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कश्मीर समस्या के समाधान की नई इबारत लिखेंगे मोदी!

2014 से भी ज्यादा बहुमत लाकर नरेंद्र मोदी ने 2019 में दमदार वापसी की है। साथ ही कश्मीर समस्या के समाधान के लिये जल्द फार्मूला ढूंढे जाने की उम्मीद बढ़ गई है।

मोदी की दूसरी पारी 30 मई से शुरू होने वाली है और जिस प्रचंड बहुमत के साथ मोदी की ये पारी शुरू हो रही है, उसके आक्रामक होने का इशारा मोदी ने अभी से दे दिया है। तमाम उलझे हुए मुद्दों पर मोदी सरकार इस बार बेहद आक्रामक रहने वाली है और समस्या सुलझाने की राह पर आगे बढ़ने वाली है। सबसे बड़ा इशारा मोदी ने पाकिस्तान की नीति को लेकर दिया है। जिसके साथ कश्मीर की समस्या भी जुड़ी हुई है। मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में बिम्सटेक के नेताओं को तो दावतनामा दिया गया है लेकिन पाकिस्तान को सिरे से खारिज कर दिया गया है।

मोदी के इस कदम से संकेत साफ है, आतंकवाद के खात्मे तक पाकिस्तान से कोई बात नहीं। इसको आगे बढ़ कर देखें तो राजनाथ सिंह ने चुनाव के दौरान मेरे साथ बातचीत में ये साफ किया था कि अगली सरकार में कश्मीर मुद्दे का हल ज़रूर निकलेगा। ये काफी अच्छे और सकारात्मक संकेत हैं, जिन्हें लेकर अब सवाल ये हैं कि क्या अबकी बार धोखेबाज पाकिस्तान को पूरा सबक सिखाएंगे मोदी ?

क्या पाकिस्तान समर्थित अलगाववादियों पर भी पूरी तरह नकेल कसेंगे मोदी ?

क्या जम्मू-कश्मीर की समस्या को इस बार हल कर देंगे मोदी ?

हिंदुस्तान के सीने पर दहशत के ज़ख्म देने वाले पाकिस्तान को इस बार मोदी ने महरूम कर दिया है, अपनी ताजपोशी के कार्यक्रम से। उन्होंने बिम्सटेक देशों को बुलाया है मगर पाकिस्तान के वजीर ए आजम इमरान खान को नहीं। भारत का इरादा साफ है कि वो नेबर फर्स्ट की पॉलिसी पर चलेगा मगर पाकिस्तान के लिए उसके रूख में कोई बदलाव नहीं।

शपथ ग्रहण समारोह में किरगिस्तान और मॉरीशस के प्रधानमंत्री को बुलाया गया है। किरगिस्तान के राष्ट्रपति अभी शंघाई सहयोग संगठन के अध्यक्ष हैं। 2014 में जहां सार्क देश बुलाए गए थे तो वहीं इस बार बिम्सटेक को आमंत्रित किया गया है। इस संगठन में सात देश हैं, जिनमें दक्षिण एशिया से बांग्लादेश, भारत, भूटान, नेपाल, श्रीलंका और दक्षिण पूर्व एशिया से म्यांमार और थाईलैंड शामिल हैं।

आतंक के मंसूबे पालने वाले इन आकाओं और कश्मीर की जमीन पर पैर जमा रहे, इनके लड़ाकों को लगातार सेना धूल चटाती रही। उन्हें मौत की नींद सुलाती रही लेकिन कश्मीर की मुश्किलों के मुद्दे सियासी वजहों से झूलते रहे हालांकि एबीपी गंगा से खास बातचीत में मोदी सरकार के गृह मंत्री राजनाथ सिंह साफ कह चुके हैं कि इन मसलों का हल निकाला जाएगा फिर चाहे वो अनुच्छेद 370 हो या 35A

कश्मीर मसले का समाधान नंबर गेम में फंसा है क्योंकि बीजेपी के पास राज्यसभा में पर्याप्त नंबर नहीं है। मौजूदा हालत में एनडीए 102 सीटें, यूपीए 65 सीटें, गैर एनडीए और गैर यूपीए दल 73 सीटें वहीं नामित सदस्य आठ है।

किसी विधेयक को पारित करने के लिए बहुमत 123 का होना चाहिए ऐसे में 2020 में खाली होने वाली 70 से ज्यादा सीटों पर भाजपा की नजर है, जिसे भर कर वो कश्मीर समेत तमाम मुद्दों के हल आसानी से निकाल सके।

ये कहा जा सकता है कि पाकिस्तान के साथ अब ढुलमुल रवैया बर्दाश्त नहीं किया जा सकता और मोदी सरकार इस पारी में आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति पर सख्ती से आगे बढ़ेगी। पाकिस्तान कश्मीर में भी अलगाववादियों को शह देकर जहर फैलाता रहता है। स्थानीय नेता भी कुछ नियम-कायदों का हवाला देकर भारत विरोधी हरकतों को बढ़ावा देते हैं, लेकिन इस बार मोदी सरकार किसी बड़े फॉर्मूले के साथ कश्मीर समस्या का हल लेकर सामने आ सकती है। कश्मीर में शांति ना सिर्फ वहां की जनता, बल्कि पूरे देश के अमन-चैन और तरक्की के लिए अहम है। मोदी सरकार के उस फार्मूले का पूरे देश को इंतजार है।

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ओपिनियन

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