रयास आदि समेत विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जाएगी.हालांकि लगे हाथ राउत ने ये आरोप भी  लगा दिया कि रामनवमी और हनुमान जयंती के अवसर पर निकाले गए जुलूसों पर हुए हमले वोटरों का ध्रुवीकरण करने के लिए राजनीतिक रूप से प्रायोजित थे.उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं उन राज्यों में हो रही हैं, जहां अगले कुछ महीनों में चुनाव होने वाले हैं. हम तो कर ही रहे हैं, आप भी दुआ कीजिये कि इस देश के किसी भी राज्य या शहर को दंगे की आग में झुलसाने वाली ताकतों की हर कोशिश बेकार साबित हो जाए..

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

मिल्कीपुर उप चुनाव के लिए बीजेपी ने निकाला तुरुप का इक्का, किया दावा- ‘100 में 95 वोट होंगे हमारे’
मिल्कीपुर उप चुनाव के लिए बीजेपी ने निकाला तुरुप का इक्का, किया दावा- ‘100 में 95 वोट होंगे हमारे’
Delhi Election 2025: AAP को झटका देने वाले 8 विधायक BJP में हुए शामिल, देखें पूरी लिस्ट
दिल्ली चुनाव से पहले AAP को झटका देने वाले 8 विधायक BJP में शामिल, देखें पूरी लिस्ट
Shah Rukh Khan की नकल कर रहे हैं कोरियाई? नए कोरियन ड्रामा का टीजर देख फैंस ने पूछे सवाल
शाहरुख खान की नकल कर रहे हैं कोरियाई? फैंस के हाथ लगे ये सबूत
सचिन को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड, अश्विन-सरफराज को भी BCCI ने दिया बड़ा खिताब
सचिन को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड, अश्विन-सरफराज को भी BCCI ने दिया बड़ा खिताब
ABP Premium

वीडियोज

Delhi Election 2025 : चिराग के ‘दीपक’...रोकेंगे AAP का रथ? कभी जीत न पाई BJP...अब कमाल करेगी LJP?Union Budget 2025: खुला पिटारा...कितना चमका मिडिल क्लास का सितारा? | ABP NewsBudget 2025: आम बजट पर Jyotiraditya Scindia का Super Exclusive Interview | ABP News | BreakingMahadangal with Chitra Tripathi: मिडिल क्लास की मुरादें पूरी हो गईं? | Union Budget 2025 | ABP News

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
मिल्कीपुर उप चुनाव के लिए बीजेपी ने निकाला तुरुप का इक्का, किया दावा- ‘100 में 95 वोट होंगे हमारे’
मिल्कीपुर उप चुनाव के लिए बीजेपी ने निकाला तुरुप का इक्का, किया दावा- ‘100 में 95 वोट होंगे हमारे’
Delhi Election 2025: AAP को झटका देने वाले 8 विधायक BJP में हुए शामिल, देखें पूरी लिस्ट
दिल्ली चुनाव से पहले AAP को झटका देने वाले 8 विधायक BJP में शामिल, देखें पूरी लिस्ट
Shah Rukh Khan की नकल कर रहे हैं कोरियाई? नए कोरियन ड्रामा का टीजर देख फैंस ने पूछे सवाल
शाहरुख खान की नकल कर रहे हैं कोरियाई? फैंस के हाथ लगे ये सबूत
सचिन को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड, अश्विन-सरफराज को भी BCCI ने दिया बड़ा खिताब
सचिन को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड, अश्विन-सरफराज को भी BCCI ने दिया बड़ा खिताब
Budget 2025: 'सब घिसा-पिटा है, सरकार की क्षमता से परे है बजट की नई घोषणाएं', बोले कांग्रेस सांसद पी चिदंबरम
'सब घिसा-पिटा है, सरकार की क्षमता से परे है बजट की नई घोषणाएं', बोले कांग्रेस सांसद पी चिदंबरम
दुनिया में इंसानों ने पहली बार पाला था कौन सा पक्षी, नाम सुनकर चौंक जाएंगे आप
दुनिया में इंसानों ने पहली बार पाला था कौन सा पक्षी, नाम सुनकर चौंक जाएंगे आप
ये आंटी नहीं बवंडर हैं! दारू पार्टी पर महिला ने किया स्टेज तोड़ डांस, वीडियो देख उछल पड़ेंगे आप
ये आंटी नहीं बवंडर हैं! दारू पार्टी पर महिला ने किया स्टेज तोड़ डांस, वीडियो देख उछल पड़ेंगे आप
‘चुन चुनकर बांग्लादेशी-रोहिंग्याओं को निकालेंगे दिल्ली के बाहर’, चुनावी रैली में अमित शाह ने कर दिया बड़ा दावा
‘चुन चुनकर बांग्लादेशी-रोहिंग्याओं को निकालेंगे दिल्ली के बाहर’, चुनावी रैली में अमित शाह ने कर दिया बड़ा दावा
Embed widget