दिल्ली से करीब ढाई हजार किलोमीटर दूर किर्गीस्तान में कुछ ही देर में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक होगी, जिसमें एक बार फिर भारत और पाकिस्तान एक मंच पर होंगे। जहां नरेंद्र मोदी से आमना-सामना करने वाले इमरान खान के लिए सबसे बड़ी मुश्किल होगी कि फिर एक बार अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी के सामने शर्मिंदगी से कैसे बचा जाए। क्योंकि भारत से शांति बहाली की आड़ में आतंकवाद को बढ़ावा देने का पाकिस्तानी कुचक्र पिछले लंबे वक्त से बेकार पड़ा है और दहशतगर्दी के मुद्दे पर पूरे विश्व में अलग-थलग पड़ चुका पाकिस्तान अब अपने वजूद की लड़ाई लड़ने को मजबूर हो चुका है।
हालांकि पाकिस्तान अब भी कश्मीर में अपना छद्म युद्ध जारी रखे हुए है जिसकी मिसाल है बुधवार को अनंतनाग में हुआ आतंकी हमला लेकिन अब भी पाकिस्तान की अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी में शांति बहाली के दिखावे की कोशिशें जारी हैं। लेकिन मोदी सरकार की तरफ से भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में किसी भी तरह के यू-टर्न की उम्मीदें धुंधली हैं। बिश्केक की यात्रा के लिए पाकिस्तानी एयरस्पेस का इस्तेमाल ना करके मोदी ने अपने इरादे साफ कर दिये हैं।
ऐसे में सवाल यही है कि
क्या आतंक पर भारत की कूटनीतिक कामयाबी से पाकिस्तान डर गया है ?
क्या मोदी के 'मिशन कश्मीर' से कश्मीर घाटी की सियासी तस्वीर बदलेगी ?
क्या साजिशन अमरनाथ यात्रा से पहले बढ़ने लगे हैं आतंकी हमले ?
पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच पैदा हुए तनाव के बाद पहली बार पाकिस्तानी पीएम इमरान खान का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सामना होगा। किर्गीस्तान की राजधानी बिश्केक में बैठक को शंघाई सहयोग संगठन की हो रही है लेकिन मुश्किलें पाकिस्तान की बढ़ी हुई हैं, जिसे डर है कि प्रधानमंत्री मोदी बिश्केक में भी आतंक के मुद्दे पर पाकिस्तान को ना घेर लें। मोदी की तरफ से पाकिस्तानी स्पेस के इस्तेमाल की पेशकश ठुकराने के बाद माना जा रहा है, कि किर्गीस्तान की बैठक में दहशतगर्दी एक बार फिर इमरान खान के लिये शर्मिंदगी का सबब बनने जा रही है, क्योंकि पीएम मोदी को एयरस्पेस देने के इमरान के 'पीस जेश्चर' के बीच ही कश्मीर में सीमा पार से आतंकी हमले जारी हैं।
दहशत की खामोशी में गिरफ्त कश्मीर में सियासी उथल-पुथल के बीच एक बार फिर हलचल बढ़ी हुई है क्योंकि अमित शाह के गृह मंत्रालय की कमान संभालते ही साफ हो गया है कि पिछली सरकार में कश्मीर में शांति बहाली कई कोशिशें बेकार होने के बाद अब मोदी सरकार नए सिरे से कश्मीर में ठोस कदम उठाने की तैयारी में हैं। लेकिन वो रास्ता बातचीत से खुलेगा या राजनीतिक से इस पर सबकी नजरें इसी बात पर बनी हुई हैं
लेकिन कश्मीर का मसला अबतक वो अनसुलझी गुत्थी साबित हुई है। जिसमें सरकार को एक कदम आगे जाने के बाद दो कदम पीछे खींचने पड़े हैं क्योंकि शांति बहाली और बातचीत की कोशिशों के बीच आतंकी हमले लगातार जारी हैं और अमरनाथ यात्रा के भी दहशतगर्दी की जद में आने की आशंका बढ़ गई है, क्योंकि यही एक मौका होता है जब देशभर के लोग जम्मू पार करके कश्मीर घाटी का रुख करते हैं लेकिन पाकिस्तान परस्त आतंकी अमरनाथ यात्रा को लगातार निशाना बनाने की कोशिशों में लगे हुए हैं।
आतंकवाद के साथ शांति बहाली का पाकिस्तान प्रोपगेंडा अब विश्व के सामने बेनकाब हो चुका है। अनंतनाग जैसे हमले आतंकवाद पर अलग-थलग पड़ चुके पाकिस्तान और आतंक के आकाओं की हताशा से ज्याद कुछ नहीं है, क्योंकि पाकिस्तान और आतंकी भी समझ रहे हैं कि कश्मीर में सेना का लगातार चल रहे 'ऑपरेशन ऑलआउट' ने घाटी से आतंकी जड़े उखाड़ दी हैं। कश्मीर में छिटपुट हमलों के जरिए आतंकी संगठन बस खुद की मौजूदगी का एहसास कराना चाहते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीतिक मुहिम के चलते पाकिस्तान का वजूद खतरे में है।