एक्सप्लोरर

इंटरनेशनल रिलेशंस में नया मोड़, बढ़ रहा पोलराइजेशन, चीन के करीब रूस का जाना भारत की विदेश नीति के लिए झटका

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग तीन दिवसीय रूस के दौरे पर हैं. उन्होंने ऐसे वक्त में मॉस्को का दौरा किया है जब एक तरफ जहां इंटरनेशनल कोर्ट ने वॉर क्राइम के अपराध में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया है तो वहीं दूसरी तरफ यूक्रेन जंग करीब एक साल से भी ज्यादा वक्त से लड़ी जा रही है. इन सबके बीच चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने हाल में सऊदी अरब और ईरान के बीच वर्षों पुरानी दुश्मनी को खत्म कर दोबारा राजनयिक संबंध शुरू करवाया. इसे मिडिल ईस्ट में जहां एक बड़ा उलटफेर माना जा सकता है तो वहीं दूसरी तरफ शी जिनपिंग ने यूक्रेन वॉर में मध्यस्थता की बात कही है.

ऐसे में अभी अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक नए मोड़ का माहौल है. चीन और रूस का एक साथ आना भारतीय विदेश नीति के लिए एक बहुत बड़ा शॉक है. भारत अब तक ये कोशिश करता रहा है कि उसका रूस के साथ बातचीत  के जितने चैनल हैं, सब खुले रहें. इसलिए भारत ने इस युद्ध को लेकर एक बहुत ही नाजुक और सामरिक रुख अपनाया है.

बढ़ रहा पोलराइजेशन

भारत, रूस की सार्वजनिक तौर से निंदा नहीं करता है. भारत ये चाह रहा है कि रूस और चीन संबंध इतने मजबूत न बन जाएं कि उससे भारत की सुरक्षा को खतरा पैदा हो. लेकिन जिस तरह के सामरिक माहौल में हम अभी हैं, उसमें पोलराइजेशन बढ़ ही रहा है.

इसलिए हमने देखा कि इस महीने की शुरुआत में जो G20 विदेश मंत्रियों की बैठक हुई थी, वो भी सफल नहीं हो पाई क्योंकि एक तरफ पश्चिम देश और जापान थे, तो दूसरी तरफ रूस और चीन जैसे देश थे. यूक्रेन वाले मुद्दे को लेकर ये अलग-अलग खेमे में बंटे हुए हैं. ये खेमेबाजी अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हर तरफ फैल गई है. उसको लेकर भारत की चिंताएं बनी हुई है. भारत की सबसे बड़ी सामरिक समस्या चीन है और चीन-रूस एक साथ आ जाते हैं, तो इससे भारत की चिंता बढ़ जाएगी. 

भारत ये कोशिश करता रहेगा कि उसका रूस के साथ जो पुराना मजबूत रिश्ता रहा है, वो आगे भी बढ़ता रहे. भारत चीन को लेकर भी ये कोशिश करता रहेगा कि समान सोच रखने वाले देश जैसे जापान, ऑस्ट्रेलिया, यूरोपियन देश और अमेरिका के साथ मिलकर काम करता रहेगा. साथ ही बीजिंग को ये संदेश देता रहेगा कि अगर वो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मनमाने तरीके से विस्तारवादी नीति जारी रखेगा तो ये संभव नहीं है. भारत रूस के साथ ही पश्चिमी देशों, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ एक ऐसा संबंध बनाना चाहता है, जिसमें भारत के हित साधे जा सकें. लेकिन अगर रूस और चीन के संबंध और मजबूत होते हैं, तो आने वाले समय में भारत के लिए वो एक बड़ी चुनौती होगी. 

ये साल भारत-जापान के लिए महत्वपूर्ण

जापान के प्रधानमंत्री किशिदा फुमियो का भारत दौरा द्विपक्षीय संबंधों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. भारत और जापान अपने संबंधों में एक ऐसे स्तर पर पहुंच गए हैं, जहां पर दोनों देशों का शीर्ष नेतृत्व लगातार एक-दूसरे के संपर्क में रहते हैं, लगातार मिलकर सामरिक और पारस्परिक चिंताओं के बारे में चर्चा करते रहते हैं.
ये एक नियमित चीज हो गई है. पिछले साल इन लोगों ने कई बार मुलाकात की. द्विपक्षीय मुलाकात भी हुई और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी अलग से मुलाकात हुई. जापान के साथ संबंधों में एक नया विश्वास दिखाई देता है. जापान के प्रधानमंत्री किशिदा फुमियो की ये जो यात्रा है, वो अपने आप में महत्वपूर्ण है क्योंकि फुमियो ने ये यात्रा प्राथमिकता से इसलिए की क्योंकि वे भारत के प्रधानमंत्री को G7 की बैठक में शामिल होने के लिए निजी तौर से आमंत्रित करना चाहते थे.

