अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में ऐसा कई बार होता है जब किसी खिलाड़ी की सामान्य सी बात उसके लिए ताकत बन जाती है. इसका उलटा भी होता है. ये दोनों स्थितियां इस बात पर निर्भर करती हैं कि बतौर क्रिकेटर आपकी खासियत क्या है और आप किस समयकाल में खेल रहे हैं. मसलन- घरेलू क्रिकेट के कई बड़े सलामी बल्लेबाज अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट सिर्फ इसलिए नहीं खेल पाए क्योंकि जब वो घरेलू क्रिकेट में कमाल कर रहे थे तब देश के लिए श्रीकांत, सचिन तेंडुलकर या वीरेंद्र सहवाग जैसे सलामी बल्लेबाज खेल रहे थे. जिनके रहते किसी और को खिलाने के बारे में सोचा तक नहीं जा सकता था.


घरेलू क्रिकेट में धूम मचाने के बाद भी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट ना खेल पाने वाले दर्जनों बल्लेबाजों में आप विजय तैलंग से लेकर अमोल मजूमदार तक का नाम गिन सकते हैं. ठीक ऐसे ही कई बार टीम को ऐसी जरूरत होती है जहां कोई खिलाड़ी अचानक ही ‘फिट’ हो जाता है. इस परिस्थिति का जिक्र हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि इन दिनों टीम इंडिया में खेल रहे खलील अहमद के साथ लगभग ऐसा ही ‘केस’ है.


बचपन में जब उन्होंने खेलना शुरू किया होगा तो बाएं हाथ से गेंदबाजी उन्हें स्वाभाविक आई होगी. उन्हें नहीं पता रहा होगा कि बाएं हाथ का गेंदबाज होना ही उनकी ताकत बन जाएगा. लेकिन इसे किस्मत ही कहिए कि इस समय उनका बाएं हाथ से गेंदबाजी करना ही विराट कोहली का सबसे बड़ा लालच है. ये कहानी आपको समझाते हैं.


विराट क्यों दे रहे हैं खलील को मौका


विराट कोहली की कप्तानी में तेज गेंदबाजों ने शानदार प्रदर्शन किया है. टेस्ट क्रिकेट में जहां हम विदेशी पिचों पर पिटते थे. वहां भी तेज गेंदबाजों ने कमाल दिखाया है. दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड के दौरे पर भारतीय तेज गेंदबाजों की टोली ने कमाल का प्रदर्शन किया था. ये प्रदर्शन वनडे और टी-20 क्रिकेट में भी कायम है. बावजूद इसके विराट कोहली की एक बड़ी परेशानी हैं. इस वक्त टेस्ट, टी-20 और वनडे क्रिकेट को मिलाकर भारतीय टीम के पास पांच फुलटाइम तेज गेंदबाज हैं.


जसप्रीत बुमराह, भुवनेश्वर कुमार, ईशांत शर्मा, उमेश यादव और मोहम्मद शामी. इन पांचों गेंदबाजों की एक ‘लिमिटेशन’ है. ये पांच के पांच गेंदबाज दाएं हाथ से गेंदबाजी करते हैं. इसके अलावा पिछले दिनों टीम में बतौर ऑलराउंडर जगह बनाने वाले हार्दिक पांड्या भी दाएं हाथ से गेंदबाजी करते हैं.


हालांकि इन दिनों वो अनफिट हैं और टीम से बाहर हैं. अब विराट कोहली की परेशानी ये है कि उन्हें अगर प्लेइंग 11 में वेरिएशन के लिए एक बाएं हाथ का गेंदबाज चाहिए तो उनके पास खलील अहमद को छोड़कर कोई विकल्प बचता नहीं है. लिमिटेड ओवर में ये परेशानी है.


इस ‘खासियत’ के अलावा भी खलील को प्रदर्शन करना होगा


खलील अहमद को प्लेइंग 11 में जगह तो मिल जाती है लेकिन वो अब तक अपनी छाप नहीं छोड़ पाए हैं. बाएं हाथ के गेंदबाज की जो ‘स्टॉक डेलीवरी’ होती है वो अब तक फेंकने में नाकाम रहे हैं. वेस्टइंडीज के खिलाफ सीरीज के दौरान चौथे वनडे को छोड़कर उन्होंने अब तक खेले गए बाकि मैचों में काफी रन दिए हैं. वेस्टइंडीज के खिलाफ चौथे वनडे में उन्होंने 5 ओवर में सिर्फ 13 रन देकर 3 विकेट लिए थे.


इससे पहले खेले गए दो वनडे मैचों में वो काफी महंगे साबित हुए थे. उन दोनों वनडे मैचों में उन्होंने 60 से ज्यादा रन दिए थे. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हालिया टी-20 सीरीज में भी कहानी कुछ ऐसी ही है. पहले टी-20 मैच में उन्होंने 42 रन दिए. भारतीय टीम वो मैच 4 रनों से हार गई थी.


उस मैच का फैसला डकवर्थ लुइस नियम से हुआ था. बारिश की वजह से दूसरे मैच का नतीजा नहीं निकला. उस मैच में भी खलील अहमद ने 39 रन लुटाए. आखिरी टी-20 मैच के लिए अगर उन्हें विराट कोहली फिर से मौका देते हैं तो उन्हें सावधान रहना होगा. गेंदबाजी में जी-जान लगाना होगा. अपने बॉलिंग वेरिएशन और लाइन लेंथ से साबित करना होगा कि वो सिर्फ बाएं हाथ का गेंदबाज होने के नाते टीम इंडिया में नहीं हैं. भूलना नहीं चाहिए कि उमेश यादव बाहर बैठे हैं. जल्द ही हार्दिक पांड्या भी टीम में वापसी करेंगे. ऐसे में उन्हें अपनी जगह बचाए रखने के लिए विकेट लेने होंगे.