पिछले 20 दिनों से राहुल गांधी देश और संसद का अपमान करने से जुड़े आरोपों को लेकर सुर्खियों में हैं. बीजेपी के तमाम बड़े नेता और केंद्र सरकार के भी कई आला मंत्री राहुल गांधी पर विदेशी सरज़मी से देश और संसद का अपमान करने का आरोप ललाग रहे हैं. इन लोगों ने संसद से लेकर सड़क तक अपने आरोपों को लेकर बयान दिया है और राहुल गांधी से माफी मांगने की मांग की है. कुछ बीजेपी नेताओं और मंत्री ने राहुल गांधी पर देशद्रोह का मुकदमा दायर करने तक की बात कही है. यहां गौर करने वाला पहलू है कि सिर्फ़ बात कही है, केस दर्ज नहीं कराया है.
इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल उठता है कि अगर राहुल गांधी ने सचमुच देश और संसद का अपमान किया है और अगर देश के रक्षा मंत्री और गृह मंत्री भी इस बात को कह रहे हैं, तो अब तक उन पर केंद्र सरकार ने कार्रवाई क्यों नहीं की. इससे जुड़ा एक और सवाल है, जिसपर भी हम बात करेंगे कि क्या जिस तरह के आरोप राहुल गांधी पर लग रहे हैं, उसी तरह का आरोप अगर आम नागरिक पर लग रहा होता, तो क्या वो शख्स अभी सलाखों के पीछे नहीं होता. इन मुद्दों पर विस्तार से बात करने से पहले हम उन बयानों को देखते हैं, जिसे संसद से लेकर सड़क तक केंद्र सरकार के मंत्रियों ने कहा है.
सबसे पहले बात रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान की करते हैं. 13 मार्च को लोक सभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कहते हैं " राहुल गांधी इसी सदन के सांसद है, राहुल गांधी ने लंदन में जाकर भारत को बदनाम करने की कोशिश की और कहा है कि भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था पूरी तरह से तहस-नहस हो रही है और विदेशी ताकतों को यहां पर आकर भारत के लोकतंत्र को बचाना चाहिए. उन्होंने (राहुल गांधी) ने भारत की गरिमा पर, भारत की प्रतिष्ठा पर चोट पहुंचाने की कोशिश की है." राजनाथ सिंह इतना कहने के बाद स्पीकर ओम बिरला से ये निर्देश देने की मांग करते हैं कि राहुल गांधी सदन में आकर माफी मांगें.
इसी दिन लोक सभा में रक्षा मंक्षी राजनाथ सिंह के बाद कुछ इसी तरह की बातें कहकर संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी भी राहुल गांधी से सदन में आकर माफी मांगने की बात कहते हैं.
इसी तरह से राज्य सभा में भी 13 मार्च को वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल कहते हैं कि " विपक्ष के एक वरिष्ठ नेता ने बहुत ही शर्मनाक तरीके से भारत के लोकतंत्र के ऊपर प्रहार किया है. विदेश में जाकर सेना और सदन का अपमान किया है, अध्यक्ष का, प्रेस का, ज्यूडिशियरी का अपमान किया है. विदेशी धरती पर जाकर पूरे भारतवासियों के दिल पर चोट पहुंचाई है. उन्हें पूरे देश और हर भारतवासी से माफी मांगनी चाहिए." केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बिना नाम लिए संसद के भीतर ये मान लिया कि राहुल गांधी ने देश और संसद का अपनान विदेशी ज़मीन से किया है.
देश के गृह मंत्री अमित शाह ने राहुल गांधी का नाम तो नहीं लिया, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस की दिग्गज नेता इंदिरा गांधी का जिक्र करते हुए 17 मार्च को ये जरूर इशारों-इशारों में कह दिया कि राहुल गांधी देश के अंदरूनी मामलों में विदेशी दखल का जो राग अलाप रहे हैं, वो सही नहीं है. अमित शाह ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में इंदिरा गांधी को उद्धृत करते हुए कहा कि "उस समय कुछ पत्रकारों ने (इंग्लैंड में) उनसे सवाल किया कि उनका देश कैसा चल रहा है, जिसपर उन्होंने कहा था कि हमारे बीच कुछ समस्याएं हैं, लेकिन मैं उनपर यहां कुछ नहीं कहना चाहती. मेरा देश ठीक चल रहा है. मैं कुछ भी अपने देश के बारे में नहीं कहूंगी. यहां मैं एक भारतीय हूं" अमित शाह के इन बातों से ये जरूर कहा जा सकता है कि वे भी राहुल गांधी के बयानों को एक तरह से देश का अपमान और भारतीय लोकतंत्र पर हमला ही मानते हैं.
