हैदराबाद टेस्ट मैच में जीत का अंतर राजकोट जैसा बड़ा नहीं. मैच भले ही एक बार फिर टीम इंडिया ने 3 दिन में ही जीत लिया लेकिन इस मैच में उसे जीत के लिए ज्यादा पसीना बहाना पड़ा. इस मैच में जीत के लिए उसके बल्लेबाजों को दोबारा मैदान में आना पड़ा. इस मैच की पहली पारी में विकेट लेने के लिए भारतीय टीम के गेंदबाजों को पसीना बहाना पड़ा. अब आप के मन में अगर ये प्रश्न है कि मुश्किल जीत को सकारात्मक क्यों बता रहे हैं तो सिक्के का दूसरा पहलू भी देखिए.


भारतीय टीम को इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मुश्किल सीरीज खेलनी है. उस मुश्किल सीरीज के पहले बेहतर है कि वो थोड़ा टक्कर वाले मैच खेले जिससे उसे अपनी तैयारियों को जांचने परखने का मौका मिले. वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले टेस्ट मैच में भारत को वो मौका बिल्कुल नहीं मिला था. भारतीय टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 9 विकेट पर 649 रन बना दिए थे. जिसके बाद वेस्टइंडीज की टीम पहली पारी में 181 और दूसरी पारी में 196 रन बनाकर सिमट गई थी. भारतीय टीम ने आसानी से एक पारी और 272 रनों से वो टेस्ट मैच जीत लिया.


इससे उलट हैदराबाद में वेस्टइंडीज की टीम ने कुछ सेशन में टीम इंडिया को कड़ी टक्कर दी. जिससे टीम इंडिया को ये बात समझ आई कि वो फिलहाल कितने पानी में हैं. यही आंकलन टीम इंडिया के लिए सकारात्मक है.


इस बार कुछ टक्कर तो मिली
हैदराबाज में वेस्टइंडीज ने टॉस जीता. पहले बल्लेबाजी का फैसला किया. 182 रन पर 6 विकेट गिरने के बाद टीम इंडिया इस भरोसे में थी कि सवा दो सौ तक में पूरी कैरिबियाई टीम सिमट जाएगी. लेकिन उसके गेंदबाजों को रॉस्टन चेस ने कड़ी टक्कर दी. होल्डर जो निचले क्रम में बल्लेबाजी करते हैं वो भी टिक कर जिम्मेदारी से खेले. नतीजा करीब तीस ओवर तक भारतीय गेंदबाजों को कोई भी कामयाबी नहीं मिली. इसके अलावा इन दोनों की बल्लेबाजी की बदौलत वेस्टइंडीज ने पहली पारी में 311 रनों का सम्मानजनक स्कोर खड़ा किया.


उलटा भारतीय बल्लेबाजी को कैरिबियाई गेंदबाजों ने थोड़ा परेशान जरुर किया. अव्वल तो उन्होंने 150 रनों के करीब टीम इंडिया के चार टॉप बल्लेबाजों को पवेलियन भेज दिया था. उसके बाद अजिंक्य रहाणे और ऋषभ पंत की बल्लेबाजी की बदौलत टीम इंडिया ने मोर्चा तो संभाल लिया लेकिन मैच के तीसरे दिन कैरिबियाई गेंदबाजों ने टीम इंडिया को बड़ी बढ़त लेने से भी रोक दिया. दूसरे दिन का खेल खत्म हुआ तब टीम इंडिया का स्कोर था 4 विकेट पर 308 रन.


तीसरे दिन पहले सेशन में वेस्टइंडीज के गेंदबाजों ने टीम इंडिया को अगले 60 रनों के भीतर समेट दिया. रहाणे और पंत के आउट होने के बाद आर अश्विन के 35 रनों की बदौलत टीम इंडिया 56 रनों की बढ़त बनाने में कामयाब रहा. ये 56 रन बाद में टीम इंडिया के काफी काम आए. इस बात को स्वीकार करना होगा कि चौथी पारी में डेढ़ सौ रनों का लक्ष्य भी टीम इंडिया को परेशान कर सकता था.


अपेक्षाकृत तेज पिच पर खेलने का फायदा
हैदराबाद की विकेट भी तेज गेंदबाजों के लिए ज्यादा बेहतर थी. ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर जाने से पहले अगर मामूली तेज पिच भी मिल जाए तो वो भविष्य की तैयारियों के लिहाज से अच्छी है. ये तेज पिच का ही कमाल था कि उमेश यादव ने टेस्ट मैच में 10 विकेट अपने नाम किए. उन्होंने पहली पारी में 6 और दूसरी पारी में 4 विकेट चटकाए.


वेस्टइंडीज की तरफ से भी 8 विकेट तेज गेंदबाजों ने झटके. जिसमें कप्तान जेसन होल्डर के पांच विकेट शामिल हैं. कुछ हद तक सकारात्मक बात ये भी रही कि दूसरी पारी में 72 रनों के लक्ष्य का पीछा करने के लिए उतरी टीम इंडिया की तरफ से केएल राहुल ने कुछ रन जोडे. केएल राहुल लगातार आउट ऑफ फॉर्म चल रहे हैं.


वेस्टइंडीज के औसत गेंदबाजी आक्रमण के खिलाफ पहली बार उन्होंने दहाई के आंकड़े को छुआ. ये छोटी सी पारी अगर वनडे सीरीज से पहले उन्हें कुछ आत्मविश्वास दे सकी तो वो टीम इंडिया के लिए अच्छा होगा.