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Opinion : पाकिस्तान की कोई भी सरकार निर्भर है सेना के रहमोकरम पर, पड़ोसियों से संबंध बिगाड़ना पड़ेगा भारी

भारत और पाकिस्तान के बीच का सबंध कई दशकों से वैसा ही है जैसा कि पहले था, यानी बिगड़ा हुआ ही है. उसमें सुधार नहीं हुआ है. हालिया दौर में पाकिस्तान का अफगानिस्तान के साथ भी तनाव चरम पर है तो वहीं ईरान के साथ भी पाकिस्तान के सबंध बिगड़ गए है. पहले ईरान ने ड्रोन और मिसाइल से पाकिस्तान पर हमला किया तो जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान ने भी ईरान पर हमला बोल दिया. इसके साथ ही दोनों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया. पाकिस्तान के घरेलू हालात भी बहुत ठीक नहीं हैं. बलूचिस्तान से सिध तक पाकिस्तान में उपद्रव हो रहा है. ऐसे माहौल में पाकिस्तान में अगले माह फरवरी में चुनाव कैसे हो पाएगा, इस पर भी सवाल उठने लगे हैं. 

पाकिस्तान और ईरान के संबंध 2014 से खराब

दोनों के बीच सबंध बिगड़ने का कारण है पाकिस्तान द्वारा ईरान की बात की अनसुनी कर देना. ईरान पाकिस्तान को बार बार समझा रहा था कि वो अपने अंदर आतंकवादी संगठन जैश-अल-अदल को न पलने दे, लेकिन पाकिस्तान ने ईरान की बात को नजरअंदाज कर दिया. यहीं नहीं कुछ समय पहले आतंकवादी संगठन जैश-अल-अदल ने ईरान के सुरक्षाबलों पर हमला किया था. जिसके जवाब में ईरान ने बलूचिस्तान पर ड्रोन और मिसाइल के माध्यम से हमला किया. इसके बाद पाकिस्तान ने भी ईरान पर हमला किया. इसी बीच फरवरी में पाकिस्तान में चुनाव भी होने वाले है. हम यह जानते हैं कि ईरान ने बलूचिस्तान पर मिसाइल से हमला किया है. ये तुरंत की गयी घटना नहीं है, न ही यह कोई त्वरित कार्रवाई है.

पाकिस्तान और ईरान के बीच के सबंध 2014 से ही खराब स्थिति में है. कई बार पाकिस्तान ने ईरान पर छोटे-मोटे अटैक किए हैं और कई बार ईरान ने भी पाकिस्तान पर हमले किए है. इसका एक कारण यह है कि वहां का सिस्तान एरिया, जो कि बलूचिस्तान का बॉर्डर है. वहां जो गतिविधियां हो रही है उस एरिया में पाकिस्तानी आतंकी संगठन है वो ईरानी टेरिटरी पर जाकर समस्या पैदा कर रहे हैं. अभी के अटैक के बारे में बात करें तो ईरान ने यह हमला पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन जैश-अल-अदल को खत्म करने के लिए किया था, जिसमें दो- तीन बच्चे भी मारे गए थे. पाकिस्तान ने भी इसके बदले में ईरान में अटैक किया जिसमें नौ लोगों के मारे जाने की खबर सामने आई है. कहीं न कहीं ईरान को अंदरूनी दबाव है, जिसके चलते ईरान ने पाकिस्तान के साथ-साथ कई और देशों में भी हमला किया है. 

ईरान के भारत से अच्छे संबंध

दूसरी ओर ईरान पाकिस्तान को यह बताना चाहता था कि आप बार- बार आक्रमण कर रहे हैं तो हम भी चुप नहीं रहेंगे. पाकिस्तान के लिए ये एक बहुत ही नेगेटिव प्वाइंट है क्योंकि चीन के दृष्टिकोण से देखें तो चीन के ईरान से भी अच्छे सबंध है और पाकिस्तान से भी अच्छे सबंध हैं. चीन ने तो यह भी कहा है कि वह समझौता करने के लिए भी तैयार हैं. भारत की दृष्टि से बात करें तो ये अच्छा है क्योंकि ईरान भारत का समर्थक रहा है. एक तरह से देखा जाए तो सुरक्षा के उद्देश्य से ये भारत के लिए सही है वहीं पाकिस्तान के लिए यह बुरी खबर है. इसमें कोई शक नहीं है कि पाकिस्तान इस्लामिक ऑर्गेनाइजेशन कंट्री का एक सदस्य है. लेकिन हम हिस्टोरिकल बैकग्राउंड में देखे तो वहां जो शिया और सुन्नी मुसलमान के बीच जो दरार है वो अफगान युद्ध के समय से देखें, तो यह दरार साफ दिखेगी, यह फर्क साफ पता चलेगा. किस तरह से सउदी अरब, यूएई ये लोग जो भी फंडिग करते है वो सुन्नी ग्रुप्स को करते है. ईरान वहां के शिया ग्रुप को सपोर्ट करता है. 

पाकिस्तान में सरकार के नाम पर सेना

पाकिस्तान और ईरान के बीच औपचारिक सबंध रहे है. जिस दिन अटैक हो रहा था उस दिन पाकिस्तान और ईरान, का संयुक्त नौसैनिक अभियान चल रहा था, लेकिन  हमला भी हुआ. प्रत्यक्ष रुप से देखा जाए तो जो ईरान का पाकिस्तानी सपोर्टेड ग्रुप है, उन सब को शिया सपोर्टेड ग्रुप्स है और वहां के मदरसा, उन सब को ईरान पूरी तरह पैसा दे रहा है और साथ ही अपनी आइडियोलॉजी को प्रमोट कर रहा है. यूएई और सऊदी अरब की फंडिग, चाहे लश्कर का ग्रुप हो या लश्करे ए जंग, जितने भी मिलिटेंट ग्रुप है जो कि सुन्नी है, इनको फंडिग सऊदी अरब से मिल रही है, लेकिन जैश ए मोहम्मद (पाकिस्तान) का शिया ग्रुप है, इन सभी को ईरान के द्वारा फंडिग मिल रही है. ईरान ने 70 के दशक के बाद से पाकिस्तानी राजनीति में हस्तक्षेप करना शुरू किया है.

पाकिस्तान में 8 फरवरी में चुनाव भी होने वाले है. इमरान खान की पार्टी की बात करें तो इनकी पार्टी चुनाव तो लड़ रही है. चुनाव आर्मी की देख रेख में पूरी होगी. भारत की दृष्टि से देखे तो वहां शुरू से ही पॉलिटिकल एलीट हैं. चाहें जो भी सरकार हो, वह ताकतवर फैसला लेने में सक्षम नहीं होगी. उनमें अभी भी प्रजातंत्र का विकास नहीं हो पाया है. जब तक वहां सेना का दबाव रहेगा तब तक प्रजातांत्रिक सरकार फैसले लेने में सक्षम नहीं होगी. चुनाव में भी वहींं पार्टी जीतेगी जिसे आर्मी का सपोर्ट है. भारत को ये उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि पाकिस्तान की सरकार बदल जाएगी तो वहां के व्यवहार में बदलाव हो जाएगा. पाकिस्तान का व्यवहार भारत के प्रति वही रहेगा जो हमेशा से रहा है.

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.] 

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