इसी तरह से विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी 18 मार्च को इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में जो भी बातें कही, उसका सार यही है कि विदेशी धरती से अपने देश को नीचा दिखाने से बुरा कुछ नहीं हो सकता. कहने का मतलब है कि उन्हें भी ये लगता है कि राहुल गांधी ने देश का अपमान किया है.
अपने बड़बोले बयानों को लेकर हमेशा सुर्खियों और विवादों में रहने वाले केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह तो इससे भी एक कदम आगे बढ़ गए. 13 मार्च को ही गिरिराज सिंह ने संसद परिसर में ही कुछ बातें कही. गिरिराज सिंह कहते हैं " जब देश के बाहर प्रधानमंत्री को अपमानित करता है, तो वो देश को अपमानित करता है. राहुल गांधी इतना बड़ा झूठ, जो लोक सभा में घंटों तक वक्तव्य दें और लंदन में जाकर कहें कि लोगों को बोलने नहीं दिया जाता है. ये लोकसभा का अपमान है, संसद का अपमान है. इस पर तो लोक सभा अध्यक्ष को कार्रवाई करनी चाहिए. जिस ढंग से लोकतंत्र को अपमानित करते हैं, जिस ढंग से देश को गाली देते हैं, ये टुकड़े-टुकड़े गैंग की भाषा बोलते हैं, ऐसे तो इनके ऊपर देशद्रोह का मुकदमा चलना चाहिए."
ये गिरिराज सिंह का पूरा बयान था. यानी वे राहुल गांधी पर देशद्रोह का मुकदमा चलाने की बात कहते है, गौर कीजिए..सिर्फ बात कहते हैं, मुकदमा दर्ज नहीं कराते हैं.
ये कुछ देश के बड़े-बड़े नेताओं के बयान थे जिसमें राहुल गांधी पर देश को अपमानित करने की बात कही गई है. यहां पर उन बीजेपी नेताओं का जिक्र नहीं कर रहा हूं, जो राहुल गांधी पर देश को अपमानित करने और देशद्रोही होने तक का तमगा दे चुके हैं क्योंकि उनकी लिस्ट बहुत लंबी है. दरअसल मेरा सवाल केंद्र सरकार और सरकार में शामिल बड़े-बड़े मंत्रियों से है.
इनकी बातों से ये तो जाहिर है कि इनकी नज़र में राहुल गांधी ने देश और संसद का अपमान किया है और देश के अंदरूनी मामलों में विदेशी दखल की मंशा रखते हैं. अगर ऐसा है, तो ये इतना बड़ा तथ्य है कि इसके आधार पर अब तक राहुल गांधी को जेल में होना चाहिए था. लेकिन सरकार के बड़े-बड़े मंत्री क्यों चाहते हैं कि राहुल गांधी इतने बड़े आरोप में सिर्फ माफी मांगकर मुक्त हो जाएं.
जबकि देश का अपमान, लोकतंत्र पर प्रहार, विदेशी दखलंदाजी जैसे मामले इतने बड़े अपराध हैं कि उनमें तो सरकार के साथ-साथ पुलिस और बाकी जांच एजेंसियों को भी तुरंत हरकत में आ जानी चाहिए थी.
अगर इसी तरह के आरोप आम आदमी पर लगे होते तो क्या सरकार और सरकारी एजेंसियों की ओर से इसी तरह का रवैया रहता. क्या आम आदमी विदेशी ताकतों से भारत के अंदरूनी मामलों में दखल देने की मांग करता, तब भी केंद्र सरकार ऐसे ही उस आदमी से सिर्फ़ माफी मांगने की बात कहती या फिर सख्त कार्रवाई करती.
