दुनिया की बड़ी से बड़ी टीम मैदान में गलतियां करती है. बड़े से बड़े खिलाड़ी भी चूक जाते हैं. असली ‘मेच्योरिटी’ यानी परिपक्वता इस बात की होती है कि उस गलती को कितनी जल्दी सुधार लिया जाए. जिससे विरोधी टीम उन गलतियों का फायदा ना उठा पाए. आप सोच कर देखिए कि एक ही ओवर में किसी बल्लेबाज को तीन बार जीवनदान मिल जाए फिर भी विरोधी टीम को फायदा उठाने से रोक लिया जाए. ऐसा तब ही संभव है जब गलती की भरपाई करने के लिए दूसरे खिलाड़ी तैयार हों.


रांची में टी-20 मैच के दौरान ऐसा ही देखने को मिला. विकेटकीपर बल्लेबाज टिम पेन को एक ही ओवर में तीन जीवनदान मिले फिर भी वो उसका फायदा नहीं उठा पाए. दूसरे शब्दों में कहें तो उन्हें फायदा उठाने नहीं दिया गया. जैसे ही उन्होंने मैदान में बड़े शॉट्स खेलना शुरू किया वो अपना विकेट गंवा बैठे. 15वें ओवर में की गई गलती को भारतीय टीम के गेंदबाजों ने इतनी जल्दी सुधार लिया कि लगा ही नहीं कि इन खिलाड़ियों ने कोई बड़ी गलती की भी थी. नतीजा ऑस्ट्रेलियाई टीम बड़े हिटर्स के होने के बाद भी बड़ा स्कोर नहीं बना पाई और बारिश से प्रभावित मैच में भारतीय टीम ने टी-20 सीरीज के पहले मैच में आसान जीत दर्ज की.

15वें ओवर में आखिर हुआ क्या था ?
भारतीय गेंदबाजी के दौरान 15वां ओवर फेंकने के लिए यजुवेंद्र चहल आए. पहली ही गेंद पर उन्होंने टिम पेन को अपनी फ्लाइट में फंसाया. टिम पेन ने उस गेंद को गलत तरीके से खेला और चहल के सामने ही उछाल दिया. चहल ने सामने की तरफ छलांग लगाकर कैच को लपक भी लिया लेकिन गिरते वक्त उनकी ‘लैंडिंग’ ऐसी हुई कि गेंद हथेलियों से उछल गई. टिम पेन को इस तरह पहला जीवनदान मिला. इसी ओवर की पांचवी गेंद पर विकेटकीपर महेंद्र सिंह धोनी स्टंपिंग का एक मौका चूक गए. ये मौका इसलिए आसान नहीं था क्योंकि बल्लेबाज धोनी के ठीक सामने थे और गेंद को देखना मुश्किल था.

बावजूद इसके धोनी जिस तरह की करिश्माई स्टंपिंग करते रहे हैं उन्हें याद करके ये कहा जा सकता है कि धोनी से चूक हुई. ये टिम पेन को मिला दूसरा जीवनदान था. आखिरी गेंद पर टिम पेन ने भारतीय टीम को एक और मौका दिया. इस बार उन्होंने चहल की गेंद पर लंबा शॉट खेलने के चक्कर में गेंद को डीप मिडविकेट की तरफ उछाल दिया. वहां फील्डर के तौर पर भुवनेश्वर कुमार मौजूद थे. गेंद सीधे उनके हाथ में गई थी. उन्हें एक भी कदम हिलने डुलने की जरूरत नहीं थी लेकिन उन्होंने कैच टपका दिया. ये टिम पेन को मिला तीसरा जीवनदान था. बावजूद इसके टिम पेन इनका फायदा नहीं उठा पाए.

कैसे किया गलती में सुधार  
इन गलतियों में सुधार ऐसे हुआ कि जब अगला ओवर यानी 16वां ओवर लेकर कुलदीप यादव आए तो उन्होंने बेहद कसी हुई गेंदबाजी की, उन्होंने कहीं से इस बात का अहसास नहीं कराया कि एक ओवर में तीन गलतियों के बाद भारतीय खिलाड़ी ‘बैकफुट’ पर हैं. उन्होंने उस ओवर में सिर्फ 4 रन दिए. अगले ओवर में भुवनेश्वर कुमार ने पहली ही गेंद पर बल्लेबाज को ‘बीट’ किया. इसके बाद पेन जब क्रीज पर आए तो उन्होंने एक चौका और एक छक्का लगाया.

जब ये लगा कि पेन अब जीवनदान का बड़ा फायदा उठाने वाले हैं जिसका खामियाजा टीम इंडिया को उठाना होगा तो विराट कोहली ने जसप्रीत बुमराह को गेंद दी. बुमराह ने पहली ही गेंद पर टिम पेन को पवेलियन भेज दिया. इसके बाद इसी ओवर में बुमराह ने नैथन कूल्टर नील को भी आउट किया. भारतीय टीम ने 19वें ओवर की पहली ही गेंद पर डेनियल क्रिश्टीन को रन आउट कर दिया. अचानक भारतीय गेंदबाजी और फील्डिंग में वो तेजी और फुर्ती दिखाई दी जो 15वें ओवर में ‘मिसिंग’ थी.

टी-20 क्रिकेट एक ऐसा फॉर्मेट माना जाता है जिसमें सिर्फ एक खिलाड़ी पूरे मैच का रूख बदल देता है. भारतीय टीम ने इसी बात को फ़ॉर्मूला बना लिया यानी अगर एक-दो खिलाड़ियों से गलती हो भी जाए तो बाकी के खिलाड़ी उस गलती का रोना रोने की बजाए अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं.