एक्सप्लोरर

मुगलों के कालखंड को इतिहास से मिटाना संभव नहीं, लेकिन पाठ्यक्रम में नई कहानियों को जोड़ना भी जरूरी

एनसीईआरटी की किताबों में 12वीं से मुगल चैप्टर को हटाने के बाद 11वीं से मौलाना आज़ाद का रेफरेंस भी हटाया गया है. 12वीं के पाठ्यपुस्तक में बदलाव की बात कही गई थी, लेकिन 11वीं में बदलाव करने की बात नहीं कही गई थी. ऐसे में सवाल है कि इन बदलावों को कैसे देखा जाना चाहिए?

पाठ्यक्रम से इतिहास के कुछ पन्नों को हटा देने से क्या इसकी प्रासंगिकता को बदला जा सकता है? पहली बात यह की एनसीईआरटी एक मानक संस्था है. उसके द्वारा पाठ्यक्रम में बदलाव करने को लेकर एक प्रोटोकॉल होता है, उनकी अपनी एक मानक प्रक्रिया है, जिसमें कई बड़े-बड़े एक्सपर्ट होते हैं, जिनके द्वारा बदलाव या रिवाइज किया जाता है. ऐसे में यह तो स्पष्ट है कि एनसीईआटी ने कुछ भी बदलाव किया है, वह उन प्रक्रियाओं को फॉलो करते हुए ही किया होगा. चूंकि जो स्थापित मानक प्रक्रिया है उसी के मुताबिक 12वीं की इतिहास की किताब में परिवर्तन किए गए होंगे.

दूसरी बात यह कि इतिहास से कुछ रेफरेंसेज और चैप्टरों को हटाना और यह कहा जाना कि मुगलों को सिलेबस से ही हटा दिया गया इन दोनों बातों में जमीन-आसमान का अंतर है. मुगल अभी भी सिलेबस में हैं. उनके पॉलिसी के रूप में, उनके कॉन्ट्रीब्यूशन के रूप में वे पाठ्यक्रम में बने हुए हैं. दूसरी बात यह है कि आप अपने इतिहास को कैसे मिटा सकते हैं. भारत में 1526 में मुगल शासन की स्थापना होती है. उसके बात वे 1707 तक  प्रॉमिनेंट स्टेज में और फिर 1707 से 1857 तक वे साधारण रूप से भारत में राज कर रहे थे. इतिहास के इतने बड़े कालखंड को कैसे हटाया जा सकता है. चाहे देश में किसी भी पार्टी की सरकार क्यों न हो? मुझे लगता है कि ये अभी भी नहीं हटे हैं. लेकिन दिक्कत ये होती है अभी तक जो हम लोगों ने इतिहास पढ़ा है और एनसीईआरटी में जितनी बातें कही गई हैं क्या वही सिर्फ भारत का इतिहास है?

स्टडी लोड को कम करने के लिए बदलाव

भारत का इतिहास बहुत बड़ा है. लेकिन सभी कालखंडों और कहानियों को एनसीईआरटी में शामिल नहीं किया गया है, फिर भी हमलोग उसे रेफरेंस बुक और लगातार चल रहे शोध के जरिए पढ़ते हैं. चूंकि जब सिलेबस का रेशनलाईजेशन होता है और मैं भी कई सिलेबस कमेटी का मेंबर रहा हूं और अभी भी बोर्ड ऑफ स्टडीज़ का मेंबर हूं. इतिहास में कई ऐसी घटनाएं हैं जिन्हें आज तक शामिल नहीं किया गया है. ऐसी स्थिति में जब सिलेबस बार-बार रिवाइज होता है, तो ऐसे कई महत्वपूर्ण पहलू को जिसके बारे में लोग नहीं जानते हैं उसे शामिल किया जाता है. मानक प्रक्रिया के तहत किसी रेफरेंस को हटा देना कोई बड़ी बात नहीं है. लेकिन हो क्या रहा है इसे प्रचारित किया जा रहा है कि मुगलों को भारतीय इतिहास से ही हटा दिया गया. ये न तो संभव है और न ही उचित है.

दरअसल, कोरोना संक्रमण के दौरान छात्रों के स्टडी लोड को कम करने के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी बनाई गई थी, जिसमें यह सुझाव दिया गया था कि कुछ पैराग्राफ को हटा दिया जाए ताकि उनका जो सिलेबस है वो कम हो जाए. उसी के तहत ये कुछ बदलाव किये गए हैं. लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि मुगलों को हटा दिया गया है. एक क्षण के लिए यह मान लिया जाए कि एनसीईआरटी ने मुगलों को हटा दिया है. लेकिन क्या भारत के विश्वविद्यालयों में मुगलों के बारे में पढ़ाई नहीं हो रही है. क्या इलाहाबाद और जेएनयू जैसे विश्वविद्यालयों में मध्यकालीन भारतीय इतिहास का स्टडी सेंटर नहीं है. लेकिन प्रश्न तब खड़ा किया जा सकता है कि जब ये बदलाव मानक प्रक्रिया के तहत नहीं किये गए हैं.

