नोबेल पुरस्कार से सम्मानित बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा. पत्र लिखकर उन्होंने आग्रह किया कि कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के खुलने के बाद बच्चों की तस्करी बढ़ने की आशंका है और इसके मद्देनजर संबंधित मंत्रालयों को एक कार्यबल गठित करना चाहिए. इस कार्यबल की मदद से ऐसी किसी भी गतिविधि पर रोक लगाई जा सकती है.
उन्होंने पत्र में यह भी कहा कि विभिन्न स्थानों पर फंसे बाल मजदूरों को उनके कार्यस्थल से मुक्त कराने और उन्हें उनके घर भेजने का भी प्रबंध किया जाए.
सत्यार्थी ने कहा, ‘‘मेरे पास देश के कई हिस्सों से ऐसी सूचनाएं आई हैं कि लॉकडाउन में छोटे-छोटे कारखानों के बंद हो जाने से हजारों बाल मजदूर वहीं फंस गए हैं. वो सब हमारे बच्चे हैं और हमारे बच्चों को हमे मरने नहीं देना है. हम हमारे बच्चों को बाल मजदूरी से बचाने में कामयाब नहीं हुए हैं. कम से कम हमें भूख से मरने से बचाना होगा. बच्चे किसी भी चीज से ज्यादा महत्व रखते हैं.''
पीएम को खत में क्या लिखा
उन्होंने लिखा,'' आदरणीय नरेन्द्र भाई मोदी जी..कोविद-19 की महामारी को रोकने में आपके पुरुषार्थ और कुशल नेतृत्व के लिए पुनः साधुवाद. मैं आपको यह दूसरा पत्र इस आपदा के दुष्प्रभाव से हमारे बच्चों को बचाने हेतु त्वरित कदम उठाने के निवेदन के साथ लिख रहा हूं. पिछले शनिवार को हुई 12 वर्ष की एक बच्ची जाम्लो मकदम की मृत्यु के समाचार से मैं बहुत उद्वेलित हूं. तेलंगाना में मिर्ची के खेत में बाल मजदूरी करने वाली वह बच्ची 150 किलोमीटर पैदल चल कर छत्तीसगढ़ में अपने घर लौट रही थी. डॉक्टरों के अनुसार वह शरीर में भोजन-पानी की कमी के कारण मरी.
उन्होंने खत में आगे लिखा,'' मेरे पास देश के कई हिस्सों से इस बात की सूचनाएं हैं कि लॉकडाउन में छोटी-छोटी फैक्टरियों और कारखानों के बंद हो जाने से हजारों बाल मजदूर वहीं फंस कर रह गए हैं. पहले भी उन्हें पूरी मजदूरी नहीं दी जाती थी, अब उनके खाने तक के लाले पड़ गए हैं. मालिक लोग भाग कर अपने घरों में सुरक्षित जाकर बैठ गए हैं. जयपुर, हैदराबाद, मुम्बई और दिल्ली आदि स्थानों पर फंसे हुए ये बच्चे ट्रैफिकिंग के जरिये अलग-अलग राज्यों से ले जाए गए थे. लॉकडाउन के अनुशासन का पालन करने वाले हमारे कार्यकर्ता भी अब उनकी मदद के लिए नहीं पहुंच पा रहे हैं. आपको स्मरण होगा कि पिछले सालों में मैंने आपसे कई बार व्यक्तिगत रूप से मिलकर मांग की थी कि बाल मजदूरी के कानून को सख्त बनाया जाए. मैं आपकी सरकार और संसद का आभारी हूं कि आज हमारे देश में एक अच्छा कानून है. परन्तु आज और अभी उन बच्चों का जीवन बचाना सबसे ज्यादा जरूरी है. मैं इन बेहद असमान्य और कठिन परिस्थितियों को देखते हुए अत्यन्त दुखी मन से एक अलग आग्रह कर रहा हूं कि -
-एक विशेष अधिसूचना जारी करके सभी नियोजकों को अगले तीन महीने के लिए यह छूट दे दी जाए कि यदि वे संबंधित अधिकारियों को सूचित करके अपने यहां कार्यरत बाल मजदूरों को स्वेच्छा से मुक्त कर देते हैं तो उन पर कोई दण्डात्मक कार्यवाही नहीं की जाएगी.
-लॉकडाउन खुलने के बाद बच्चों को उनके घरों में सुरक्षित पहुंचाने और उस दौरान उनकी सुरक्षा, भोजन और चिकित्सा का प्रबन्ध सरकार करे. आवश्यकता हो तो स्थानीय सामाजिक संगठनों की मदद ली जा सकती है.
-इस बात का बहुत अंदेशा है कि लॉकडाउन खुलने के बाद बच्चों की ट्रैफिकिंग की घटनाएं बढ़ेगीं. इस चुनौती का मुकाबला करने के लिए सम्बंधित मंत्रालयों की एक टास्क फोर्स बनाई जाये, जो एक ठोस कार्ययोजना बनाकर उसे लागू कराये.
इसके अतिरिक्त आपकी सरकार को जो भी कार्यवाही उचित लगे, कृपया अविलंब करवाएं. मैं और मेरा संगठन जहां-जहां प्रशासन को जरूरत होगी, वहां पर ऐसे बच्चों को रखने और भोजन आदि का प्रबंध करने के लिए तत्पर रहेंगे.
आपको शुभकामनाओं सहित, आपका कैलाश सत्यार्थी''