दिल्ली में राहुल गांधी की रैली ने कर दी तस्वीर साफ, कांग्रेस है दमदार लड़ाई को तैयार
दिल्ली विधानसभा चुनाव में अब जबकि बीसेक दिन के बराबर ही शेष हैं, 13 जनवरी को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सीलमपुर में पहली चुनावी रैली की. यहां पर ये जिक्र करना जरूरी हो जाता है कि इस चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोस्ताना लहजे में भी नहीं, बल्कि चिर-परिचत शत्रुवत लड़ रही है. राहुल की रैली ने कल इस तस्वीर को और भी साफ कर दिया, जब उन्होंने केजरीवाल पर भी जमकर अपने तरकश से तीर चलाए.
कांग्रेस के नेता ने भाजपा और आम आदमी पार्टी पर एक जैसे ही चुनावी प्रहार किए. दिल्ली चुनाव 2025 में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच के टकराव ने राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया है. राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल के बीच की बयानबाजी ने इस चुनाव को और भी दिलचस्प बना दिया है.
राहुल का केजरीवाल पर बेबाक बयान
राहुल गांधी ने हाल ही में सीलमपुर में एक रैली को संबोधित करते हुए अरविंद केजरीवाल पर तीखा प्रहार किया. उन्होंने केजरीवाल पर भ्रष्टाचार, प्रदूषण और महंगाई के मुद्दों पर निशाना साधा. राहुल गांधी ने कहा कि केजरीवाल ने दिल्ली को साफ करने, भ्रष्टाचार मिटाने और दिल्ली को पेरिस बनाने का वादा किया था, लेकिन इन वादों का क्या हुआ? उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि केजरीवाल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों ही जातिगत जनगणना के मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं, क्योंकि वे पिछड़े वर्ग, दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यकों को उनका उचित हिस्सा नहीं देना चाहते.
ये लोकसभा चुनाव के समय से ही साफ है कि राहुल गांधी संविधान और जातिगत जनगणना के मुद्दे पर ही कांग्रेस की चुनावी चाल लगातार चल रहे हैं और दिल्ली चुनाव में भी उन्होंने इन दोनों पत्तों के जरिए ही भाजपा और आम आदमी पार्टी, दोनों को ही घेरने की कोशिश कर रहे हैं. इस चुनावी टकराव ने दिल्ली के मतदाताओं के बीच एक नई बहस छेड़ दी है.
कांग्रेस और AAP दोनों ही पार्टियां अपने-अपने मुद्दों को जोर-शोर से उठा रही हैं और मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रही हैं. राहुल ने अपने भाषण से एक बात तय कर दी है कि यह चुनावी मुकाबला बेहद रोमांचक और दिलचस्प होने वाला है. साथ ही, उन्होंने उन अटकलों पर भी विराम लगा दिया, जिसके मुताबिक कांग्रेस दिल्ली में आम आदमी पार्टी को वॉकओवर देने जा रही थी या बिना मुकाबले के ही हथियार डाल रही है.
राहुल गांधी ने दिल्ली के सीलमपुर में रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर तीखा प्रहार किया. उन्होंने अपने 21 मिनट के भाषण में महंगाई, जातीय जनगणना और दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों के हक की लड़ाई पर जोर दिया. राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस की सरकार बनने पर जातीय जनगणना कराई जाएगी और दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों की सत्ता में भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी. इस भाषण के बाद, यह स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस आगामी चुनावों में पूरी ताकत से लड़ेगी और अपने मुद्दों को जोर-शोर से उठाएगी. राहुल गांधी ने अपने भाषण में भाजपा और आम आदमी पार्टी दोनों पर ही जमकर प्रहार किया और कहा कि कांग्रेस मोहब्बत की दुकान हर जगह खोल रही है.
