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BLOG: क्या दक्षिण अफ्रीका को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है भारतीय पेस-बैटरी?
इस सवाल का जवाब सुखद है. जवाब के साथ साथ सवाल भी सुखद है. ऐसा इसलिए क्योंकि भारतीय तेज गेंदबाजों को लेकर ऐसे सवाल शायद कभी नहीं पूछे गए.
इस सवाल का जवाब सुखद है. जवाब के साथ साथ सवाल भी सुखद है. ऐसा इसलिए क्योंकि भारतीय तेज गेंदबाजों को लेकर ऐसे सवाल शायद कभी नहीं पूछे गए. भारतीय क्रिकेट के इतिहास में पिछले लंबे समय से उसकी पहचान उसके बल्लेबाज रहे. सुनील गावस्कर से लेकर सचिन तेंडुलकर तक और गुंडप्पा विश्वनाथ से लेकर राहुल द्रविड़ या वीवीएस लक्ष्मण तक ही चर्चा में रहे. कम ही मौके आए जब कपिल देव, अनिल कुंबले या श्रीनाथ जैसों की चर्चा हुई. भारतीय स्पिनर्स को लेकर फिर भी काफी कमाल-धमाल हुए हैं, लेकिन तेज गेंदबाजी में हमारी गिनती पिछड़ी टीमों में ही रही है.
पिछले कुछ समय में वक्त तेजी से बदला है. पिछले करीब एक साल से भारतीय तेज गेंदबाजी की चर्चा जमकर हो रही है. अब भारतीय तेज गेंदबाज भी विरोधी टीमों के खिलाड़ियों को अपनी ‘बाउंसर’ से डरा रहे हैं. अब भारतीय तेज गेंदबाज भी 140 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा की रफ्तार से लगातार गेंद फेंक रहे हैं. अब भारतीय तेज गेंदबाज भी विरोधी टीम के बल्लेबाजों की आंखों में आंखे डालकर गेंदबाजी कर रहे हैं. उन्हें रन बनाने के लिए आसान मौके नहीं दे रहे हैं. ऐसे में शुक्रवार से जब दक्षिण अफ्रीका और भारतीय टीम पहले टेस्ट मैच के लिए आमने सामने होगी तो सबसे बड़ा सवाल यही होगा कि क्या तेज गेंदबाज अफ्रीकी पिचों पर हमलावर अंदाज में दिखेंगे.
विराट की पेस बैटरी का दम-खम
ये बात तो अब कोई भी मान लेगा कि भारतीय तेज गेंदबाजी में धार आई है. ईशांत शर्मा, उमेश यादव, भुवनेश्वर कुमार, मोहम्मद शमी और जसप्रीत बुमराह किसी भी टीम के बल्लेबाजों को हैरान कर सकते हैं. 140 किलोमीटर से ज्यादा की रफ्तार से जब भुवनेश्वर कुमार, उमेश यादव और मोहम्मद शमी ‘शॉर्टलेंथ’ गेंद फेंकते हैं तो अच्छे अच्छे बल्लेबाजों को भी उनका इलाज नहीं समझ आ रहा है. ‘शॉर्टलेंथ’ गेंदों को छोड़ भी दिया जाए तो ‘फुललेंथ’ और ‘गुडलेंथ’ पर स्विंग और ‘सीम’ करती इनकी गेंदों का जवाब भी दुनिया के बल्लेबाजों को आसानी से नहीं मिल रहा है.
यही वजह है कि अब विरोधी टीम के बल्लेबाजों को रन बनाने के लिए मेहनत करनी पड़ती है. होता यूं आया था कि पहले भारतीय तेज गेंदबाज 130-135 के आस-पास गेंदबाजी किया करते थे. इस रफ्तार पर गेंदों का सामना करने में बल्लेबाजों को मुश्किल नहीं होती थी. उनके पास ‘पुल’ और ‘हुक’ जैसे शॉट्स खेलने की सहूलियत थी. ऐसे में विरोधी टीम के बल्लेबाज रनों का अंबार खड़ा करते थे और फिर उनके तेज गेंदबाज हमारे बल्लेबाजों पर आसानी से दबाव बना लेते थे.
अनुभव में भी हैं आगे
भारतीय तेज गेंदबाजों के पास अब अनुभव की कमी भी नहीं है. जसप्रीत बुमराह को छोड़ दिया जाए तो दक्षिण अफ्रीका दौरे पर गई टीम इंडिया में सभी तेज गेंदबाज टेस्ट क्रिकेट और विदेशी विकेट की बारीकियों से वाकिफ हैं. ईशांत शर्मा टीम के सबसे ज्यादा अनुभवी गेंदबाज हैं. उन्हें टीम इंडिया में करीब 10 साल का वक्त हो गया है. उन्होंने अब तक 79 टेस्ट मैच खेल लिए हैं. 226 टेस्ट विकेट उनके खाते में है. उमेश यादव 36 टेस्ट में 99 विकेट ले चुके हैं. वो भी करीब 6 साल से भारतीय टीम का हिस्सा रहे हैं. मोहम्मद शमी 27 टेस्ट मैच में 95 विकेट ले चुके हैं. 19 टेस्ट मैच का अनुभव रखने वाले भुवनेश्वर कुमार के खाते में 53 विकेट है.
इसके अलावा भारतीय टीम के पास एक तुरूप का इक्का भी है. वो हैं 24 साल के हार्दिक पांड्या. हार्दिक पांड्या आक्रामक बल्लेबाजी करने के साथ साथ तेज गेंदबाजी भी करते हैं. श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में उन्होंने अपना जलवा दिखाया था. विराट कोहली उन पर काफी भरोसा भी करते हैं. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट मैचों में अगर कहीं विकेट मनमाफिक मिला तो विराट उन्हें मौका देने से चूकेंगे नहीं. तेज गेंदबाजों को लेकर सुखद स्थिति इसीलिए है क्योंकि आज विराट कोहली के पास पहले के मुकाबले ज्यादा ‘ऑप्शन’ हैं जिन पर विचार विमर्श के बाद वो प्लेइंग-11 चुनेंगे.
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