ये साल भारत और जापान दोनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. भारत के पास G20 की अध्यक्षता है और जापान के पास G7 की अध्यक्षता है. दुनिया पोलराइजेशन के फेज से गुजर रही है, ऐसे में भारत और जापान दोनों ये चाहते हैं कि G7 और G20 एक साथ मिलकर ग्लोबल गवर्नेंस के लिए कुछ ख़ास करें. उसको एक नया मोड़ दें, नई दिशा दें. किशिदा फुमियो की इस यात्रा का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है कि क्योंकि इस बार उनके एजेंडे में फ्री एंड ओपन इंडो पैसिफिक प्लान पर है जिसपर दोनों देशों के बीच चर्चा हुई है. 

चीन के आक्रामक रुख से भारत-जापान परेशान

चीन का जो आक्रामक रुख रहा है, वो पहले साउथ चाइना सी और ईस्ट चाइना सी में दिखा. उसके बाद हिमालयन बॉर्डर पर दिखा. चीन ने पूरे हिंद प्रशांत क्षेत्र को एक संदेश दिया है कि चीन का एग्रेशन सिर्फ मैरीटाइम तक सीमित है या फिर वो कोई निश्तित भौगोलिक सीमा तक सीमित है, ऐसा नहीं है. जापान पहला देश था जिसने चीन की इस मंशा को सबसे पहले भांप लिया था. जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने जब इंडो पैसिफिक प्लान की कल्पना की थी, उस समय उन्होंने इस बात का जिक्र किया था कि जो नया एक बैलेंस ऑफ पावर एशिया में उभर रहा है, वो हिंद-प्रशांत ही बनाएगा और वैसा ही हुआ.

हिंद-प्रशांत क्षेत्र को आज एक ही भौगोलिक क्षेत्र के तौर पर देखा जा रहा है और उसमें भारत की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है. भारत इसके ठीक बीच में है. भारत का जिस तरह से इंडियन ओशन में दबदबा है, उसको देखते हुए आप पैसिफिक ओशन में भारत के बगैर स्टैबल बैलेंस ऑफ पावर नहीं बना सकते. इस बात को पहली बार शिंजो आबे ने रेखांकित की थी और उस बात को ही आबे के उत्तराधिकारी भी आगे ले जा रहे हैं. उनमें किशिदा फुमियो भी शामिल हैं. इसमें न सिर्फ भारत और जापान मिलकर काम कर रहे हैं, बल्कि 10 दिन पहले जब यहां ऑस्ट्रेलियन पीएम एंथनी अल्बनीज थे, वो भी इसी मुद्दे को लेकर आगे बढ़ रहे हैं. भारत, जापान, आस्ट्रेलिया और अमेरिका को मिलाकर बना क्वाड भी इस बात को रेखांकित करता है कि किस तरह से एक समान सोच रखने वाले लोकतांत्रिक देश आपस में मिलकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों से निपट सकते हैं. इसलिए जब चीन जापान के साथ, ऑस्ट्रेलिया के साथ या भारत के साथ एक आक्रामक रुख दिखाता है, तो उसको ये भी पता होना चाहिए कि इन देशों की जो क्षमताएं हैं, वो अब एक साथ मिलकर चीन को टक्कर देने की तैयारी कर रही है.

पीएम मोदी सरकार में मजबूत हुए जापान से संबंध

जब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, तब से उन्होंने जापान पर बहुत ज्यादा कूटनीतिक निवेश किया है. उनका जापान के नेताओं के साथ निजी संबंध बेहद नजदीकी रहा है. अभी भी लोग मोदी-आबे की जोड़ी को याद रखते हैं. पिछले साल शिंजो आबे की हत्या कर दी गई, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण था. उस वक्त ऐसा लगा कि शायद अब जापान के लिए भारत की प्राथमिकता उतनी नहीं रहे क्योंकि शिंजो आबे ने जो निवेश किया था वो दोनों देशों के संबंधों के लिए बहुत मायने रखता था. लेकिन किशिदा फुमियो ने भी उसको आगे बढ़ाया है. वास्तव में किशिदा की जो रक्षा नीति है, उसने जापान को एक नया आयाम प्रदान किया है. वो भारत के लिए बहुत अच्छी ख़बर है क्योंकि भारत कई दशकों से इस बात को कहता रहा है कि जब जापान अपनी सिक्योरिटी पर्स्पेक्टिव को लेकर आगे बढ़ेगा, तो उसमें पाएगा कि भारत उसके साथ खड़ा है.

