(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
क्या पिच को पढ़ने में पूरी तरह चूके भारतीय कप्तान विराट कोहली
पर्थ टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 146 रनों से हरा दिया. दो टेस्ट मैचों की सीरीज में अब दोनों टीमें 1-1 की बराबरी पर हैं. अगला टेस्ट मैच 26 दिसंबर से मेलबर्न में खेला जाएगा.
पर्थ टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 146 रनों से हरा दिया. दो टेस्ट मैचों की सीरीज में अब दोनों टीमें 1-1 की बराबरी पर हैं. अगला टेस्ट मैच 26 दिसंबर से मेलबर्न में खेला जाएगा. पर्थ टेस्ट में हार की कई वजहें हैं. पहली पारी में शतक बनाकर क्रीज पर जम चुके विराट कोहली को विवादास्पद आउट दिया गया. सलामी बल्लेबाजों की जोड़ी लगातार फ्लॉप हो रही है. विरोधी टीम के पुछल्ले बल्लेबाज अहम रन बना रहे हैं. उससे उलट भारतीय टीम के पुछल्ले बल्लेबाज अपने विकेट की कीमत ही नही समझ रहे हैं. लेकिन इन बातों के अलावा थोड़ी देर के लिए अपनी याददाश्त को ‘रिवाइंड’ कीजिए. याद कीजिए कि पर्थ टेस्ट मैच के पहले ऑस्ट्रेलिया के धुरंधर खिलाड़ी किस बात की हवा बनाने में लगे हुए थे. रिकी पॉन्टिंग से लेकर जस्टिन लैंगर तक हर कोई यही बात कह रहा था कि पर्थ में बहुत तेज विकेट मिलने वाली है. जहां उनके तेज गेंदबाज वापसी कराएंगे. ये सच है कि पर्थ टेस्ट में जीत के साथ ही ऑस्ट्रेलिया ने टेस्ट सीरीज में वापसी कर ली लेकिन क्या इस जीत का श्रेय उनके तेज गेंदबाजों को जाता है. इस सवाल का जवाब है बिल्कुल नहीं. जिस टेस्ट मैच में प्लेयर ऑफ द मैच एक स्पिनर हो उस मैच में जीत का श्रेय तेज गेंदबाजों को कैसे दिया जा सकता है. पर्थ टेस्ट मैच में 8 विकेट स्पिनर नैथन लाएन ने लिए. जिसमें दूसरी पारी में विराट कोहली का अहम विकेट भी शामिल है.
कंगारुओं के जाल में फंस गए विराट यूं तो बीसीसीआई की दी गई जानकारी के मुताबिक आर अश्विन फिट नहीं थे. बावजूद इसके विराट कोहली ने दूसरे स्पिनर रवींद्र जडेजा पर भरोसा क्यों नहीं किया ये बात समझ से परे है. हार के बाद ‘पोस्टमार्टम’ करना आसान जरूर होता है लेकिन ये एक ऐसा पहलू है जिस पर विराट कोहली को अपनी भूल माननी चाहिए. विराट कोहली ने पर्थ की पिच को तेज मानकर बगैर स्पिनर के उतरने का फैसला किया. उन्होंने टीम में एक और तेज गेंदबाज उमेश यादव को जगह दी. रवींद्र जडेजा बेहतर विकल्प इसलिए भी हो सकते थे क्योंकि वो निचले क्रम में बेहतर बल्लेबाजी भी कर लेते. ये बात हर कोई जानता है कि पर्थ में विकेट ‘ले’ किया गया था. यानि पिच को लाकर एक तय जगह पर महज रख दिया गया था. ऐसे में वो पिच हर दिन के बाद ‘ड्राइ’ होती जाएगी ये बात समझी जा सकती थी. विराट शायद इसी बात की अनदेखी कर गए. हर दिन के खेल के बाद विकेट में दरारें बढ़ती चली गईं. जिसे करोड़ो क्रिकेट फैंस ने भी देखा. ऑस्ट्रेलियाई स्पिनर नैथन लाएन ने इसी पिच का बखूबी इस्तेमाल किया.
उमेश यादव नहीं कर पाए कारगर गेंदबाजी
उमेश यादव के पास मौका था कि वो अपनी धारदार गेंदबाजी से अपने कप्तान के गलत फैसले को सही कर देते. लेकिन वो ऐसा कर नहीं पाए. पूरे मैच में उन्होंने सिर्फ 2 विकेट लिए. पहली पारी में उस्मान ख्वाजा और कमिंग्स का विकेट उमेश यादव ने लिया था. दूसरी पारी में उन्हें कोई कामयाबी महीं मिली. इसके अलावा उमेश यादव पूरे मैच में सबसे महंगे भारतीय गेंदबाज भी साबित हुए. उन्होंने पहली पारी में 3.39 और दूसरी पारी में 4.35 की इकॉनमी से रन दिए. ऑस्ट्रेलिया की टीम ने चौथे दिन पहले सेशन के खेल में जो रन जोड़े उसके पीछे काफी हद तक उमेश यादव की लचर गेंदबाजी ही थी. उनकी लेंथ को लेकर लगातार सवाल उठते रहे. यही वजह है कि विराट कोहली ने दूसरी पारी में उमेश यादव से सिर्फ 14 ओवर ही गेंदबाजी कराई. उमेश यादव के बराबर 14 ओवर हनुमा विहारी ने भी फेंका जिससे समझ आता है कि उमेश यादव की गेंदबाजी बेअसर रही. खैर, सीरीज के बीच में टीम इंडिया में कुछ बदलाव भी हुए हैं. मयंक अग्रवाल और हार्दिक पांड्या भी टीम में जुड़े हैं. तीसरे टेस्ट का प्लेइंग 11 हर हाल में अलग दिखाई देगा. बस पर्थ में टीम के चयन से विराट कोहली को सबक लेना होगा. मेलबर्न टेस्ट ही सीरीज की दिशा तय करने वाला है.
(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)