कुत्ते के काटने से खासतौर पर रेबिज होता है, जो किसी पालतू कुत्ते से इंसान में या फिर किसी अन्य जानवर में फैल जाता है. अगर किसी को पागल कुत्ते ने काट लिया तो बिल्कुल डरें नहीं बल्कि उसका प्राथमिक उपचार करें. जहां कुत्ते ने काटा तो सबसे पहले वहां आसपास कोई दुकान है तो वहां से साबुन खरीदें और जहां पर कुत्ते ने काटा उसे कम से कम 8 से 10 बार धोएं.


क्योंकि रेबिज के वायरस का कोट लिपिड होता है और साबुन से हट जाता है और काफी हद तक इससे रेबिज वायरस हट सकता है. इसलिए जरूरी है कि उसे जरूर बार-बार उसे धोएं. 


कुत्ता काटे तो करें ये प्राथमिक इलाज


साबुन से कुत्ते के काटने की जगह को धोने के बाद जो नजदीकी अस्पताल हो वहां पर जाएं. जितने भी सरकारी अस्पताल हैं, उनमें अलग से रेबिज का वॉर्ड बना होता है, जहां पर रेबिज के मरीजों का वैक्सीनेशन किया जाता है. जो सिर्फ ऐसे ही मरीजों को देखते हैं, जिसे कुत्ते या फिर बंदर ने काटा हो. ये इलाज मरीज को कुत्ते के काटने से 24 घंटे के अंदर कर लेना चाहिए.


सवाल उठता है कि जो कुत्ता काटा वो पागल है या नहीं ये कैसे पता चलेगा? तो इसके लिए उस कुत्ते की हिस्ट्री का पता करना होगा. जहां पर वो कुत्ता रह रहा है, उसके आसपास के लोगों से पूछना होगा कि क्या उसने किसी और को भी काटा है.


इसके अलावा, वो कुत्ता जिसने आपको काटा और वो आठ या दस दिन के भीतर मर जाए, क्योंकि रेबिज की स्थिति में कुत्ता ज्यादा दिनों तक नहीं जिंदा रहता है. इसलिए, उस कुत्ते के व्यवहार में बदलाव हुआ हो तो उससे आपके सचेत हो जाना चाहिए.


प्राथमिक उपचार नहीं करने पर बड़ा खतरा


अगर आपने कुत्ते के काटने पर न ही किसी तरह का प्राथमिक उपचार किया और न ही अस्पताल में जाकर वैक्सीनेशन कराया, तो रेबिज की स्थिति में आपकी मौत निश्चित है. इसमें कोई नहीं बचा सकता है. रेबिज से बचाव को लेकर कोशिश चल रही है, रिसर्च चल रहा है. अगर कुत्ते ने आज काटा तो उसका 10 साल बाद भी असर हो सकता है. रेबिज का वायरस जहां से कुत्ते ने काटा, वहां से लेकर दिमाग तक जाता है. 


ये वायरस बहुत धीरे-धीरे चलता है. इसमें सालों लग जाते हैं. इसलिए ये जरूरी नहीं कि आज काटा तो उसके लक्षण आपको 10 दिनों के भीतर ही दिख जाएं. ये 10 से 15 साल बाद भी सामने आ सकता है.


बहुत से एनिमल लवर जो कुत्ते को खाना डालते हैं, या डॉग और कैट को हैंडल करते हैं, उनसे मेरी ये गुजारिश है कि अगर उन्होंने रेबिज के टीके नहीं लगवाएं है तो रेबिज के टीके साल में एक बार जरूर लगवाएं. यही एकमात्र बचाव है.


कई बार ऐसा होता है कि गली में नया कुत्ता आया और आपको काट लिया तो ऐसी स्थिति में आपको जरूर सचेत हो जाना चाहिए. क्योंकि उस कुत्ते की आपको हिस्ट्री नहीं पता कि वो कहां से आया और क्यों आया. फिर आपको अपना टीकाकरण जरूर कर लेना चाहिए. इसलिए जो पोस्ट बाइट एक्सपोजर होता है, वैक्सीनेशन का, वो जरूर लगवाना चाहिए. वो किसी निकटतम अस्पताल से संपर्क करें या प्राइवेट क्लिनिक जाएं.


रेबिज के लक्षण


वैक्सीनेशन का कोर्स होता है. चार वैक्सीन लगती है, अलग-अलग तारीखों पर. डॉक्टर उस हिसाब से प्रिस्क्राइब करते हैं. अगर किसी को रेबिज होता है तो कुत्ते हो या फिर इंसान तो गले की जो नसें होती हैं, उनमें पैरालिसिस हो जाती है. 


इसके चलते इसके मरीज न कुछ खा पाते हैं. जुबान लटक जाती है और आवाज बदल जाती है. इसलिए जब आप खाना नहीं निगल पाते तो खाने-पीने से आपको डर लगता है. लोग कहते हैं कि इसको हाइड्रोफोबिया हो गया है इसको. जो कुत्ते पालते हैं, वो कुत्ते को 90 दिन बाद जरूर वैक्सीनेशन कराएं, उसके एक महीने बाद उसका बूस्टर डोज होता है, वो भी जरूर लगवाएं.


(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)