हिंदुस्तान हमेशा से कहता रहा है कि आतंकवाद को पाकिस्तान से अलग करके नहीं देखा जा सकता और दुनिया के लिए खतरे का सबब बन चुका है पाकिस्तान दुनिया ने भी भारत की इस दलील पर भरोसा किया और भारत के इस दावे को और पुख्ता किया है, खुद पाकिस्तान के वजीर ए आजम इमरान खान के कबूलनामे ने, जिन्होंने अमेरिका में ये कबूल किया है कि पाकिस्तान की फौज और आईएसआई ने अलकायदा और दूसरे आतंकी तंजीमों को ट्रेनिंग मुहैया कराई थी...अमेरिकी थिंक टैंक काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस में इमरान ने ये इकरार किया है...पाकिस्तान का ये सच आतंक के जख्मों का एक ऐसा सबूत है...जिससे दुनिया आंख नहीं फेर सकती...भले ही इमरान अफगानिस्तान का हवाला देकर इसे कबूल रहे हो...लेकिन सच यही है कि पाकिस्तानी फौज और आईएसआई का ये खेल हिंदुस्तान के लिए भी चलता रहा है और हिंदुस्तान में होने वाले आतंकी हमलों में पाकिस्तान की फौज और आईएसआई का हाथ रहा है भारत शुरू से ही आतंकवाद को लेकर पाक फौज और आईएसआई के सबूत का दावा करता रहा है लेकिन पाकिस्तान अपना गुनाह मानने से इनकार करता रहा 26/11, पठानकोट और उरी अटैक जैसे हमलों पर भी सबूतों के बावजूद पाकिस्तान मुकरता रहा है लेकिन अब इमरान खुद कलई खोल रहे हैं वैसे इमरान पहले शख्स नहीं है पाकिस्तान के...जिसने ये कबूल किया हो...इससे पहले मुशर्रफ जैसे लोग भी ये कबूल कर चुके हैं।
पाकिस्तान के वजीर ए आजम की हालत को समझना बहुत मुश्किल नहीं है...न ही उनके इकरारनामे की इस वजह को...दरअसल कर्ज में डूबे पाकिस्तान की हालत कौड़ियों के भाव हो गई है...यही वजह है कि दुनिया में पाकिस्तान का रसूख और रूतबा ऐसा हो चला है कि उसके मुखिया को भी भाव मिलना बंद हो चुका है...पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान जब अमेरिका में पहुंचे...तो उन्हें रिसीव करने के लिए पाकिस्तान के अधिकारियों के अलावा कोई मौजूद नहीं था...यहां तक कि उनके लिए रेड कार्पेट की जगह एक मैट बिछा कर खानापूर्ति कर दी गई थी।
वैसे इमरान भले ही आज ये कबूल कर सत्यवादी बन रहे हों कि उनकी फौज और खुफिया एजेंसी आतंकियों को ट्रेनिंग देती रही...लेकिन पाकिस्तान की हकीकत का खुलासा करती कई रिपोर्ट पहले भी आती रही हैं और ये बताया जाता रहा है कि किस तरह आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान दोहरा चरित्र अपनाता रहा है।
अमेरिका के स्टेट पब्लिकेशन डिपार्टमेंट की ने 2017 में देशों और आतंकवाद को लेकर जारी अपनी रिपोर्ट में पाकिस्तान की करतूतों का जिक्र किया है...जिसमें अफगानिस्तान में संगठित हमलों में तालिबान, हक्कानी नेटवर्क और दूसरे आतंकियों का हाथ बताया था...और ये बताया था कि कैसे आतंक के स्वर्ग पाकिस्तान से होता रहा...इन हमलों को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान में योजना बनाई गई जबकि पाकिस्तान सरकार ने इस पर काबू पाने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किए। यहां तक कि पाकिस्तान सरकार ने लश्कर ए तैय्यबा, जैश ए मोहम्मद और दूसरे आतंकी संगठनों पर लगाम लगाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की...और इसी का नतीजा है कि पाकिस्तान के आतंकी संगठन भारत पर लगातार हमले करते रहे।
तो अब जब इमरान सीधे-सीधे पाकिस्तान की सेना और आईएसआई के चरित्र को लेकर सवाल उठा रहे हैं...तो कुछ सवाल हैं जो सीधे तौर पर उनकी तरफ भी खड़े होते हैं...क्योंकि पाकिस्तान का इतिहास रहा है कि जिसने सेना से अदावत ली...उसकी गद्दी चली गई है।
हिंदुस्तान के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड के एक जिम्मेदार चैनल की ओर से वही कहा जा सकता है...जो एक बड़ा भाई गलत राह पर बढ़ते अपने छोटे भाई को समझाता है...हिंदुस्तान का ही एक हिस्सा रहे।
पाकिस्तान के वजीर ए आजम इमरान खान का आतंकवाद पर ये कबूलनामा न चौंकाता है, न हैरान करता है, हां ये कबूलनामा प्रधानमंत्री मोदी के दमखम का एक और सबूत जरूर देता है। जिस धरती पर इमरान ने अपनी सच्चाई को कबूला है, उसी धरती उसी अमेरिका से अब तक पाकिस्तान अरबों डॉलर की भीख लेकर आतंकवाद के जहर को फैलाता रहा है। अमेरिका को अब इस सच पर सीधी कार्रवाई करने की जरूरत है और इमरान के लिए बेहतर यही है कि सत्ता का लालच छोड़ कर पूरी ताकत के साथ अपनी और अपने मुल्क की तस्वीर बदलने की कोशिश करें। सिर्फ इमरान नहीं पूरे पाकिस्तान की मौजूदा तस्वीर तो काली है, इमरान अगर कोशिश करेंगे तो अपना और अपने मुल्क का आने वाला कल सुधार सकते हैं, वरना आतंकवाद वो भस्मासुर है जो इमरान को बहुत जल्द लील लेगा लेकिन पाकिस्तान को भी नहीं छोड़ेगा ।