खेल की शब्दावली में अक्सर एक ‘टर्म’ इस्तेमाल किया जाता है ‘लीडिंग फ्रॉम द फ्रंट’. इस बात को कप्तान के लिए कहा जाता है कि फलां कप्तान ने आगे बढ़कर अपनी टीम का नेतृत्व किया. विराट कोहली पर भी ये बात लागू होती है. वो शानदार प्रदर्शन करके अपनी टीम के बाकि खिलाड़ियों के सामने भी मिसाल रखते हैं. खिलाड़ियों को प्रेरित करते हैं कि वो भी मुश्किल परिस्थितयों में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं.
इंग्लैंड में अब तक खेली गई टेस्ट सीरीज में भी यही देखने को मिला है. विराट कोहली ने पहले ही टेस्ट मैच में शतक लगाया था. इसके बाद नॉटिंघम में भी उन्होंने शतक लगाया. बल्लेबाजी में उनके मजबूत इरादों का असर ये हुआ कि बाकि बल्लेबाज भी निखर कर सामने आए. नॉटिंघम टेस्ट में भारतीय बल्लेबाज बिल्कुल अलग रंग रूप और इरादों के साथ मैदान में उतरे. उन्होंने पहले दो टेस्ट मैच के मुकाबले अपनी तकनीक में भी थोड़ा बदलाव किया. विराट कोहली ने उस बदलाव को अपनाने की बजाए अपनी अलग ही रणनीति बना ली है. शायद इसीलिए वो बाकि बल्लेबाजों के मुकाबले एक कदम आगे रहते हैं. रिकॉर्ड बुक में भी और क्रीज पर भी.
बाकि बल्लेबाजों से अलग कैसे हैं विराट
यूं तो विराट कोहली को उनके समकालीन खिलाडियों से रिकॉर्ड के मामले में कई कदम आगे हैं. लेकिन इंग्लैंड में वो क्रीज पर एक कदम आगे खड़े होकर अपनी हिम्मत का परिचय देते हैं. दरअसल, इंग्लैंड में आम तौर पर बल्लेबाज गेंद को थोड़ा ‘लेट’ खेलते हैं. बल्लेबाज कोशिश करते हैं कि गेंद खुद से बल्ले पर आए ना कि बल्ले को गेंद के पास लेकर जाया जाए. ऐसा करने से स्विंग और सीम करने वाली गेंदों के बल्ले से किनारा लगने का डर थोड़ा कम हो जाता है. नॉटिंघम में ज्यादातर भारतीय बल्लेबाजों ने इसी बदलाव को अपनाया. जिसके अच्छे नतीजे मिले. विराट कोहली सबसे उलट हैं. इंग्लैंड सीरीज में आप नोटिस करेंगे तो पाएंगे कि वो अपनी क्रीज से थोड़ा बाहर निकलकर खड़े हो रहे हैं. वो क्रीज से लगभग एक छोटा कदम बाहर रहते हैं. मुश्किल विकेटों पर इस तरह की दिलेरी दिखाना आसान काम नहीं है. विराट कोहली जानते हैं कि इंग्लैंड की पिचों पर गेंद ‘स्विंग’ और ‘सीम’ दोनों ‘खेल’ दिखाती है. इसीलिए उनकी कोशिश होती है कि गेंद टप्पा खाने के बाद इससे पहले कोई ‘खेल’ करे वो गेंद को समझ कर मनमाफिक शॉट्स खेल सकें. गेंद टप्पा खाने के बाद जितनी ज्यादा देर हवा में रहेगी उसके मिजाज के बदलने का उतना ज्यादा खतरा होगा. लिहाजा विराट कोहली एक कदम आगे रहते हैं. उनके इस बदलाव को आप बड़ी आसानी से नोटिस कर सकते हैं.
हिम्मत दिखाने का विराट को मिला फायदा
ये विराट कोहली की हिम्मत दिखाने का फायदा ही है कि इस सीरीज में वो अब तक सबसे ज्यादा रन बना चुके हैं. 2018 के इस दौरे से पहले इंग्लैंड का नाम आते ही लोग विराट कोहली के खराब रिकॉर्ड्स गिनाते थे. 2014 की वो सीरीज याद दिलाते थे जब विराट कोहली पूरी सीरीज में सवा से कुछ ही ज्यादा रन बना पाए थे. इस बार उन्होंने सारी कसर पूरी कर ली है. अब तक खेले गए 3 टेस्ट मैच में विराट कोहली 440 रन बना चुके हैं. उनकी औसत 73.33 की है. वो दो शतक लगा चुके हैं. बदकिस्मती से नॉटिंघम टेस्ट की पहली पारी में वो सिर्फ 3 रन से शतक से चूक गए थे वरना उनके अब तक तीन शतक होते. मौजूदा सीरीज में रन बनाने के मामले में भारत या इंग्लैंड का कोई और बल्लेबाज उनके आस पास भी नहीं है. सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाजों की फेहरिस्त में उनके बाद इंग्लैंड के जॉनी बेयरस्टो हैं जिन्होंने उनसे आधे रन भी नहीं बनाए हैं. बेयरस्टो के तीन टेस्ट मैच में कुल 206 रन हैं. विराट कोहली के इस फॉर्म से इंग्लैंड के गेंदबाज तो परेशान हैं ही वहां की मीडिया में भी विराट कोहली की हिम्मत भरी बल्लेबाजी की जमकर चर्चा हो रही है.