घायल की गति घायल जाने और ना जाने कोय. ये कहावत आपने अपनी जिंदगी में सैकड़ों बार सुनी होगी. फिलहाल यही कहावत भारत और इंग्लैंड के बीच होने वाली टेस्ट सीरीज में दोनों टीमों के कप्तानों पर लागू होती है. दोनों टीमों के कप्तानों की परेशानी बिल्कुल ‘सेम टू सेम’ है. ये परेशानी है तेज गेंदबाजों की फिटनेस. भारतीय टीम के लिए भुवनेश्वर कुमार और जसप्रीत बुमराह शुरूआती टेस्ट मैच के लिए उपलब्ध नहीं हैं. जबकि इंग्लैंड की दिक्कत ये है कि उनके दो मुख्य तेज गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड और जेम्स एंडरसन फिट तो हैं लेकिन इतने नहीं कि पांच मैच लगातार खेल सकें.


स्टुअर्ट ब्रॉड और जेम्स एंडरसन दोनों ही गेंदबाज चोट के बाद वापसी कर रहे हैं. ऐसे में लगातार मैदान में बने रहने में उनके दोबारा अनफिट होने का खतरा है. खबरें इस तरह की आ रही हैं कि इंग्लैंड टीम मैनेजमेंट ने तय किया है कि इन दोनों गेंदबाजों को ‘रोटेशन पॉलिसी’ के तहत खिलाया जाएगा. रोटेशन पॉलिसी का आशय है कि इन गेंदबाजों को पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में बीच बीच में आराम भी दिया जाएगा. इस बात की पूरी उम्मीद है कि इंग्लैंड की टीम इन दोनों गेंदबाजों को एक ही टेस्ट मैच में किसी भी सूरत में आराम नहीं देगी. इस बात का दूसरा पहलू ये है कि भारतीय टीम को कुछ ऐसे टेस्ट मैच खेलने को मिलेंगे जिसमें जेम्स एंडरसन और स्टुअर्ट ब्रॉड एक साथ प्लेइंग 11 का हिस्सा नहीं होंगे.


एंडसरन और ब्रॉड का अनुभव ही है उनकी ताकत
इंग्लैंड के सबसे अनुभवी तेज गेंदबाज जेम्स एंडरसन कंधे में चोट के बाद वापसी कर रहे हैं. उनके जोड़ीदार स्टुअर्ट ब्रॉड को भी एड़ी की तकलीफ से गुजर रहे थे. इन दोनों तेज गेंदबाजों का इंग्लैंड के टेस्ट प्रदर्शन में अहम रोल रहा है. जेम्स एंडरसन इंग्लैंड के लिए 138 टेस्ट मैच खेल चुके हैं. उनके खाते में 540 विकेट हैं. 118 टेस्ट मैच में 417 विकेट लेकर स्टुअर्ट ब्रॉड मौजूदा टीम के दूसरे सबसे अनुभवी तेज गेंदबाज हैं. इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि पिछले दौरे में विराट कोहली टेस्ट मैच की 10 पारियों में से 4 बार जेम्स एंडरसन का ही शिकार हुए थे. इन दोनों गेंदबाजों के आंकड़े बताते हैं कि इनका एक साथ ना खेल पाना टीम इंडिया के लिए कितने बड़े राहत की बात है.


इंग्लैंड के पास मजबूत विकल्प की कमी
इंग्लैंड की परेशानी तीसरे तेज गेंदबाज को लेकर है. अगर पिच का मिजाज ऐसा है कि वहां तेज गेंदबाजों को मदद मिलती दिख रही है तो इंग्लैंड उसे भुनाना चाहेगी. मुसीबत ये है कि जेम्स एंडरसन और स्टुअर्ट ब्रॉड के विकल्प के तौर पर जो गेंदबाज टीम में हैं उनके पास अनुभव की जबरदस्त किल्लत है.


पहले टेस्ट मैच के लिए चुनी गई टीम में जेम्स एंडरसन और स्टुअर्ट ब्रॉड के अलावा कीटॉन जेनिंग्स शामिल किए गए हैं. कीटॉन जेनिंग्स को भी सिर्फ सात टेस्ट मैचों का अनुभव है. इन सात टेस्ट मैचों से उनके खाते में 22 विकेट जरूर हैं लेकिन उनकी ज्यादा उपयोगिता बल्लेबाजी को लेकर है. उनके अलावा सैम करन हैं जो बाएं हाथ के तेज गेंदबाज हैं. परेशानी ये है कि उनके खाते में सिर्फ एक टेस्ट मैच का अनुभव है. उन्होंने अब तक 2 विकेट लिए हैं. इंग्लैंड टीम मैनेजमेंट ने उन्हें पाकिस्तान के खिलाफ हालिया टेस्ट सीरीज में टेस्ट कैप दी थी.


जेमी पॉर्टर को अब तक टेस्ट कैप नहीं मिली है. वो दाएं हाथ के तेज गेंदबाज हैं. 61 फर्स्ट क्लास मैचों में उन्होंने 240 विकेट जरूर लिए हैं लेकिन टेस्ट क्रिकेट और फर्स्ट क्लास क्रिकेट के दबाव का फर्क हर कोई जानता समझता है. कुछ ऐसी ही परेशानी से विराट कोहली भी जूझ रहे हैं क्योंकि उनके पास भी शुरूआती टेस्ट मैचों में ना तो भुवनेश्वर कुमार हैं और ना ही जसप्रीत बुमराह. थोड़ी राहत की बात ये जरूर है कि उनके पास भुवनेश्वर कुमार और बुमराह के ना होने की सूरत में भी ईशांत शर्मा, उमेश यादव और मोहम्मद शमी हैं. जिन्हें टेस्ट क्रिकेट का ठीकठाक अनुभव हो चुका है.