हर कोई इसका जवाब यही देगा कि सरकार तुरंत हरकत में आ जाती और सख्त से सख्त कार्रवाई करती. हमने अतीत में कई ऐसे मामले देखे हैं, जिनमें आम लोगों पर देशद्रोह के आरोप भी लगे हैं और उनकी तुरंत गिरफ्तारी भी हुई है. ये अलग बात है कि ज्यादातर मामलों में कई महीनों तक वैसे लोगों पर देशद्रोह का आरोप साबित नहीं हो पाया है, लेकिन वे कई महीनों तक जेल में रहने को मजबूर रहे हैं.
राहुल गांधी के मामले को देखे तो ये तो कह ही सकते हैं कि देश और संसद को अपमानित करने के आरोप से जुड़े मामलों में बड़े-बड़े नेताओं और आम नागरिकों के बीच भेदभाव किया जाता है. ये सिर्फ इसलिए कहा जा सकता है कि जब रक्षा मंत्री, गृह मंत्री से लेकर विदेश मंत्री तक का ये मानना है कि राहुल गांधी देश का अपमान कर रहे हैं, तो फिर उन पर कार्रवाई कौन करेगा या फिर क्यों नहीं हो रही है. सिर्फ माफी की बात ही हो रही है. भविष्य में कार्रवाई होती भी है तो क्या देश या संसद का अपमान करके कोई आम शख्स इतने दिनों तक बाहर रह सकता है.
हम सब जानते हैं कि संसद के भीतर जो कुछ भी कहा जाता है, वो तथ्यों से प्रमाणित होना चाहिए और जब केंद्रीय मंत्री संसद के भीतर ये बोल रहे हैं कि राहुल गांधी ने देश को अपमानित करने का अपराध किया है, तो उन मंत्रियों के पास इसके पुख्ता सबूत और कानूनी आधार होंगे. और अगर ऐसा है तो अब तक सरकार की ओर से राहुल गांधी के खिलाफ आईपीसी की धारा 124A के तहत केस दर्ज हो जाना चाहिए था. इसी धारा के तहत किसी व्यक्ति के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज होता है.
जब गिरिराज सिंह को लगता है कि राहुल गांधी के खिलाफ देशद्रोह को मुकदमा चलना चाहिए, तो फिर बतौर सरकार में होते हुए वे किसका इंतजार कर रहे हैं कि इस तरह का मुकदमा दर्ज हो. वे खुद ही क्यों नहीं इस तरह का मुकदमा राहुल गांधी के खिलाफ दर्ज करा देते हैं. क्या किसी ने उन्हें ऐसा करने से रोका है क्या..ये भी मौज़ू सवाल है.
राहुल गांधी के लंदन से लौटे हुए भी काफी दिन हो गए हैं. इतना ही नहीं वो संसद की कार्यवाही में हिस्सा भी ले रहे हैं, फिर भी अब तक उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज सरकार की ओर से नहीं कराया गया है, ये सोचनीय सवाल है.
मेरा मानना है कि जिस तरह से सरकार के बड़े-बड़े मंत्री राहुल गांधी को लेकर बयान दे रहे हैं, वो सिर्फ एक राजनीतिक माहौल बनाने के अलावा कुछ नहीं है. दरअसल इस तरह के आरोप-प्रत्यारोप के जरिए ही राजनीतिक विमर्श को सिर्फ़ सतही बनाकर रखने का काम किया जा रहा है.
मेरा ये बिल्कुल नहीं कहना है कि राहुल गांधी ने देश का अपमान किया है या नहीं. मान लिया जाए कि उन्होंने अपमान किया है, तो फिर उन पर कार्रवाई की जिम्मेदारी तो सरकार पर ही बनती है. अगर सरकार सिर्फ़ संसद के भीतर बयान देकर इस मामले में चुप्पी साध लेती है और माफी जैसे शब्द का इस्तेमाल कर रफ़ा'-दफ़ा' करने के रवैये पर ही रहती है, तब तो ये पूरा मामला सिर्फ राजनीतिक फायदा और माहौल बनाने से ही जुड़ा है.
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