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'प्यार पर पहरा' लगाने वालों को आखिर कौन सिखाएगा मोहब्बत का ये सबक?

साल 1991 में रोमांटिक थ्रिलर वाली एक फ़िल्म आई थी- 'सड़क'. संजय दत्त और पूजा भट्ट के अभिनय वाली इस फ़िल्म में एक गीत के मार्फ़त  समाज को एक बड़ा संदेश दिया गया था, जो आज भी उतना ही ताजा और जरूरी भी है. उस फिल्म का संदेश ये था  कि आखिर "प्यार पर पहरा क्यों होना चाहिए." चूंकि हमारा समाज भूलने का आदी है और पिछले कुछ सालों में अपनी इज्जत बचाने के लिए बेटियों को मारने का चलन कुछ ज्यादा बढ़ गया है, जिसे अंग्रेजी में 'ऑनर किलिंग' कहा जाता है. लिहाजा,ऐसी मानसिकता रखने वाले सारे लोगों को उस फिल्म के गाने के ये बोल याद दिलाना शायद जरूरी हो जाता है.

"जब जब प्यार पे पहरा हुआ है
प्यार और भी गहरा
गहरा हुआ है,
दो प्यार करने वालों को
जब जब दुनिया तड़पाएगी
मोहब्बत बढ़ती जाएगी
मोहब्बत और भी बढ़ती जाएगी...
कुछ भी करले दुनिया
ये न मिट पाएगी
मोहब्बत तो बढ़ती ही जाएगी.
जब जब प्यार पे पहरा हुआ है
जब जब उल्फ़त की राहों में
दुनिया दीवार उठाएगी,
जब जब दुनिया दिलवालों को
दीवारों में चुनवाएगी
मोहब्बत बढ़ती जाएगी
मोहब्बत और भी बढ़ती जाएगी...

पिछले दो दशक में हुई घटनाओं पर गौर करेंगे, तो आप जान जाएंगे कि अपनी इज्जत बचाने की ख़ातिर बेटियों को अपने ही हाथों मौत के घाट उतारने की सबसे ज्यादा वारदात उत्तर प्रदेश और हरियाणा में ही हुई हैं. उन बेटियों का कसूर सिर्फ इतना ही रहा होगा कि उन्होंने अपनी मर्जी से या तो अपने से नीची जाति यानी दलित से या फिर किसी दूसरे समुदाय के युवक से शादी करने की हिम्मत दिखाई. ऐसी सारी बेटियों की उस हिम्मत को परिवार वाले ही श्मशान घाट ले गए. अगर ऐसे एक-एक मामले की तफ़्तीश करेंगे, तो ऐसे बहुत सारे मां-बाप, भाई और करीबी रिश्तेदार या तो आज भी जेल की सलाखों के पीछे होंगे या फिर उस गुनाह के लिए अदालतों के चक्कर काट रहे होंगे.

कुछ साल पहले देश में एक स्लोगन बेहद तेजी से चर्चित हुआ था -'लव जिहाद'. उसके विरोध का मकसद हिंदू लड़कियों को मुस्लिम लड़कों के 'प्रेम जाल' में फंसने से बचाने के लिए जागरुक करना था. इसके लिए हिंदू संगठनों ने जिला स्तर पर व्यापक अभियान भी चलाया था कि कोई हिन्दू लड़की किसी मुस्लिम लड़के के मोहपाश में तो नहीं बंधी हुई है. हम नहीं जानते कि शिक्षित लड़कियों पर उसका कितना असर हुआ लेकिन उससे समूचे समाज में खौफ़ का माहौल तो बन ही गया.

लेकिन गुरुवार को हैदराबाद में हुई वारदात की जो खबर आई है, वो दहलाने वाली तो है ही लेकिन इसके साथ ही शायद देश की ये पहली अनूठी घटना भी है.अभी तक ये होता आया है कि कोई मुस्लिम युवक किसी हिन्दू लड़की के साथ शादी करता था और फिर कुछ अरसे बाद उससे नाता खत्म करते ही या तो वह खुदकुशी कर लेती थी या फिर परिवार वाले ही उसकी ऑनर किलिंग कर देते थे. पर, इस मामले में जिसे मारा गया है, वो युवक एक हिन्दू था और उसने एक मुस्लिम युवती से आर्य समाज मंदिर में जाकर प्रेम-विवाह किया था. बताया गया है कि दोनों स्कूल के सहपाठी थे और तभी से उनके बीच प्रेम हुआ, जिसे दोनों ने शादी के बंधन में अंजाम देकर ये सोचा था कि अब वे समाज में इज्ज़त की जिंदगी जी पाएंगे. लेकिन समाज तो आज से नहीं, सदियों से प्यार का दुश्मन रहा है, सो उसने वही किया जो उसका दस्तूर रहा है. लेकिन एक पढ़ी-लिखी लड़की का सुहाग छीनकर उन घरवालों को क्या खुशी हासिल हुई होगी, ये तो अब पुलिस की तफ़्तीश और कानून का रास्ता ही बतायेगा.

इस हत्या का सच तो फिलहाल कोई नहीं जानता लेकिन मृतक युवक नागराजू के परिजनों ने हत्या के पीछे नागराजू की पत्नी के परिवार को जिम्मेदार ठहराया है. बताया जा रहा है कि नागराजू ने 4 महीने पहले 31 जनवरी को सैयद अश्रीन सुल्ताना उर्फ पल्लवी से प्रेम विवाह किया था. दोनों के परिवार इनकी शादी से खुश नहीं थे, इसलिए ये दोनों अपने परिवार से अलग रहते थे. नागराजू के परिजन ने बताया कि दोनों कॉलेज के दिनों से एक-दूसरे से प्यार करते थे, दोनों ने पुराने शहर के आर्य समाज मंदिर में शादी की थी. मृतक के परिजन ने आरोप लगाया कि चूंकि नागराजू हिंदू था और लड़की मुस्लिम थी इसलिए लड़की के परिवार ने लड़के की हत्या कर दी. उनकी मांग है कि पूरे परिवार को गिरफ्तार करके सजा दी जाए.

जिस घर का बेटा असमय ही इस तरह से चला जाये, तो उनके गुस्से और उनकी इस मांग को कोई भी नाजायज़ नहीं कहेगा.लेकिन बड़ा सवाल ये है कि दुनिया की महाशक्ति बनने की दौड़ में लगे हमारे देश के समाज से इस दकियानूसी सोच का खात्मा कैसे होगा और इसके लिए हमारी सरकारें लोगों को जागरुक करने का क्या तरीका निकालेंगी? वैसे भी सियासतदानों को अपनी कुर्सी बचाने से ही फुर्सत नहीं मिलती है लेकिन पूरी दुनिया में दो दिलों का प्यार आज भी यही पैगाम देता है और देता रहेगा-"मोहब्बत जिंदाबाद"!      

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)

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