पूरी मजबूती से लड़ेगी कांग्रेस
कांग्रेस की इस रणनीति से यह साफ है कि वे आगामी चुनावों में एक मजबूत और प्रभावी लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं. वैसे भी, कांग्रेस के पास इस लड़ाई में खोने के लिए कुछ भी नहीं है और पाने के लिए पूरा जहान है. केजरीवाल के खिलाफ संदीप दीक्षित को उतार कर कांग्रेस ने संकेत दे दिया है कि वह आसानी से हथियार नहीं डालेगी. भले ही केजरीवाल ने राहुल गांधी के इन आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि राहुल गांधी कांग्रेस को बचाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि उनकी लड़ाई देश को बचाने की है, लेकिन सच यह भी जानते हैं कि अगर वह अपने ही निर्वाचन क्षेत्र में घिरे रह गए तो पूरी दिल्ली में पार्टी का प्रचार प्रभावित होगा.
कांग्रेस और भाजपा की यह रणनीति भी दिख रही है, क्योंकि दोनों ही दलों ने उनके खिलाफ मजबूत उम्मीदवार उतारे हैं, जो केजरीवाल की राह को मुश्किल कर ही रहे हैं. हालांकि, केजरीवाल अब भी कांग्रेस पर कड़े प्रहार नहीं कर रहे हैं, क्योंकि उन्होंने यह भी कहा कि वह राहुल गांधी के बयानों पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे.
कांग्रेस की चुनौती बेशुमार
कांग्रेस के पास हालांकि इस चुनाव में चुनौतियां भी बहुत हैं. वह 2015 और 2020 के चुनाव में एक भी सीट हासिल नहीं कर पायी थी, जबकि 2013 में नवगठित आम आदमी पार्टी की सरकार बनने से पहले कांग्रेस ने लगातार 15 वर्षों तक दिल्ली पर शासन किया था. कांग्रेस जब दिल्ली में सबसे बड़ी पार्टी थी, सत्ता के शीर्ष पर थी तो उसके पास 40 फ़ीसदी का वोट शेयर था, लेकिन पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस केवल 4.26 प्रतिशत वोट पा सकी थी. उससे पहले के चुनाव में कांग्रेस को केवल 9.7 फीसदी वोट मिले थे. यानी, कांग्रेस अपने न्यूनतम स्तर पर है.
अब इससे नीचे वह भला क्या ही जा सकती है तो उसके पास जीतने के लिए पूरा जहान है. कांग्रेस को अपनी विरासत और मुस्लिम मतदाताओं से उम्मीद है, जैसा कि वरिष्ठ पत्रकार और आम आदमी पार्टी को बेहद नजदीक से जानने वाले पत्रकार शशि शेखर कहते भी हैं, "मुफ्त बिजली और मुफ्त पानी का केजरीवाल का वादा तो अब स्थापित है, हरेक दल को इससे निबटना होगा और कांग्रेस ने इसी के जवाब में प्यारी दीदी योजना की घोषणा भी की है. कांग्रेस की तरफ अगर मुस्लिम मतदाता वापस हुए, जो वह उम्मीद भी लगाए हुए है तो कांग्रेस कुछ सीटें जीत सकती हैं.
इसके अलावा शीला दीक्षित के समय किए गए कामों या झुग्गियों को बसाने की जो कांग्रेसी योजना थी, उसको याद दिलाकर और मजबूत उम्मीदवार देकर भी कांग्रेस वापसी की उम्मीद लगा रही है. वापसी तो खैर बड़ी बात होगी, लेकिन अगर कांग्रेस के दांव सही पड़ गए और उसने पूरी मजबूती से चुनाव लड़ा तो फिर वह कुछ सीटें जीत ले तो मुझे अचरज नहीं होगा."
बहरहाल, चुनाव के नतीजे तो 8 फरवरी को ही पता चलेंगे लेकिन राहुल के सीलमपुर के आक्रामक भाषण ने उन अटकलों को तो खत्म कर ही दिया है कि दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच अंदरखाने समझौता हो गया है, या फिर वह दोस्ताना मुकाबला कर रहे हैं.
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