हालांकि एनसीईआरटी के डायरेक्टर ने यह बात कही है कि ये सारे बदलाव मानक प्रक्रियाओं के तहत किया गया है और एक्सपर्ट कमेटी के लोगों का नाम भी सामने आया था. वे देश के बड़े स्कॉलर हैं. मुझे लगता है कि सिर्फ एक या दो चैप्टर हटा देना या नाम हटा देना और यह प्रचारित किया जाना की उसे पूरी तरह से हटा दिया गया है. इन दोनों ही बातों में बड़ा अंतर है.

हमें यह भी तो देखना चाहिए कि 11वीं-12वीं के इतिहास के बच्चों से आप इतिहास के बारें उनकी कितनी जानकारी होने की उम्मीद करते हैं. मुगलों के शासनकाल को अगर आप देखेंगे तो उनका साम्राज्य केवल नॉर्थ इंडिया तक ही सीमित था, जिसमें पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार और यूपी शामिल है. इसमें पूरा बंगाल, नॉर्थ ईस्ट और पूरा साउथ इंडिया शामिल नहीं है. लेकिन मुगलों के समानांतर दक्षिण भारत में बडे़-बडे़ डायनेस्टी का शासन रहा था. जैसे विजयनगर एंपायर, चोल वंश का शासनकाल, हिंदू वंश के कृष्णराय के बारे में बाबर ने भी अपने संस्मरण में यह बात कही थी कि वे बहुत बड़े शासक थे. ऐसे में अगर हमें पूरे भारत के मध्यकालीन इतिहास को अगर दिखाना है तो क्या इन्हें इतिहास के पन्नों में जगह नहीं देना चाहिए. लेकिन ये तभी होगा न कि जब हम रेशनलाइजेश के तहत उसमें बदलाव करें.

ये भी तो सही नहीं है न कि एनसीईआरटी के टेक्स्ट बुक में 75% केवल मुगलो के बारे में ही पढ़ाया जाए. ये भी उचित बात नहीं है. इसलिए मुगलों के एक-दो चैप्टर को हटाने की प्रक्रिया को इस तरह से नहीं देखा जाना चाहिए कि उन्हें पूरी तरह से हटा दिया गया है. चूंकि यह तो संभव ही नहीं है. मान लिया जाए कि मेरा चेहरा बहुत ही खराब है, लेकिन क्या आईना बदल देने से वह बदल जाएगा. उसी तरह सिलेबस में थोड़े-बहुत बदलाव किए जाने से मुगलों के इतिहास को पूरी तरह से हटाया नहीं जा सकता है.

पाठ्यक्रम में नई कहानियों को शामिल करना जरूरी

मेरा यह मानना है कि अगर हमें महाराण प्रताप और शिवाजी के बहादुरी को भी दिखाना होगा तो क्या हम मुगलों के संदर्भ को हटा कर उनकी बहादुरी की तस्वीर को प्रस्तुत कर पाएंगे. आखिर हम उनकी बहादुरी को किसके खिलाफ दिखाएंगे. लेकिन जब हम एकेडमिक प्वाइंट ऑफ व्यू से देखेंगे तो हमें हर दो साल में विश्वविद्यालयों में सिलेबस में बदलाव करना होता है. जब बदलाव होगा तो यह स्वाभाविक ही है कि अब तक जो हम पढ़ा रहे हैं उसमें कुछ नई कहानियों को जोड़ा जाएगा. यह एक सतत प्रक्रिया है. इन बदलावों को इसी रूप में लेना चाहिए. हमलोग जो अब तक इतिहास पढ़े हैं और स्कूली किताबों को ही सिर्फ भारत का इतिहास माना जाए तो 15-20 फ्रीडम फाइटर्स को छोड़ कर किसी के बारें में नहीं जानते हैं. लेकिन क्या ये इतने ही लोग पूरे भारत में स्वतत्रता सेनानी थे. इसलिए ये बदलाव तो होते रहेंगे.

हमारे सामने नई-नई चीजें आएंगी. दूसरी बात जो चीजें हट रही हैं, मुझे लगता है कि सिलेबस से हटाना और इतिहास से हटाना दोनों दो चीजें है. इसमें हमें यह देखाना चाहिए कि जो बदलाव किये जा रहे हैं, उसके लिए मानक प्रक्रिया को पूरा किया गया है या नहीं. मुझे लगता है कि ऐसा होता आया है और सिलेबस में बदलाव होते रहना चाहिए. हमें नई-नई चीजों को इतिहास में जगह देना होगा. उदाहरण के तौर पर बिहार के तारापुर में 15 फरवरी 1932 में घटना हुई थी, उसके बारें में जानेंगे तो आप हैरान रह जाएंगे कि वह घटना जालियांवाला बाग गोली कांड से भी अधिक भयंकर थी. लेकिन वह इतिहास के किताबों में शामिल नहीं है. इस पर अभी मैंने रिसर्च करके इसके पब्लिकेशन के लिए इंडियन हिस्टोरिकल रिव्यू में भेजा है और ये जैसे ही पब्लिश हो जाएगा तो स्वाभाविक है कि इसे इतिहास के किताबों में शामिल किया जाएगा. ये सारी प्रक्रियाएं सिलेबस निर्माण में चलती रहती है. इसे चलते रहना भी चाहिए. इस पर प्रश्न खड़ा किया जाना गलत है.

