पूर्वांचल के दबंग नेता बृजभूषण शरण सिंह को हटाये बगैर क्या नहीं बचा कोई रास्ता?
महिला पहलवानों के यौन शोषण के गंभीर आरोपों में घिरे भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और यूपी से बीजेपी के सांसद बृजभूषण शरण सिंह पार्टी के गले की फांस बन गये हैं, जिन्हें पद से हटाना अब सरकार की भी मजबूरी बन चुकी है. हालांकि सिंह ने तमाम आरोपों से इनकार करते हुए इसे साजिश बताया है लेकिन ये मुद्दा अब इतना बड़ा बन गया है कि विपक्ष ने सरकार को चौतरफा घेर लिया है. लेकिन बीजेपी की मुश्किल ये है कि उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई होने से पूर्वांचल के एक बड़े हिस्से में जो संदेश जायेगा, उसका खामियाजा पार्टी को आगामी लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है. यही वजह है कि पार्टी उनके खिलाफ तत्काल कोई कार्रवाई करने से बच रही थी लेकिन अब सरकार के पास कोई रास्ता बचा हुआ नहीं दिखता.
इस बीच खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने चंडीगढ़ में कार्रवाई का इशारा देते हुए कहा कि अभी वो यहां पर हैं और दिल्ली जाते ही खिलाड़ियों से मुलाकात करेंगे. उन्होंने कहा, "खिलाड़ियों की बात सुनी जाएगी. काफी गंभीर आरोप खिलाड़ियों ने लगाए हैं. हम अपने सभी कार्यक्रम छोड़कर दिल्ली वापस जा रहे हैं और खिलाड़ियों से मुलाकात करेंगे". मंत्री ने कहा कि उनकी बात सुनी जाएगी और फिर आगे की कार्रवाई की जाएगी. सूत्रों की मानें तो रास्ता यही निकाला गया है कि 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाली कुश्ती महासंघ की बैठक में बृजभूषण शरण सिंह खुद ही अपने पद से इस्तीफा दे दें, ताकि महिला पहलवानों के गुस्से को शांत करके इस बवाल को और ज्यादा बढ़ने से रोका जाए. हालांकि इसकी कोई गारंटी नहीं है कि इस्तीफा देने के बाद भी ये मामला आसानी से खत्म हो ही जायेगा. वह इसलिये कि महिला पहलवानों ने सांसद के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज कराने की बात कही है. साथ ही दिल्ली महिला आयोग ने भी इन आरोपों के आधार पर पुलिस को सांसद के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिये हैं.
धरने पर बैठे पहलवानों से मिलने दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल भी पहुंची. उन्होंने कुश्ती महासंभ से महिला खिलाड़ियों द्वारा लगाए गए यौन शोषण के आरोपों का जवाब मांगा. स्वाती मालीवाल ने खेल मंत्रालय को नोटिस भी भेजा और स्थानीय पुलिस से इस मामले में केस दर्ज करने की मांग की.हालांकि गुरुवार को खेल मंत्रालय और पहलवानों के बीच हुई बैठक बेनतीजा ही रही. इस बैठक से पहलवान ज्यादा खुश नजर नहीं आये और पहलवानों ने कहा कि वह कुश्ती संघ के मुखिया का इस्तीफा लेकर ही रहेंगे. वहीं उन्होंने यह भी कह दिया कि जबतक उन्हें न्याय नहीं मिलेगा तबतक वह धरना जारी रखेंगे. बजरंग पुनिया ने कहा कि अगर 20 जनवरी तक कुश्ती फेडरेशन को बर्खास्त नहीं किया जाता है तो हम कुश्ती संघ के अध्यक्ष के खिलाफ FIR दर्ज करवाएंगे इसलिये कहना गलत नहीं होगा कि पूर्वांचल के इस दबंग सांसद ने लोकसंभा चुनाव से सवा साल पहले पार्टी को मुश्किल दोराहे पर ला खड़ा किया है.
दरअसल, अपनी जवानी के दिनों में पहलवानी करने के शौकीन रहे बृजभूषण शरण सिंह साल 2011 से भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष हैं और वह फरवरी 2019 में लगातार तीसरी बार डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष चुने गए थे.लेकिन पूर्वांचल की राजनीति में उन्हें एक बड़ा नाम माना जाता है. वह यूपी के गोंडा जिले की कैसरगंज सीट से बीजेपी सांसद हैं.उन्होंने पार्टी बदली और अपनी सीटें भी बदलीं लेकिन 1999 से लेकर अब तक वे कोई चुनाव नहीं हारे हैं और तबसे वे लगातार लोकसभा सांसद हैं.इससे पता चलता है कि वे मजबूत जनाधार वाले नेता हैं.लेकिन वह अपनी बेबाक बयानबाजी के लिए भी अक्सर विवादों में रहे हैं. वैसे मतभेद के चलते एक बारउन्होंने पार्टी छोड़ दी थी.साल 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने सपा के टिकट पर कैसरगंज से जीत दर्ज की. हालांकि, 2014 चुनाव से पहले वे फिर भाजपा में शामिल हो गए. इसके बाद 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव में वह कैसरगंज सीट से ही भाजपा के टिकट पर जीते. बृजभूषण के बेटे प्रतीक भूषण भी गोंडा से बीजेपी विधायक हैं. बृजभूषण शरण सिंह उन 40 आरोपियों में से एक थे, जिन्हें 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचा गिराने के लिए जिम्मेदार कहा गया था. हालांकि, लंबे समय तक कानूनी लड़ाई के बाद 30 सितंबर 2020 को कोर्ट ने उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया.लेकिन यौन शौषण के इन आरोपों ने उनके सियासी भविष्य पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है.
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