(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
चुनौतियों भरे कांटों का ताज पहनकर सेनाओं को सशक्त बनाएंगे नए CDS
CDS Appointment: करीब नौ महीने के इंतजार के बाद देश को दूसरा चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) तो मिल गया है, लेकिन नए सीडीएस लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) अनिल चौहान (Lt. Gen (R) Anil Chauhan) के लिए ये पद कांटों भरे ताज से कम नहीं है. उन्हें एक साथ कई फ्रंट पर कई चुनौतियों का मुकाबला करते हुए कम समय में ही अपनी काबिलियत को साबित करना होगा. अपने 40 साल के सेवाकाल में वह ईस्टर्न आर्मी के कमांडर और सैन्य अभियानों के महानिदेशक रह चुके हैं, इसलिए अनुभव के लिहाज से इस पद के लिए सरकार के पास भी उनसे बेहतर विकल्प शायद ही कोई और होता. अनिल चौहान अब तक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय के सैन्य सलाहकार के तौर पर कार्यरत थे.
जनरल चौहान के सामने जहां एक तरफ सेना के तीनों अंगों यानी थलसेना, वायुसेना और नौसेना के एकीकरण और थियेटर कमांड बनाना एक बड़ी चुनौती है, तो वहीं बॉर्डर फ्रंट पर चीन से चल रही तनातनी और पाकिस्तान की पैंतरेबाजी से निपटना भी किसी चुनौती से कम नहीं है. उल्लेखनीय है कि देश के पहले सीडीएस बिपिन रावत ने अपना पद संभालते ही कहा था कि भविष्य में देश में थिएटर कमांड्स (Theatre Commands) बनाए जाएंगे ताकि युद्ध की नौबत आने पर दुश्मन को माकूल जवाब दिया जा सके. बिपिन रावत इस प्रोजेक्ट पर काम कर ही रहे थे कि उनका असामयिक निधन हो गया. अब उस अधूरे प्रोजेक्ट को तय समय-सीमा के भीतर पूरा करना, चौहान के लिए प्राथमिक चुनौती है. दरअसल, थियेटर कमांड एक ऐसा सांगठनिक ढांचा है जिसके तहत सभी सैन्य संसाधनों का एकीकृत कंट्रोल तैयार किया जाता है. इसका मकसद युद्ध की स्थिति में सेना की जवाब देने की क्षमता को ज्यादा मारक और प्रभावी बनाना है.
देश की भौगोलिक सीमाओं को देखते हुए तत्कालीन सीडीएस जनरल बिपिन रावत को तीनों सेनाओं को एक साथ लाने के लिए 6 थिएटर कमांड्स बनाने की अहम जिम्मेदारी सौंपी गई थी, जिनमें से चार पर उन्होंने काम शुरू भी कर दिया था. युद्ध काल के दौरान तीनों सेनाओं के बीच आसानी से को-ऑर्डिनेशन बनाना ही इसका पहला उद्देश्य है क्योंकि आपसी तालमेल के बगैर दुश्मन को मारक जवाब देने में गच्चा खा जाने का खतरा रहता है. फिलहाल देश में एकमात्र थिएटर कमांड है, जिसकी स्थापना 2001 में अंडमान निकोबार में की गई थी. हालांकि देश की तीनों सेनाओं के पास अलग-अलग 17 कमांड्स हैं, जिसमें थल सेना के पास 7, वायुसेना के पास 7 और नौसेना के पास 3 कमांड हैं. इसके अलावा एक स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड है, जिस पर परमाणु हथियारों के भंडार की सुरक्षा का जिम्मा है. कमांड 2003 में बनाई गई थी. देश में फिलहाल 15 लाख सशक्त सैन्य बल हैं, जिन्हें एक साथ संगठित करने के लिए थिएटर कमांड की जरूरत है. थिएटर कमांड्स के बनने से सेना के मॉडर्नाइजेशन में आने वाले खर्चों में भी कमी आएगी.
दरअसल,नए सीडीएस चौहान को अपने कार्यकाल में चार नए एकीकृत कमांड्स की स्थापना करनी है. इनमें एक एकीकृत समुद्री थिएटर कमांड (MTC), एयर डिफेंस कमांड (ADC) के साथ-साथ पाकिस्तान और चीन के लिए लैंड बेस्ड दो कमांड्स शामिल हैं. थिएटर कमांड के अलावा अगर देश की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर गौर करें तो अनिल चौहान के सामने एलएसी पर चीन से चल रही तनातनी एक बड़ी चुनौती होगी. हालांकि गोगरा हॉट स्प्रिंग से फिलहाल दोनों देशों के सेनाओं की डिसइंगेजमेंट हो चुकी है लेकिन, चीन का पुराना रिकॉर्ड भरोसे लायक नहीं रहा है. वैसे नागालैंड के दीमापुर में कोर कमांडर की तैनाती के दौरान वे अरुणाचल प्रदेश से सटी एलएसी को काफी करीब से देख चुके हैं. चीन से निपटने में उनका ये अनुभव काफी काम आएगा. जिस वक्त पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर भारत का चीन से तनाव था तब वे सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से सटे LAC पर चीन की हरकतों पर बारीक नजर रखे हुए थे.
उधर,पाकिस्तान की पैंतरेबाजी से निपटना भी एक बड़ा टास्क साबित होने वाला है. जम्मू-कश्मीर में हमारी सेना ने फिलहाल आतंकियों को बैकफुट पर धकेला हुआ और इसी कारण नियंत्रण रेखा पर भी पिछले कुछ दिनों से कमोबेश शांति है लेकिन, घरेलू मोर्चे पर बुरी तरह से घिरा पाकिस्तान अपनी जनता का ध्यान भटकाने के लिए सीमा पर कोई भी गड़बड़ी की कोशिश कर सकता है.
साथ ही सरकार भी अगले कुछ दिनों में जम्मू कश्मीर में चुनाव का ऐलान करने की तैयारी में है. जाहिर है कि उस दौरान पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आने वाला और अस्थिरता पैदा करने की कोशिश जरूर करेगा. बता दें कि अनिल चौहान बालाकोट एयरस्ट्राइक के दौरान सेना में डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस थे. इसलिए उन्हें बॉर्डर की गतिविधि का अनुभव है लेकिन, आने वाले दिनों में घाटी में शांति कायम रखना औऱ बगैर किसी आतंकी वारदात के चुनाव सम्पन्न कराना भी उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा.
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