उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण वोटों के खेवनहार बनेंगे जितिन प्रसाद!
नयी दिल्लीः उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के ब्राह्मण वोटों के खेवनहार समझे जाने वाले युवा नेता जितिन प्रसाद ने बीजेपी का दामन थामकर सूबे में कांग्रेस के बचे-खुचे जनाधार में भी पलीता लगा दिया है. पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया और अब जितिन के पार्टी छोड़ने से साफ है कि राहुल के बाद प्रियंका गांधी पर भी युवा नेतओं को भरोसा नहीं रह गया है. कोई बड़ी बात नहीं कि अपने सियासी भविष्य की तलाश में यूपी के चुनाव से पहले कुछ और नेता भी कांग्रेसी जहाज को छोड़ दें.
दरअसल, बीजेपी ने जितिन को पार्टी में लाकर एक तीर से दो निशाने साधने के काम किया है. एक तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से ब्राह्मणों की जो नाराजगी चल रही थी,वह अब कुछ कम होगी और दूसरे जो ब्राह्मण वोट कांग्रेस के नजदीक जा रहा था, उस पर अब कुछ ब्रेक लगेगा. निश्चित ही बीजेपी को उसका फायदा मिलेगा जो कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है, सिर्फ शाहजहांपुर में ही नहीं बलिक आसपास की कई सीटों पर इसका खासा प्रभाव पड़ेगा.
बताया जा रहा है कि कांग्रेस के बड़े ब्राहम्ण चेहरों में से एक जितिन प्रसाद पिछले कई दिनों से पार्टी हाईकमान से नाराज थे. वह कांग्रेस में तवज्जो न मिलने और यूपी कांग्रेस के कुछ नेताओं से अपनी नाराजगी जाहिर भी कर चुके हैं. जितिन प्रसाद की शिकायत को पार्टी हाईकमान ने नजरअंदाज किया. यही वजह है कि उन्होंने आज बीजेपी का दामन थाम लिया.
प्रियंका गांधी के यूपी की कमान संभालने के बाद से ही जितिन साइड लाइन थे.जितिन प्रसाद, कांग्रेस के दिग्गज नेता जितेंद्र प्रसाद के बेटे हैं. जितेंद्र प्रसाद दो प्रधानमंत्रियों (राजीव गांधी और पीवी नरसिम्हाराव) के राजनीतिक सलाहकार थे. 2000 में जितेंद्र प्रसाद ने कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव सोनिया गांधी के खिलाफ लड़े थे, लेकिन वह हार गए थे. 2001 में जितेंद्र प्रसाद का निधन हो गया.
इसके बाद पिता जितेंद्र प्रसाद की राजनीतिक विरासत को जितिन प्रसाद ने संभाला. 2001 में वह इंडियन यूथ कांग्रेस से जुड़ गए. 2004 में जितिन प्रसाद शाहजहांपुर सीट से जीतकर पहली बार लोकसभा पहुंचे. यूपीए-1 की सरकार में जितिन प्रसाद को केंद्रीय मंत्री बना दिया गया. वह मंत्री बनने वाले सबसे युवा चेहरों में से एक थे.
2009 में जितिन प्रसाद, धौरहरा लोकसभा सीट से लड़े और जीते. यूपीए-2 में जितिन प्रसाद को पेट्रोलियम और सड़क-परिवहन जैसे अहम मंत्रालय की बतौर राज्य मंत्री जिम्मेदारी मिली थी. 2014 का चुनाव जितिन प्रसाद हार गए. इसके बाद से ही जितिन प्रसाद के राजनीतिक सितारे गर्दिश में चल रहे थे.
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