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BLOG : पुराने 'टेरर रूट' से मिली है आईएस आतंकियों को मदद, खतरा अभी टला नहीं !
खतरनाक आतंकी संगठन आईएस ने भारत में अपने पहले हमले को अंजाम दे दिया है. हालांकि, पहली नापाक हरकत के बाद ही उसे मुंहतोड़ जवाब दिया जा चुका है. आईएस के कथित पहले मॉड्यूल की भारत में कमर टूट चुकी है. हालांकि, अभी खतरा टला नहीं है. क्योंकि अभी तक करीब आधा दर्जन आतंकी ही पुलिस के हाथ लगे हैं.
एजेंसियों को बड़ी रणनीति के साथ मुकाबला करना होगा
यह हमला और एनकाउंटर एक बड़े खतरे की तरफ इशारा कर रहा है. क्योंकि, आईएस को जो मदद मिल रही है वह चिंताजनक है. लखनऊ में इन्होंने घर ले लिया था और ट्रेन में आराम से यात्रा कर रहे थे. इनके पास छोटे-छोटे ट्रेन रूटों की जानकारी भी है. ऐसे में एजेंसियों को बड़ी रणनीति के साथ मुकाबला करना होगा.
मॉड्यूल ने मिलकर बड़ी घटना को अंजाम देने की योजना बनाई थी
जबकि, इंटेलिजेंस का इनपुट है कि 18 से 20 आतंकियों के मॉड्यूल ने मिलकर बड़ी घटना को अंजाम देने की योजना बनाई थी. ऐसे में अन्य आतंकियों को खोजना और उन्हें अंजाम तक पहुंचाना बड़ी चुनौती है. यूपी, एमपी के अलग-अलग स्थानों पर छापे मारे जा रहे हैं. कई लोगों को हिरासत में लिया गया है.
2007 में केरल में आतंकी संगठन की ओर से बकायदे ट्रेनिंग कैंप लगा था
इस बीच ध्यान देने वाली बात यह है कि आईएस ने अपना जाल बिछाना वहीं से शुरू किया हैं जहां से 2007 में आतंकी संगठन सिमी ने शुरू किया था. 2007 में केरल में आतंकी संगठन की ओर से बकायदे ट्रेनिंग कैंप लगाया गया था जिस सिलसिले में कई आतंकी पकड़े भी गए. केरल से आतंकियों का यह तार देश के दूसरे हिस्से यानि कोलकाता तक पहुंचा था.
कई दिनों से खबरे आ रही हैं कि केरल में ही आईएस सक्रिय हुआ है
इसके साथ ही पिछले कई दिनों से खबरे आ रही हैं कि केरल में ही आईएस सक्रिय हुआ है. वहां के कई नौजवानों को बरगला कर वह ट्रेनिंग भी करा चुका है. पिछले दिनों जो भी इनपुट मिले हैं उसके तहत तेलंगाना, गुजरात, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में इनकी सक्रियता के प्रमाण मिले थे.
आईएस के निशाने पर देश के युवा हैं. जिसमें लड़कियां भी शामिल
इससे साफ जाहिर है कि आईएस के निशाने पर देश के युवा हैं. जिसमें लड़कियां भी शामिल हैं. एक साथ 22 विद्यार्थियों के गायब होने और उनके आईएस से संबंध होने की बात भी सामने आ चुकी है. इसके साथ ही आईएस ने भी उन्हीं स्थानों का इस्तेमाल किया है जो पहले से ही आतंकी संगठनों के निशाने पर हैं.
चंडीगढ़ से बीटेक कर रहा 22 साल का छात्र फकरे भी शामिल है
मध्यप्रदेश में ट्रेन धमाके और लखनऊ में हुए एनकाउंटर के दौरान जो लोग पकड़े गए हैं उनमें चंडीगढ़ से बीटेक कर रहा 22 साल का छात्र फकरे भी शामिल है. उसके पास से जो लैपटॉप बरामद हुआ है उसमें से काफी संदिग्ध दस्तावेज मिले हैं. इससे साफ है कि आईएस के मॉड्यूल पंजाब में भी सक्रिय हैं.
खालिस्तानी आतंकियों के कश्मीरी आतंकी संगठनों से करीबी पहले ही जाहिर
खालिस्तानी आतंकियों के कश्मीरी आतंकी संगठनों से करीबी पहले ही जाहिर हो चुकी है. नार्को टेररिज्म (नशे के कारोबार में भी आतंकी शामिल हैं, इसके कई सबूत मिले हैं) के जरिए इनको पैसे कमाने का मौका भी मिल जाता है. खालिस्तानी आतंकियों का एक सरगना तो पाकिस्तान की मदद से ही संगठन तैयार करने में लगा था.
अलग-अलग आतंकी संगठनों के सेंपेथाइजर पहले से मौजूद हैं
इस बीच अगर ताजा आईएस मॉड्यूल पर ध्यान दें तो इन्होंने जिन स्थानों पर अपना ठिकाना बनाया है वहां अलग-अलग आतंकी संगठनों के सेंपेथाइजर पहले से मौजूद हैं. इसमें केरल, मध्य प्रदेश और यूपी के खास शहर शामिल हैं. इसके साथ ही यदि पिछले रिकार्ड पर ध्यान दिया जाए तो मॉड्यूल बिहार, झारखंड और कोलकाता तक फैला हुआ हो सकता है.
खतरनाक बात है कि इनके पास से भारतीय रेलवे का नक्शा मिला है
सबसे खतरनाक बात है कि इनके पास से भारतीय रेलवे का नक्शा मिला है. पिछले दिनों बिहार पुलिस ने संदिग्धों को गिरफ्तार किया था जो सिर्फ 'बाहरी' मदद से रेलवे ट्रैक को उड़ाने की साजिश रच रहे थे. यूपी के कानपुर के पास हुआ हमला भी इसी का नतीजा बताया जा रहा था. हालांकि, एनआईए अभी इसकी जांच कर रही है.
तय है कि आईएस को पुराने 'टेरर रूट' का लाभ मिल रहा है
हो सकता है कि बिहार पुलिस की गिरफ्तारी और ताजा घटनाक्रम में कोई संबंध हो. एक बात तो तय है कि आईएस ने अपना पैर भारत में काफी लंबी दूरी तक फैलाने की कोशिश की है. दूसरी बात यह भी तय है कि आईएस को पुराने 'टेरर रूट' का लाभ मिल रहा है. पुराने सिंपेथाइजर आईएस स्लीपर सेल को मदद कर रहे हैं.
(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आकड़ें लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है)
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