वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट सीरीज को लेकर कुछ दिनों पहले एक खबर आई. खबर दिलचस्प थी. भारतीय टीम मैनेजमेंट ने मांग की थी कि उन्हें वेस्टइंडीज के खिलाफ परंपरागत धीमी की बजाए तेज पिच दी जाए. जैसे ही ये खबर आई कि टीम इंडिया तेज पिच चाहती है उस खबर के मायने भी समझ आ गए.


दरअसल वेस्टइंडीज की सीरीज के तुरंत बाद भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया जाना है. दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड के दौरे में टेस्ट सीरीज में हार के बाद भारतीय टीम को समझ आ गया है कि बल्लेबाजी में और स्थायित्व की जरूरत है. भारतीय गेंदबाज तो अपना काम बखूबी कर रहे हैं लेकिन बल्लेबाजों की नाकामी टीम की जीत के रास्ते में रोड़ा बन रही है. लिहाजा टीम मैनेजमेंट ने वेस्टइंजीज के खिलाफ सीरीज को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज का ‘होमवर्क’ मानते हुए तेज और उछाल भरी पिचों की मांग की है.


ये खबर शायद सार्वजनिक नहीं होती लेकिन जैसे ही बीसीसीआई के क्यूरेटर दलजीत सिंह और विश्वजीत पडियार राजकोट पहुंचे वहां स्थानीय एसोसिएशन ने नाराजगी जाहिर कर दी. इसी नाराजगी में सौराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन के दिग्गज निरंजन शाह ने मीडिया से बातचीत भी कर ली. जिससे एक बार फिर ये बात सामने आ गई कि भारतीय क्रिकेट में टीम के नुकसान या फायदे से ज्यादा वर्चस्व की राजनीति खत्म होने वाली नहीं है.


युवा टीम को मिलेगा सही अभ्यास


पृथ्वी शॉ राजकोट में अपने टेस्ट करियर की शुरूआत करने जा रहे हैं. पृथ्वी शॉ अभी 19 साल से भी कम के हैं. उनके अलावा ऋषभ पंत और मयंक अग्रवाल जैसे खिलाड़ी भी टीम का हिस्सा हैं. ऋषभ पंत ने इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में तीन टेस्ट मैच खेले थे. जिसकी पांच पारियों में उनके खाते में कुल 48 रन थे. आखिरी टेस्ट मैच की दूसरी पारी में उन्होंने एक आकर्षक शतक जरूर लगाया था लेकिन वो टीम के किसी काम का नहीं था.

कुल ऐसी ही कहानी केएल राहुल की भी है. केएल राहुल को सभी पांच टेस्ट मैचों में प्लेइंग 11 में शामिल किया गया. लेकिन पांचवें टेस्ट मैच की दूसरी पारी में 149 रनों को हटा दिया जाए तो उन्होंने 9 पारियों में कुल 150 रन बनाए थे. पृथ्वी शॉ को शिखर धवन की जगह आजमाया जा रहा है. टॉप ऑर्डर में शिखर धवन इंग्लैंड के खिलाफ पूरी सीरीज में रनों के लिए जूझते रहे. कई मौकों पर उन्हें अच्छी शुरूआत मिली लेकिन वो उसे बड़े स्कोर में तब्दील नहीं कर पाए. उन्होंने 4 टेस्ट मैच की 8 पारियों में कुल 162 रन बनाए थे. पृथ्वी शॉ के सामने यही चुनौती होगी कि वो वेस्टइंडीज के सामने अच्छा प्रदर्शन कर खुद को ऑस्ट्रेलिया के मुश्किल दौरे के लिए तैयार करें.


क्यों तेज पिच से बेखौफ है टीम इंडिया


भारतीय टीम को तेज पिचों से डर इसलिए नहीं है क्योंकि उसके पास विराट कोहली, अजिंक्य रहाणे और चेतेश्वर पुजारा के तौर पर तीन ऐसे बल्लेबाज हैं जो मुश्किल विकेट पर भी रन बनाने में माहिर हैं. टीम इंडिया को 6 दिसंबर से एडीलेड में कंगारुओं के खिलाफ टेस्ट मैच खेलना है. उसकी तैयारी के लिए बेहतर होगा कि टीम इंडिया तेज और उछाल भरी पिचों पर अभ्यास करे.
भारत के पिछले दौरे पर उसे 2-0 से हार का सामना करना पड़ा था. दोनों ही मैचों में हार का अंतर मामूली था. एक टेस्ट मैच में भारतीय टीम 48 रन से हारी थी और दूसरे में 4 विकेट से. ऐसे में इस बार उन कमियों को दूर करने के लिए तेज पिचों पर अभ्यास जरूरी है. वैसे भी वेस्टइंडीज की टीम में ऐसा कोई बड़ा तेज गेंदबाज भी नहीं है जो टीम इंडिया को मुसीबत में डाल दे. जेसन होल्डर, कीमार रोच, देवेंद्र बिशू और क्रेग बेथवेट को छोड़कर आधी से ज्यादा टीम के नाम तक क्रिकेट फैंस को नहीं पता. अलबत्ता भारतीय टीम में मोहम्मद शामी और उमेश यादव जैसे तेज गेंदबाज हैं जो कैरिबियाई बल्लेबाजों को परेशान कर सकते हैं. राजकोट में मैच के तीसरे दिन से गेंद ‘टर्न’ करेगा. जिसका फायदा भारतीय स्पिनर्स उठाएंगे. भारतीय टीम ने मैच से पहले जो 12 खिलाड़ियों का ऐलान किया है उसमें आर अश्विन, रवींद्र जडेजा और कुलदीप यादव तीनों के नाम हैं.