कल आधी रात श्रीनगर में एक दिलदहलाने वाली घटना घटी. नौहट्टा इलाके में जामा मस्जिद के बाहर एक DSP मोहम्मद अयूब पंडित को लोगों ने बुरी तरह से पीट पीट कर मार डाला. हैरान करने वाली बात ये है कि वो जिन लोगों की सुरक्षा में लगे रहे उन्होंने ही उन्हें मार डाला. प्रदेश के डीजीपी का कहना है कि इसमें निश्चित तौर पर हुर्रियत नेता मीरवायज उमर फारूक के लोग शामिल रहे. आरोप है कि मीरवाइज की भड़काऊ तकरीरों की वजह से उनके कुछ समर्थक हिंसा पर उतरे.
आतंकवादियों को जम्मू-कश्मीर पुलिस से बड़ी खुन्नस रहती है. इसलिए कि कश्मीरी होते हुए भी वह उनका साथ नहीं देती, उल्टे घाटी में कानून-व्यवस्था बनाए रखने में सरकार की मददगार और सुरक्षा बलों की पूरक बनी रहती है. यही खुन्नस निकालने के लिए लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों ने 16 जून को अनंतनाग जिले के अछबल इलाके में घात लगाकर पुलिस दल पर हमला किया जिसमें 6 पुलिसकर्मी शहीद हो गए.
आतंकवादियों की पुलिस से नफरत का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने पुलिसकर्मियों के शव क्षत-विक्षत कर दिए. रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने ट्वीट कर कहा है- 'अछबल में आतंकवादियों द्वारा छह पुलिसकर्मियों को मारना एक कायरतापूर्ण कृत्य है.’ एक फुटबॉल टूर्नामेंट में मुख्य अतिथि के तौर पर जम्मू आए केंद्रीय राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि सुरक्षा से समझौता कभी नहीं किया जाएगा. लेकिन इन्हें नेताओं के रुटीन बयानों की तरह देखा जा रहा है क्योंकि घाटी में आतंकवादियों की शह पर सुरक्षा बलों के साथ-साथ आए दिन पुलिसकर्मियों पर भी पत्थरबाज़ों के हमले हो रहे हैं.
आतंकवादियों की यह खुन्नस नई नहीं है. आतंकी हमलों में 2016 के दौरान 82 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे, जबकि 2017 में अभी तक 28 पुलिसकर्मी शहीद हो चुके हैं. एक आंकड़े के मुताबिक 2012 में 15 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे, वहीं 2013 में इनकी संख्या बढ़कर 53 हो गई. इसी तरह 2014 में शहीद हुए पुलिसकर्मियों की संख्या 47 थी, हालांकि 2015 में यह संख्या घटकर 39 रह गई. लेकिन इन दिनों जम्मू-कश्मीर पुलिस पर आतंकवादी लगातार कहर ढा रहे हैं. राजधानी श्रीनगर में 11 जून को हुए आतंकी हमले में पुलिस का एक सब-इंस्पेक्टर और तीन अन्य पुलिसकर्मी घायल हो गए. 13 जून को अलग-अलग जगहों पर आतंकी हमले हुए, जिनमें 2 पुलिसकर्मी मारे गए. दोपहर को पुलवामा के पुलिस स्टेशन पर आतंकी हमला हुआ. इसी शाम श्रीनगर के हैदरपोरा में पुलिस गश्ती दल पर हमला किया गया.
जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा अपने साथियों पर हमलों और उनकी हत्या से राज्य के पुलिस जवानों में भारी रोष है. पुलिस वालों का मानना है कि पीडीपी 2014 के चुनाव में मदद करने के लिए जमात-ए-इस्लामी के सदस्यों की एहसानमंद है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा कि महबूबा सरकार ने पुलिस को निर्देश दिए हैं कि आतंकवादियों से मुकाबला करते समय अधिक संयम से काम लें. गुस्साए पुलिस अधिकारी ने कहा- “कभी-कभी तो आतंकी हमारे परिवार वालों पर भी हमला कर देते हैं.” इसी के चलते राज्य के पुलिस प्रमुख शेष पॉल वैद ने पुलिसवालों से कुछ समय तक घर से दूर रहने की भी अपील की थी. हालांकि डीजीपी वैद ने पुलिसकर्मियों पर हमलों को आतंकवादियों की हताशा बताया है. उन्होंने कहा- “पुलिस एंटी-टेरर ऑपरेशनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, इसलिए उसे निशाना बनाया जा रहा है. लेकिन यह लंबे समय तक नहीं चलेगा.”
