योग दिवस: 'योग जीवन पद्धति है, दिनचर्या का बने हिस्सा, पश्चिमी एक्सरसाइज की मिलावट सही नहीं'
योग दुनियाभर में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. योग एकमात्र ऐसी गारंटी है, जो पूरे मानवीय संरचना को स्वास्थ्य देता है, शांति देता है और आध्यात्मिक उछाल भी देता है. योग एकमात्र ऐसी चीज है जिससे आप शारीरिक फिटनेस हासिल कर सकते हैं, मेंटल रिलैक्सेशन प्राप्त कर सकते हैं. आप अपने स्पिरिचुअल ग्रोथ की ओर आगे बढ़ सकते हैं. आप अपने व्यक्तित्व को विकसित कर सकते हैं. योग से निर्णय लेने की क्षमता का भी विकास कर सकते हैं.
योग है एक संपूर्ण पैकेज
योग एक संपूर्ण पैकेज है. ये वो चीज है जिसे अपनाकर इंसान तमाम चीज हासिल कर सकता है. इन सब खासियत की वजह से आज योग न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में लोगों को आकर्षित कर रहा है.
आज लोगों की जैसी दिनचर्या है, उसमें योग का महत्व और बढ़ते जा रहा है. आजकल की जीवनशैली से कई बीमारियों का जन्म हो रहा है. जैसे हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज के मामले में भारत विश्व का राजधानी बनते जा रहा है. चूंकि यहां जनसंख्या ज्यादा है, तो ऐसे मामले भी ज्यादा हैं. ये लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियां हैं. उसी तरह तनाव भी लोगों को परेशान कर रहा है.
लोगों में आगे बढ़ने की छटपटाहट है. हम लोग उस देश से हैं जो तेजी से विकसित होना चाहता है. इस प्रक्रिया में आपको रोजमर्रा की कई चुनौतियों से जूझना पड़ता है. इसमें मानसिक रूप से थकावट होती है. इलेक्ट्रॉनिक गैजेट से लोग ज्यादा जुड़ रहे हैं. फिजिकल एक्टिविटी कम होते जा रही है. लोगों के सोने-उठने से लेकर खाने-पीने तक का चक्र बिगड़ रहा है. ऐसे लाइफस्टाइल डिसऑर्डर ज्यादा बढ़ा है.
योग एक जीवन पद्धति है
ऐसी स्थिति में योग एक जीवन पद्धति है, वो कोई एक्सरसाइज नहीं है. योग कोई पूजा-पाठ नहीं है. योग को हमारे ऋषियों ने एक सुंदर जीवन पद्धति के रूप में अंगीकार किया है. योग को दैनिक जीवन का हिस्सा बनाया. जैसे-जैसे योग दैनिक जीवन का हिस्सा बनते जाएगा, वैसे-वैसे दैनिक जीवन में होने वाले तनाव और बीमारियों से मुक्ति मिलते जाएगी.
पहले हमारे पास इतने संसाधन नहीं थे. अभी हमारे पास जो इलेक्ट्रॉनिक साधन हैं, उससे योग के लोकप्रिय होने में मदद मिली. मॉडर्न टाइम में योग फेमस हो रहा है, टीवी पर दिख रहा है, योग की बातें ज्यादा हो रही हैं, लेकिन अगर आप 100 लोगों से बात करेंगे तो उनमें से 80 लोग योगाभ्यास नहीं करते हैं. लोग जानते है कि योग अच्छा है, लेकिन अंगीकार नहीं करते हैं.
ऐसे में मुझे लगता है कि सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक साधनों से योग प्रचारित हो जाए, इससे काम नहीं होने वाला है. पहले की तरह योग को जीवन पद्धति का हिस्सा बनाना पड़ेगा. उस पर काम करने की जरूरत है. तभी उसका लाभ जन-जन में दिखेगा. हम क्यों डायबिटीज की राजधानी बन रहे हैं. क्यों हमारे युवाओं में हृदय रोग ज्यादा हो रहे हैं. युवा आबादी हार्ट अटैक का शिकार हो रहा है. योग को हमने ठीक से घर-घर पहुंचाया नहीं है.