भारत और जापान के बीच कोई द्विपक्षीय मतभेद नहीं है. दोनों देश न सिर्फ़ सामरिक बल्कि आर्थिक तौर से भी जुड़े हुए हैं. उसमें जब जापान आगे बढ़ेगा, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी जगह बनाएगा, तो भारत वहां पर अपने आप जापान के साथ खड़ा होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात को हमेशा रेखांकित किया है. पहले शिंजो आबे और अब किशिदा फुमियो ने भी इस बात को रेखांकित करते हुए अपनी नीति बनाई है. इस बार भारत आकर किशिदा फुमियो ने G7 के एजेंडे को G20 के एजेंडे के साथ समन्वय करने की कोशिश कर रहे हैं, वो भी इस बात को रेखांकित करता है कि चाहे हमारे बीच यूक्रेन-रूस युद्ध को लेकर मतभेद भी हो, उसके बावजूद हम अपने सामरिक संबंधों को कमजोर नहीं होने देना चाह रहे हैं. 

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है. ये आर्टिकल हर्ष वी. पंत से बातचीत पर आधारित है]

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

Delhi Assembly Elections: BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
Axis My India Exit Poll 2024: मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
Shah Rukh Khan Death Threat: शाहरुख खान को मारने की धमकी देने वाले शख्स के थे ये खतरनाक मंसूबे, हुआ खुलासा
शाहरुख खान को मारने की धमकी देने वाले शख्स के थे ये खतरनाक मंसूबे, हुआ खुलासा
Virender Sehwag Son: जैसा पिता, वैसा बेटा! वीरेंद्र सहवाग के नाम 6 दोहरे शतक, अब 17 साल के बेटे ने किया कमाल
जैसा पिता, वैसा बेटा! वीरेंद्र सहवाग के नाम 6 दोहरे शतक, अब 17 साल के बेटे ने किया कमाल
ABP Premium

वीडियोज

Maharahstra assembly elections 2024: महाराष्ट्र की 47 सीटों के नए Exit Poll में महायुति को मिल रही 38+ सीटें | Elections 2024Arvind Kejriwal News: Delhi चुनाव से पहले शराब घोटाले में केजरीवाल को बड़ा झटका! | ABP NewsBJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?बाबा बागेश्वर की 'सनातन हिन्दू एकता' पदयात्रा शूरू | ABP News

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Delhi Assembly Elections: BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
Axis My India Exit Poll 2024: मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
Shah Rukh Khan Death Threat: शाहरुख खान को मारने की धमकी देने वाले शख्स के थे ये खतरनाक मंसूबे, हुआ खुलासा
शाहरुख खान को मारने की धमकी देने वाले शख्स के थे ये खतरनाक मंसूबे, हुआ खुलासा
Virender Sehwag Son: जैसा पिता, वैसा बेटा! वीरेंद्र सहवाग के नाम 6 दोहरे शतक, अब 17 साल के बेटे ने किया कमाल
जैसा पिता, वैसा बेटा! वीरेंद्र सहवाग के नाम 6 दोहरे शतक, अब 17 साल के बेटे ने किया कमाल
‘इंडिया की बाइक्स चला रहे और पाकिस्तानियों पर लगा दिया बैन‘, यूएई के शेख पर भड़की PAK की जनता
‘इंडिया की बाइक्स चला रहे और पाकिस्तानियों पर लगा दिया बैन‘, यूएई के शेख पर भड़की PAK की जनता
ठंड शुरू होते ही ऐसे बनाएं मक्के दी रोटी और सरसों का साग, ये रही रेसिपी
ठंड शुरू होते ही ऐसे बनाएं मक्के दी रोटी और सरसों का साग, ये रही रेसिपी
10 मिनट स्पॉट जॉगिंग या 45 मिनट वॉक कौन सी है बेहतर, जानें इसके फायदे
10 मिनट स्पॉट जॉगिंग या 45 मिनट वॉक कौन सी है बेहतर, जानें इसके फायदे
'बैलिस्टिक मिसाइल हमले पर चुप रहना', जब रूसी प्रवक्ता को लाइव प्रेस कॉन्फ्रेंस में आया कॉल
'बैलिस्टिक मिसाइल हमले पर चुप रहना', जब रूसी प्रवक्ता को लाइव प्रेस कॉन्फ्रेंस में आया कॉल
Embed widget