(ये आर्टिकल निजी विचारों पर आधारित है)

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

ट्रंप भारत के दोस्त या दुश्मन? सवाल पर बोले विदेश मंत्री जयशंकर- शपथ ग्रहण समारोह में मेरे साथ व्यवहार...
ट्रंप भारत के दोस्त या दुश्मन? इस सवाल पर क्या बोले विदेश मंत्री एस. जयशंकर
अखिलेश यादव ने हाथ में उठाया AAP का झाड़ू, BJP को घेरा, कांग्रेस का नाम लिए बिना क्या कहा?
अखिलेश यादव ने हाथ में उठाया AAP का झाड़ू, BJP को घेरा, कांग्रेस का नाम लिए बिना क्या कहा?
SL vs AUS: उस्मान ख्वाजा की डबल सेंचुरी, स्टीव स्मिथ और जोश इंग्लिस ने जड़ा शतक; श्रीलंका में ऑस्ट्रेलिया हावी
उस्मान ख्वाजा की डबल सेंचुरी, स्टीव स्मिथ और जोश इंग्लिस ने जड़ा शतक; श्रीलंका में ऑस्ट्रेलिया हावी
राशी थडानी ने मां रवीना टंडन संग किए द्वारकाधीश के दर्शन, देखें तस्वीरें
राशी थडानी ने मां रवीना टंडन संग किए द्वारकाधीश के दर्शन, देखें तस्वीरें
ABP Premium

वीडियोज

ABP Shikhar Sammelan: Saurabh Bhardwaj की इस बात पर गुस्साए Sudhanshu Trivedi, फिर जो हुआ... | ABPShikhar Sammelan: 'Congress-AAP का इलू इलू' शाहीन बाग से धारा 370 तक सुधांशु त्रिवेदी का तगड़ा अटैकShikhar Sammelan:  ABP के मंच पर सुधांशु त्रिवेदी और सौरभ भरद्वाज में जोरदार बहस | Delhi ElectionMangal Lakshmi: Saumya पकड़ी गई, दूसरे लड़के के साथ Mangal ने किया Caught; Adit के सामने आएगी सच्चाई

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
ट्रंप भारत के दोस्त या दुश्मन? सवाल पर बोले विदेश मंत्री जयशंकर- शपथ ग्रहण समारोह में मेरे साथ व्यवहार...
ट्रंप भारत के दोस्त या दुश्मन? इस सवाल पर क्या बोले विदेश मंत्री एस. जयशंकर
अखिलेश यादव ने हाथ में उठाया AAP का झाड़ू, BJP को घेरा, कांग्रेस का नाम लिए बिना क्या कहा?
अखिलेश यादव ने हाथ में उठाया AAP का झाड़ू, BJP को घेरा, कांग्रेस का नाम लिए बिना क्या कहा?
SL vs AUS: उस्मान ख्वाजा की डबल सेंचुरी, स्टीव स्मिथ और जोश इंग्लिस ने जड़ा शतक; श्रीलंका में ऑस्ट्रेलिया हावी
उस्मान ख्वाजा की डबल सेंचुरी, स्टीव स्मिथ और जोश इंग्लिस ने जड़ा शतक; श्रीलंका में ऑस्ट्रेलिया हावी
राशी थडानी ने मां रवीना टंडन संग किए द्वारकाधीश के दर्शन, देखें तस्वीरें
राशी थडानी ने मां रवीना टंडन संग किए द्वारकाधीश के दर्शन, देखें तस्वीरें
PM Modi Obesity Tips: मोटापे से निपटने के लिए पीएम मोदी ने दिया फिटनेस मंत्रा, अक्षय कुमार ने वीडियो शेयर कर बताया कैसे रहें फिट
मोटापे से निपटने के लिए पीएम मोदी ने दिया फिटनेस मंत्रा, अक्षय कुमार ने वीडियो शेयर कर बताया कैसे रहें फिट
20 साल सेवा दी और फिर विकलांग हो गया तो क्या पेंशन के लिए जवान को कोर्ट में घसीटोगे? केंद्र पर भड़का सुप्रीम कोर्ट
20 साल सेवा दी और फिर विकलांग हो गया तो क्या पेंशन के लिए जवान को कोर्ट में घसीटोगे? केंद्र पर भड़का सुप्रीम कोर्ट
Xiaomi 15 से लेकर iQOO Neo 10R तक! 2025 में लॉन्च होने वाले हैं ये शानदार Smartphones
Xiaomi 15 से लेकर iQOO Neo 10R तक! 2025 में लॉन्च होने वाले हैं ये शानदार Smartphones
Salwan Momika: स्वीडन में कई बार कुरान जलाई, अब फैसले के दिन आ गई मौत; सलवान मोमिका को गोलियों से भूना
स्वीडन में कई बार कुरान जलाई, अब फैसले के दिन आ गई मौत; सलवान मोमिका को गोलियों से भूना
Embed widget