पश्चिमी एक्सरसाइज की मिलावट सही नहीं
एक और दुर्भाग्य की बात है कि योग के नाम पर हम पश्चिमी एक्सरसाइज को अपना रहे हैं. पहले भारत से योग निकला. यहां लोग ट्रेंड हुए और वे लोग वहां जाकर पश्चिमी एक्सरसाइज का योग में मिलावट कर दिया. चूंकि हम मानसिक गुलामी को बहुत तरीके से झेल रहे हैं, तो हम पश्चिमी एक्सरसाइज को अपनाने लगे. बड़े-बड़े मंचों पर योग के नाम पर एक्सरसाइज को और उछल-कूद को परोसा जा रहा है.
पतंजलि के जो मंत्र थे 'स्थिर सुखम आसनम' की जगह 'उछलम कूदम आसन' किया जा रहा है. इस विषय पर भी हमें योग दिवस के मौके पर संज्ञान लेने की आवश्यकता है. गंभीरता से विचार करने की जरूरत है. हमारी जो सनातन योग की सहज और सरल पद्धति थी, उसको फिर से पुनर्स्थापित करने की आवश्यकता है.
जो योग नहीं करते हैं, मैं उनको यही कहूंगा कि वे अभी खाली स्लेट की तरह है, उसमें कुछ भी लिखा जा सकता है. वे संकल्पित हो. शुरुआत में मयूरासन, शीर्षासन, पद्मासन जैसे फेमस आसनों के फेर में न फंसें. जो बेसिक आसन हैं, उन 5 या 10 आसनों से शुरुआत करनी चाहिए. कुछ आसान सा प्राणायाम कोई भी कर सकता है. शुरुआत सहज और सरल चीजों से कीजिए. जैसे ही उससे लाभ मिलने लगे, आप भरोसा योग को लेकर बढ़ेगा और आप उस भरोसे से आगे बढ़ पाएंगे.
सहज और सरलता से करने की जरूरत
जब टीवी देखकर कोई योग सीखता है, तो उसको लगता है कि उससे पेट घूमाने की प्रक्रिया तो होगी नहीं. ऐसे में हम योग से भागते हैं. योग को अगर हम चमत्कार की तरह मानने लगेंगे, तो ये आम जन का हिस्सा नहीं बन पाएगा. हमे दिखाना और बताना पड़ेगा कि योग एकदम से सरल है. ये हंसने-खेलने जैसा है. इस तरह से अगर हम योग को देखें और दिखाएं तो योग का और विस्तार होगा. इससे लोगों का और भला होगा.
योग से शारीरिक, मानसिक, इमोशनल स्तर पर फायदे हैं. जो भी फिजिकल एक्टिविटी है, उसका कुछ नुकसान भी देखने को मिलता है. जो मॉडर्न एक्सरसाइज सिस्टम है, उसमें खुशियां कम है और गम बेशुमार है. लेकिन अगर आप योग को सिस्टमैटिक तरीके से करते हैं तो ये शरीर के हर हिस्से को मजबूत करता है. प्राणायाम आपके अंदर के सारे टॉक्सिक एलिमेंट को खत्म करता है. आप थोड़ा भी तनाव में हैं, भ्रामरी कर लें तो तुरंत आराम मिलेगा.
आज के दौर में हर आदमी में तनाव और एंजाइटी है. हर आदमी मानसिक रूप से थका पाता है. योग कलियुग का एक वरदान है, जिसको सहजता से करने पर कई स्तर पर फायदा मिलता है. हमारे ऋषियों ने कहा है कि योग से हम आने वाले दु:खों को टाल सकते हैं. भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि हे अर्जुन, अगर दु:ख है तो तुम इसे योग से दूर कर सकते हो..कुरुक्षेत्र छोड़ने की जरूरत नहीं है, योग अपनाओ.
[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]