भारत-चीन तनाव: तीनों सेना प्रमुखों ने एक ही सुर में बताया कि कितना मजबूत है भारत !
उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों की चुनावी सरगर्मी के बीच राहुल गांधी ने चीन का मुद्दा उठाकर सरकार की विदेश नीति को गलत बताते हुए देश के लोगों के बीच संशय पैदा करने का जो माहौल तैयार किया था, उसका जवाब केंद्रीय मंत्रियों ने तो दिया ही है, लेकिन आज हमारी तीनों सेना के प्रमुखों ने बिल्कुल साफ लहज़े में कह दिया है कि चीन से टकराव के बीच उससे निपटने में भारत किसी भी तरह से कमजोर नहीं है. राहुल गांधी ने चीन-पाकिस्तान के गठजोड़ से निपटने को लेकर मोदी सरकार की नीति को कमजोर बताते हुए देश में एक तरह के डर का माहौल बनाने की कोशिश की थी. उसका जवाब देने के लिए ही सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों ने एक सेमिनार के जरिये एक ही मंच से देश की रक्षा-सुरक्षा से जुड़ी सभी अटकलों को एक सिरे से खारिज कर दिया है.
तीनों सेना प्रमुखों ने पाकिस्तान और चीन से मिलने वाली भविष्य की चुनौतियों पर अपनी तैयारियों का जिक्र करते हुए साफ कर दिया कि किसी भी खतरे की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता, लेकिन आज भारत पहले से ज्यादा मजबूत स्थिति में है. दरअसल भारत और चीन के सैनिकों के बीच जून 2020 में हुए संघर्ष के बाद से लद्दाख की गलवान घाटी चर्चा में रही है. विपक्षी दल इसे लेकर लगातार केंद्र सरकार से सवाल पूछते रहे हैं.लेकिन राहुल गांधी ने बुधवार को लोकसभा में एक कदम और आगे बढ़कर मोदी सरकार को ही कटघरे में खड़ा कर दिया था.
देश की रक्षा से जुड़ी ऐसी सियासी अटकलों का जवाब देने के लिए ही थलसेना प्रमुख, जनरल एम एम नरवणे (General MM Naravane) को यह कहना पड़ा कि "पाकिस्तान से सटी एलओसी पर आज अगर शांति आई है, तो इसलिए कि भारत आज मजबूत स्थिति में है. जनरल नरवणे के मुताबिक, चीन से सटी एलएसी पर स्टैंडऑफ दिखाता है कि हमारे बूट ऑन ग्राउंड है और हम अपनी अंखडता और संप्रुभता की रक्षा कर सकते हैं."
थल सेना प्रमुख के इस बयान को अगर आसान भाषा में समझा जाये,तो उनके कहने का मतलब यही है कि अगर भारत कमजोर होता,तो पिछले डेढ़ साल में चीन गलवान घाटी जैसी हरकत दोबारा करने से बाज़ नहीं आता. लेकिन उसे भारतीय सेना की ताकत का अहसास हो चुका है,जिसके चलते अब वो उसे दोहराने की जुर्रत नहीं कर पा रहा है.
चीन के मुद्दे पर राहुल गांधी और उनकी पार्टी बीते कुछ महीनों से जरूरत से अधिक सक्रिय हो उठी है और उनका एकमात्र मकसद किसी भी तरह से अन्तराष्ट्रीय मंच पर मोदी सरकार को नीचा दिखाना है. दरअसल, एक जनवरी को चीन के अख़बार ग्लोबल टाइम्स ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी. इस रिपोर्ट में दावा किया गया गया था कि नए साल के मौक़े पर गलवान घाटी में चीन का झंडा फहराया गया. रिपोर्ट में कहा गया कि वर्ष 2022 के पहले दिन देश भर में चीन का पांच सितारों वाला लाल झंडा फहराया गया. इनमें 'हॉंगकाँग का विशेष प्रशासित क्षेत्र और गलवान घाटी' भी शामिल थे. ग्लोबल टाइम्स को चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी का मुखपत्र माना जाता है.
कांग्रेस ने उस रिपोर्ट को फौरन लपक लिया और सरकार से सवाल पूछ डाले. राहुल गांधी ने 2 जनवरी को ट्विटर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित एक ट्वीट किया था. उसमें राहुल गांधी ने लिखा था, "गलवान पर हमारा तिरंगा ही अच्छा लगता है. चीन को जवाब देना होगा. मोदी जी, चुप्पी तोड़ो !" उन्होंने अपने ट्वीट के साथ एक न्यूज़ रिपोर्ट का हिस्सा भी पोस्ट किया था. इस रिपोर्ट में लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) यानी वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब पैंगोंग झील में चीन की ओर से कथित तौर पर पुल बनाए जाने की जानकारी दी गई थी.
उसके बाद कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी इस पर केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा था, "चीन का ये दुस्साहस कि वो ये कहें कि हम चीन का झंडा गलवान वैली पर लहराएंगे और प्रधानमंत्री (नरेंद्र) मोदी जी और मोदी सरकार चुप रहे. कहां है रक्षा मंत्री? कहां हैं प्रधानमंत्री? देश जानना चाहता है."
गलवान घाटी में झंडा फहराने को लेकर ग्लोबल टाइम्स के दावे के बाद 3 जनवरी को ही कुछ मीडिया रिपोर्ट में भारतीय सैन्य सूत्रों के हवाले से दावा किया गया था कि चीन ने 'अपने अधिकार क्षेत्र में ही झंडा फहराया था.' जबकि अगले ही दिन कांग्रेस के इस दुष्प्रचार के खिलाफ मोदी सरकार के प्रमुख मंत्रियों ने मोर्चा खोला और गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों की तिरंगा लहराते हुए तस्वीरें पोस्ट की थीं. बीजेपी के कई सीनियर नेताओं ने भी तस्वीरें पोस्ट करके कांग्रेस को मुंहतोड़ जवाब दिया था.
ऐसी तमाम अटकलों को ठुकराते हुए वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी ने भी सेमिनार में साफ लहजे में कहा कि कोरोना महामारी के दौरान पूर्वी लद्दाख (Ladakh) में स्टैंडऑफ ने पूरी दुनिया को दिखा दिया कि भारत के पास किसी भी चुनौती का सामना करने की पर्याप्त क्षमता है. उन्होनें कहा कि आज के समय में युद्ध सिर्फ जमीन, आकाश और समंदर मे ही नहीं लड़ा जाता, अब इसमें साइबर, स्पेस और इंफोर्मेशन वॉरफेयर भी जुड़ गया है.