पुरानी कहावत है कि जो दूसरों के लिए कुआ खोदता है, पहले वही उसमें गिरता है. बॉम्बे हाइकोर्ट ने शाहरुख खान (Shah Rukh Khan) के बेटे आर्यन खान (Aryan Khan) को दी गई जमानत का आज जो विस्तृत बेल आर्डर (Bail Order) जारी किया है, उससे ये आरोप और भी ज्यादा पुख्ता हो गया कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने जिस किसी भी साजिश के तहत इस पूरे ड्रग्स केस का जाल बुना था, अब खुद वही उसमें फंसती नज़र आ रही है. 


एनसीबी के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े ने जिस नॉन प्रोफेशनल तरीके से ये पूरा मामला तैयार किया, उससे ये सवाल भी उठ खड़ा हुआ है कि क्या अभी तक एनसीबी को चंद प्राइवेट लोगों ही चला रहे थे? और क्या सरकारी अफसर इन पंचों (गवाहों) के भरोसे ही आंखें मूंदकर किसी भी केस में रेड डालने को निकल पड़ते थे?
               
ये सवाल इसलिये अहम है कि हाइकोर्ट ने अपने जमानती आदेश में बिल्कुल साफ कह दिया है कि रिकॉर्ड पर ऐसी कोई सामग्री नहीं मिली है, जिससे साबित होता हो कि आर्यन खान ने अपने दो दोस्तों अरबाज मर्चेंट और  मुनमुन धमेचा के साथ मिलकर किसी आपराधिक साजिश को अंजाम दिया हो. इस हाई प्रोफाइल केस में कोर्ट की ये टिप्पणी एनसीबी की पूरी कार्यप्रणाली पर एक करारा तमाचा तो है ही, साथ ही ये महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक के उस आरोप को भी और पुख्ता करता है जो पहले दिन से ही वे लगा रहे हैं कि "ये पूरा केस ही किडनैपिंग व फिरौती वसूलने की एक साजिश थी."


इस ड्रग्स केस की शुरुआत से ही ये सवाल उठाए जा रहे थे कि वानखेड़े ने पूरे मामले में जांच एजेंसी की 'रूल बुक' की प्रक्रिया को नहीं अपनाया और अपनी मर्जी से ही एक मामूली-से मामले को बेहद संगीन बनाकर पेश किया. आर्यन के वकीलों ने अपनी इस दलील पर सबसे ज्यादा जोर दिया था कि क्रूज़ पर तलाशी के दौरान आर्यन से कोई ड्रग बरामद नहीं हुई थी और उसे एनसीबी दफ्तर लाकर झूठा पंचनामा बनाया गया जिसमें उससे ड्रग्स बरामद होने का दावा किया गया और उस पर जबरन हस्ताक्षर करवाये गए.हाइकोर्ट ने भी इस दलील को सही माना है और इस आदेश में कहा है कि "आर्यन खान के पास से कोई भी आपत्तिजनक पदार्थ नहीं मिला है और इस तथ्य पर कोई विवाद भी नहीं है. मर्चेंट और धमेचा के पास से अवैध मादक पदार्थ पाया गया, जिसकी मात्रा बेहद कम थी." 


समीर वानखेड़े के लिए हाइकोर्ट का ये बेल आर्डर एक बड़ा झटका इसलिये भी है कि उन्होंने अपनी हिरासत में आर्यन का जो बयान तैयार करवाया था और जिसे वे एक बड़े हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे थे, कोर्ट ने उसे भी ठुकरा दिया है. इस आदेश में कहा गया है कि "NDPA अधिनियम की धारा 67 के तहत एनसीबी ने आर्यन खान का जो स्वीकृति बयान दर्ज किया है, उसपर केवल जांच के मकसद से गौर किया जा सकता है और उसका इस्तेमाल यह निष्कर्ष निकालने के लिए हथियार के तौर पर नहीं किया जा सकता कि आरोपी ने एनडीपीएस अधिनियम के तहत कोई अपराध किया है."


आर्यन खान के मोबाइल की जिस व्हाट्सप्प चैट को लेकर वानखेड़े की टीम कूद रही थी, उसमें भी कोर्ट को ऐसा कुछ नज़र नहीं आया, जिसके आधार पर ये कहा जा सके कि वो ड्रग्स लेने के पुराने आदी हैं या फिर ड्रग पैडलर से उनके कोई संबंध हैं. कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि आर्यन खान (Aryan Khan) के मोबाइल फोन से लिए गए वाट्सएप चैट से पता चलता है कि ऐसा कुछ आपत्तिजनक नहीं पाया गया, जो दिखाता हो कि उसने, मर्चेंट और धमेचा और मामले के अन्य आरोपियों ने अपराध करने की साजिश रची हो.


इतना ही नहीं, कोर्ट ने ऑर्डर में यह भी कहा कि एनसीबी की हिरासत में लिए जाने के बाद तीनों का मेडिकल चेकअप भी नहीं कराया गया था, जिससे पता चले कि उन्होंने सही में उसी समय ड्रग्स लिये थे. कोर्ट ने आर्यन और अन्य आरोपियों को लेकर जो बातें कहीं उस पर महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक की भी प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने एक ट्वीट को रीट्वीट करते हुए कहा कि फर्जीवाड़ा एक्सपोज़ हो गया है. बता दें कि इस मामले में नवाब मलिक लगातार दावा करते रहे हैं कि आर्यन खान को फंसाया गया है.उन्होंने वानखेड़े पर आर्यन की किडनैपिंग करके फिरौती मांगने का आरोप भी लगाया है,जिसकी जांच महाराष्ट्र सरकार द्वारा गठित एसआईटी कर रही है.इस मामले में अपनी संभावित गिरफ्तारी पर रोक लगाने की गुहार लेकर वानखेड़े बॉम्बे हाइकोर्ट की शरण में गए थे.लेकिन वहां से उन्हें कोई बड़ी राहत नहीं मिली थी और कोर्ट ने सिर्फ इतनी छूट दी थी कि कोई भी कठोर कार्रवाई किये जाने से पहले एसआईटी उन्हें 72 घंटे का नोटिस देगी. कानून की भाषा में इसे प्री अरेस्ट नोटिस कहा जाता है.लेकिन आज जारी इस आदेश के बाद एसआईटी के हौंसले और बढ़ जाएंगे और उसकी जांच में तेजी आते ही वानखेड़े की मुश्किलें भी बढ़ती जाएंगी.


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