तो क्या भारत पर सचमुच युध्द के खतरे के बादल मंडरा रहे हैं या फिर दो पड़ोसी मुल्क ऐसा करने के लिए हमें उकसा रहे हैं? ये सवाल इसलिये कि आज़ाद भारत के इतिहास में देश के किसी रक्षा मंत्री ने शायद पहली बार सार्वजनिक तौर पर अपनी तीनों सेनाओं को ये कहते हुए आगाह किया है कि "बेहद 'शॉर्ट नोटिस' पर किसी भी आकस्मिक जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार रहना होगा." हालांकि सब जानते हैं कि पाकिस्तान और चीन के साथ हमारे रिश्ते बेहद तनावपूर्ण हालात से गुजर रहे हैं, लेकिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की इस चेतावनी से इतना तो साफ हो ही गया है कि इन दोनों देशों के साथ लगती हमारी सीमाओं पर हालात खतरे के निशान को पार होते दिख रहे हैं. अगर रक्षा मंत्री साफ तौर पर ये कहें कि देश की सीमाओं पर हालात बेहद अस्थिर हैं, तो मतलब साफ है कि दुश्मन हमें जंग के लिये उकसाने के साथ ही ललकार भी रहा है.


दुश्मन को कमजोर न आंकने और खुद को जरुरत से ज्यादा सतर्क रखने की ये नसीहत राजनाथ सिंह ने कल यानी बुधवार को दिल्ली में शुरु हुई वायुसेना के कमांर्ड्स कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए कही है. सामरिक कूटनीति के जानकारों की नज़र में उनकी इस चेतावनी के बेहद गहरे मायने हैं क्योंकि इसी दिन भारत ने सात देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (NSA) के साथ मिलकर अफगानिस्तान के हालात और तालिबान के खतरों से निपटने की रणनीति बनाने पर विचार-विमर्श शुरु किया है. इस बैठक का पाकिस्तान और चीन ने बहिष्कार करके ये इशारा दे दिया है कि उन दोनों को भारत से ज्यादा लगाव तालिबान से है क्योंकि वे उसके जरिये ही भारत में अस्थिरता फैलाने को अंजाम देने की सोच रहे हैं और कुछ हद तक कश्मीर घाटी से वे इसकी शुरुआत भी कर चुके हैं.


दरअसल, भारत के लिए चीन अब पहले से भी कहीं अधिक दोधारी तलवार का खतरा बनता जा रहा है.वह लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश से लगी सीमा पर तो भारत को परेशान करने का हर हथकंडा अपना ही रहा है लेकिन अब उसने पाकिस्तान और तालिबान को दिल खोलकर मदद देने में और भी इज़ाफ़ा कर दिया है,ताकि वो भारत को कश्मीर के मोर्चे पर लगातार तंग करते रहें.भारत उसकी इन हरकतों से जरा भी अनजान नहीं है लेकिन हमारी सामरिक कूटनीति हमेशा से ये रही है कि टकराव की पहल कभी भारत नहीं करेगा लेकिन वो उसका मुंहतोड़ जवाब देने से पीछे भी नहीं हटेगा. सूत्रों की मानें,तो सुरक्षा से जुड़ी खुफिया एजेंसियों ने पिछले कुछ दिनों से चीन और पाक सीमा पर हों रही गतिविधियों में यकायक आई तेजी देखने के बाद सरकार को जो इनपुट्स दिए हैं,उसी आधार पर राजनाथ सिंह को इतने पुरजोर तरीके से अपनी तीनों सेनाओं को आगाह करना पड़ा है. लेकिन ऐसी कोई भी स्थिति पैदा होने पर किसी भी देश की वायु सेना का सबसे अहम और निर्णायक रोल होता है.


यही कारण है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कल अपने संबोधन में इस पहलू पर खास जोर देते हुए कहा कि "भविष्य में जो भी युद्ध होगा उसमें वायुसेना की एक अहम भूमिका होगी. ऐसे में वायुसेना को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, बिग डाटा हैंडलिंग और मशीन-लर्निंग के जरिए अपनी क्षमताओं को और ज्यादा धार देनी होगी. साथ ही देश की सीमाओं पर जिस तरह के 'वोलेटाइल' हालात बन रहे हैं,उसे देखते हुए हमारी सशस्त्र सेनाओं को शॉर्ट नोटिस पर जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार रहने की जरूरत है."


हालांकि इस हक़ीक़त को झुठलाया नहीं जा सकता कि सैन्य शक्ति के लिहाज से चीन हमसे आगे है और पाकिस्तान बहुत पीछे. लेकिन दुनिया के मंच पर चीन को उसकी कुटिल नीतियों के चलते ही ज्यादा खूंखार समझा जाता है. अब उसने भारत को परेशान करने के मकसद से ही पाकिस्तान को तोहफे के रुप में वो सब कुछ देना भी शुरु कर दिया है, जो थोड़ा हैरान करने वाला है. हाल ही में चीन ने अपने यहाँ बनाया गया ऐसा वॉरशिप जहाज पाकिस्तान को दिया है,जो समुद्र में हर तरह से दुश्मन सेना से मुकाबला कर सकता है. वो जहाज़ मिलने के बाद पाकिस्तान की अकड़ कुछ ऐसी बढ़ गई है,मानो अरब सागर का वही अब इकलौता बादशाह है.


हालांकि खैरात में मिले इस जंगी जहाज़ के बाद भी अब उसकी नौ सेना के पास ऐसे महज़  तीन जहाज़ ही हैं,जबकि भारत के पास उसी तरह की मिसाइलों व अन्य हथियारों से लैस 13 जहाज हैं. रक्षा विशेषज्ञ डी के शर्मा के मुताबिक " फिलहाल भारत के लिए चीन बड़ा खतरा बन रहा है क्योंकि वो अपना आधुकनिकतम साजो-सामान पाकिस्तान को ट्रांसफर कर रहा है. ये जहाज देकर उसने अरब सागर में पाकिस्तान को एक तरह से अपना चौकीदार नियुक्त कर दिया है. लेकिन चीन आगे भी उसे अपने लेटेस्ट उपकरण देकर उसकी सैन्य ताकत को बढ़ाता रहेगा,ताकि वो भारत को चैन से न रहने दे."


यही वजह है कि दो पड़ोसी मुल्कों की बढ़ती हुई ताकत को देखते हुए ही भारत ने अपनी तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल बनाने के मकसद से एक संयुक्त थिएटर कमांड बनाने का फैसला किया है. इस योजना पर तेजी से काम भी हो रहा है. लेकिन उम्मीद करनी चाहिए कि दुश्मन के नापाक मंसूबों के पूरा होने से पहले ही ये कमांड अपना काम शुरु कर देगी.



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