उधर आतंकवादी संगठन शीर्ष पुलिस अधिकारियों और केंद्रीय मंत्रियों के बयानों से ज़रा भी ख़ौफ नहीं खा रहे हैं. जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने बाकायदा एक वीडियो जारी करके राज्य के पुलिसवालों को नौकरी छोड़ने या अंजाम भुगतने की धमकी दी है. ये वीडियो लश्कर-ए-तैयबा के दक्षिण कश्मीर के प्रमुख लश्कर कमांडर बशीर लश्करी ने जारी किया है. हाल ही में भारतीय सेना ने घाटी में सक्रिय 12 मोस्ट वांटेज आतंकवादियों की लिस्ट जारी की थी जिनका सफाया करना सेना की प्राथमिकता है. बशीर लश्करी का नाम भी इस मोस्ट वांटेड लिस्ट में है.
बशीर के अलावा दक्षिणी कश्मीर में लश्कर का डिविजनल कमांडर अबु दोजाना उर्फ हाफिज, हिज्बुल मुजाहिद्दीन का दक्षिणी कश्मीर का पूर्व डिविजनल कमांडर जाकिर राशिद भट्ट उर्फ मूसा, जैश-ए-मोहम्मद का डिविजनल कमांडर पाकिस्तानी नागरिक अबु हमास, पुलवामा में सक्रिय लश्कर का शौकत अहमद हुजैफा, कुलगाम में 2006 से सक्रिय हिज्बुल का जिला कमांडर अलताफ अहमद डार उर्फ कचरू, लश्कर का जुनैद अहमद मट्टू, पुलवामा का हिज्बुल जिला कमांडर रियाज अहमद नाईकू उर्फ जुबैर, शोपियां में हिज्बुल का जिला कमांडर सद्दाम पद्दार उर्फ जैद, लश्कर का कमांडर वसीम अहमद उर्फ ओसामा, अनंतनाग का लश्कर जिला कमांडर बशीर अहमद वानी उर्फ लश्कर, जीनत-उल-इस्लाम उर्फ अलकामा, बड़गाम निवासी मोहम्मद यासीन इत्तू उर्फ मंसूर इस हिट लिस्ट में शामिल हैं. पिछले साल 8 जुलाई को बुरहान बानी के मुठभेड़ में मारे जाने के बाद से लश्कर के जुनैद मट्टू समेत कई बड़े आतंकवादी सरगना भारतीय सुरक्षा बलों ने साफ कर दिए हैं.
अपनी लगातार कमजोर होती स्थिति को भांपकर 10 जून को सामने आए लश्कर-ए-तैयबा के एक वीडियो में पुलिसवालों से भारतीय सेना का साथ न देकर कश्मीर को भारत से अलग कराने की लड़ाई में शामिल होने को कहा गया था. युवकों से आतंकवादी बनने की अपील भी की गई थी. लेकिन कश्मीर की पुलिस और युवाओं पर इस अपील का रत्ती भर भी असर नहीं हुआ. इसके चार दिन बाद ही श्रीनगर स्थित बख्शी स्टेडियम में पुलिस भर्ती के लिए हज़ारों लड़के-लड़कियां लाइन में खड़े दिखे. सब-इंस्पेक्टर के 698 पदों के लिए 67218 उम्मीदवारों ने आवेदन किया था. इनमें से 35772 लोग आतंक प्रभावित कश्मीर घाटी के थे.
समाज की तमाम रूढ़ियां तोड़ते हुए फिजिकल टेस्ट में 6000 से ज्यादा कश्मीरी लड़कियों ने हिस्सा लिया. पुराने श्रीनगर से सायंस ग्रैजुएट मोहम्मद रफीक भट्ट ने कहा कि उन्हें अच्छे से पता है कि आतंकियों से मिलतीं धमकियों के बीच घाटी में एक पुलिसकर्मी का जीवन कैसा होता है. लेकिन वह आतंकियों से खतरा मोल लेने को तैयार हैं. एक अन्य उम्मीदवार फ़रजाना ने कहा- “मैं खुद को लकी समझूंगी अगर मुझे पुलिस की नौकरी मिल जाती है.”
आतंकवादियों को कश्मीर के युवाओं का इससे करारा जवाब नहीं हो सकता. यह तो स्पष्ट है कि सुरक्षा बलों की तमाम कोशिशों के बावजूद पुलिस पर आतंकवादी हमले शून्य नहीं हो सकते. लेकिन इतना भी तय है कि राज्य की पुलिस में भर्ती होकर अपने नागरिकों की सेवा और सुरक्षा करने के जम्मू-कश्मीर के युवाओं के हौसले भी पस्त नहीं हो सकते.
(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आकड़ें लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है)
विजयशंकर चतुर्वेदी, वरिष्ठ पत्रकार
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जम्मू-कश्मीर पुलिस के हौसले देखकर खौफ खा रहे हैं आतंकी!
विजयशंकर चतुर्वेदी, वरिष्ठ पत्रकार
Updated at:
23 Jun 2017 09:47 PM (IST)
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