हमारे देश का पूर्वोत्तर यानी नॉर्थ ईस्ट ऐसा बड़ा इलाका है जिस पर कब्जा करने के लिए चीन गिद्ध निगाहें लगाए बैठा है. इस तथ्य से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि चीन ने हमारे पूर्वोत्तर राज्यों से जुड़ी अपनी सीमाओं में बहुत कुछ ऐसा साजो-सामान तैयार कर लिया है जो किसी जंग की हालत में उसके लिए सबसे बड़ा हथियार साबित होगा.
हालांकि भारत उसकी करतूतों से वाकिफ भी है और उसने इससे निपटने का माकूल इंतज़ाम भी कर रखा है. लेकिन AFSPA ऐसा कानून है जो पूर्वोतरी राज्यों के लोगों के लिए परेशान करने वाला है और वे अक्सर इसके विरोध में आवाज़ उठाते हैं. ऐसी आवाज़ों ने ही नार्थ ईस्ट में उग्रवादी संगठनों को पनपने का मौका भी दिया है.
हालांकि मेघालय के दौरे पर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने AFSPA को लेकर कुछ अहम बातें कही हैं लेकिन उनकी तरफ से ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है कि इसे कब हटाया जाएगा. मेघालय की राजधानी शिलांग में पीएम मोदी ने कहा, "बीते आठ सालों में कई संगठनों ने हिंसा का रास्ता छोड़ा. AFSPA की जरूरत न पड़े इसलिए राज्य सरकार के साथ मिलकर स्थितियों को सुधारा जा रहा है. हमारे लिए नॉर्थ ईस्ट बॉर्डर एरिया आखिर छोर नहीं है. दूसरे देशों से व्यापार और कारोबार भी यहीं से होता है. आज डंके की चोट पर बॉर्डर पर नई सड़कें, नई रेल लाइन जो भी आवश्यक है उसके निर्माण का काम तेजी से चल रहा है. जो सीमावर्ती गांव पहले वीरान हुआ करते थे उन्हें हम वाइब्रेंट बनाने में जुटे हैं."
जाहिर है कि पिछली सरकारों ने शायद ये कभी सोचा ही नहीं था कि एक पड़ोसी मुल्क से लगने वाली सीमा पर स्थित गांवों का विकास कैसे करना है और उन्हें क्या-क्या सुविधाएं उपलब्ध करानी हैं ताकि दुश्मन देश कहीं उन्हें अपनी गोद में ही न बैठा ले. शायद इसीलिए पीएम मोदी को ये कहना पड़ा कि- "नॉर्थ-ईस्ट के विकास से जुड़ी अड़चनों को हमने रेड कार्ड दिखाया है. भाई भतीजावाद, हिंसा, भ्रष्टाचार और वोट बैंक की राजनीति को बाहर करने के लिए ईमानदारी से प्रयास कर रहे हैं. देश जानता है कि इन बीमारियों की जड़ें बहुत गहरी हैं इसलिए हम सभी को मिलकर इसे हटाना है. वह ये याद दिलाना भी नहीं भूले कि स्पोर्ट्स को लेकर केंद्र सरकार लगातार आगे बढ़ रही है. देश की पहली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी नॅार्थ ईस्ट में है. यहां इस तरीके के 19 प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है. बीते रविवार फुटबॅाल वर्ल्ड कप फाइनल हो रहा था और मैं फुटबॅाल के मैदान में था. मैच कतर में हो रहा था लेकिन उत्साह और उमंग यहां भी कम नहीं है.
सीमावर्ती इलाकों में अपने दुश्मन देश को कैसे अंकुश में रखा जाए इसे लेकर भी पीएम मोदी ने ये खुलासा किया है कि हमारे इरादे और कार्यशक्ति में जो बदलाव लाया गया है उसे अमल में भी लाया जा रहा है. उनके मुताबिक पहले सोचा जाता था कि सीमा पर सुविधा होगी तो दुश्मनों को फायदा होगा. क्या अब यह सोचा भी जा सकता है? आज सीमा पर एक के बाद एक निर्माण का काम तेजी से चल रहा है. हम सीमा पर गति लाने का प्रयास कर रहे हैं. गांव छोड़कर जाने वाले वापस आएंगे.
हालांकि ये भी सच है कि अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में चीन के साथ भारतीय सेना की जो तनातनी हुई थी उसके बाद भारत ने इसे बेहद गंभीरता से लेते हुए सीमा सड़क संगठन (BRO) को काम पर लगा दिया है जो चीन की आक्रामक रणनीति का मुकाबला करने के लिए अरुणाचल के सीमावर्ती क्षेत्रों को विकसित कर रहा है. बीआरओ सीमावर्ती क्षेत्रों के साथ प्रमुख ढांचागत विकास कार्यों में भी लगा हुआ है और सरकार ने अरुणाचल प्रदेश के सभी सीमावर्ती गांवों को बेहतर संपर्क के लिए सड़कों से जोड़ने की जो योजना बनाई हुई है उसी को अमलीजामा पहनाया जा रहा है.
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