'कर्नाटक चुनाव के लिए बीजेपी तैयार, कांग्रेस की होगी हार, ओपिनियन पोल के बदलेंगे रूझान'
कर्नाटक की 224 विधान सभा सीटें के लिए 10 मई को वोटिंग होगी और 13 मई को इसके नतीजे भी आ जाएंगे. हमें ऐसा लगता है कि इस बार वहां पर बीजेपी की सरकार बनने जा रही है. कांग्रेस की करारी शिकस्त होगी. जहां तक तैयारी की बात है तो हमें चुनाव के लिए तो कोई स्पेशल तैयारी नहीं करनी पड़ती है क्योंकि हमारी पार्टी की मशीनरी बहुत ही वाइड है. हम लोग तो 12 महीना काम करते हैं. ऐसा नहीं है कि हम चुनाव आया है तो अब उसकी तैयारी करेंगे और गलत बयानबाजी करेंगे. बीजेपी की जहां कहीं भी सरकार होती है तो वह अपना काम करती रहती है और वह उसी के बेसिस पर लोगों के बीच जाती है. हम लोग बताएंगे कि हमने अब तक ये-ये किया है और आगे यह करने वाले हैं. हमारा मानना है कि कर्नाटक भी इससे अलग नहीं होगा. इसे लेकर हम बहुत आश्वस्त हैं कि हमारा जो कार्यकाल रहा है और जिस तरीके से हमने गुड गवर्नेंस दिया है. मोदी जी की एक अच्छी इमेज है, उनका जो भ्रष्टाचार के खिलाफ एक कमिटमेंट है उसके कारण लोग निश्चित ही हमारे साथ जुड़े हैं और हम बहुत कॉन्फिडेंट हैं कि हमारी सरकार कर्नाटक में एक बार फिर से भारी बहुमत के साथ बनेगी.
ओपिनियन पोल के बदलेंगे रुझान
जहां तक एबीपी न्यूज़-सी वोटर के ओपिनयन पोल में कांग्रेस को ज्यादा सीटें दिखाई जा रही है, तो ऐसा है कि मैं ओपिनियन पोल की विश्वसनीयता पर प्रश्न नहीं खड़ा कर रहा हूं लेकिन आज के समय में जब भाजपा कर्नाटक में सरकार चला रही है और कांग्रेस और जेडीएस विपक्ष में हैं, उसके बाद अगर आप किसी तरह से मेजॉरिटी में पहुंच पा रहे हैं, तो आप समझने की स्थिति बहुत बुरी है कांग्रेस के लिए. मैं आपको बता दूं कि जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएगा यह भाजपा के पक्ष में जाएगा क्योंकि बहुत सारे जब हम काम करते हैं तो उसे लोगों तक पहुंचाने का चुनाव में ही वक्त मिल पाता है. क्योंकि बहुत से ऐसे कार्य होते हैं जिसे लोग भूल जाते हैं. चुनाव के दौरान जो डिबेट होते हैं तो उसके जरिये हम अपने काम को लोगों के बीच रख पाते हैं. वहां जब हमारी सरकार नहीं आई थी, वहां की कांग्रेस सरकार थी जब यह सब बातें लोगों को याद दिलाई जाएगी तो ओपिनियन पोल जो है, वह भाजपा के पक्ष में ही आएगा. आप देखिएगा इसके विपरीत ही नहीं बल्कि बहुत रिजल्ट आएंगे. ऐसा पहले भी देखा गया है राष्ट्रीय मीडिया में जब तक बीजेपी जीत नहीं जाती तब तक वह कांग्रेस को जिताने का प्रयास करती रहती है और जब चुनाव का नतीजा आ जाता है तो हमारी ही जीत होती है.
पिछली बार जो चुनाव हुआ था तो उस वक्त भी हम सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरे थे. हमें 104 सीटें मिली थी कांग्रेस 80 सीट पर थी और जनता दल सेक्युलर के पास 37 सीटें थीं. सभी एक दूसरे के खिलाफ लड़े थे और बाद में भाजपा को रोकने के लिए कांग्रेस और जेडीएस साथ आ गए थे और यह मतदान का अपमान था क्योंकि जो लोगों ने जेडीएस को वोट दिया था वो कांग्रेस के खिलाफ दिया था. जब यही बात सामने आई तो कांग्रेस के ही कुछ लोग बागी हो गए और सरकार को गिरा दिए. उसके बाद जब चुनाव हुआ तो फिर से हमारी मेजॉरिटी आ गए. हम लोग में ही बहुमत से कुछ ही सीटें पीछे थे. इस बार जो माहौल है वह पूरी तरीके से अलग है क्योंकि कांग्रेस का जो चेहरा है वह बिल्कुल ही बेनकाब हो गया है. चाहे आप उसे राष्ट्रीय स्तर पर देखिए या फिर क्षेत्रीय स्तर पर देखिए. हमें लगता है कि हम बहुत ही मजबूत स्थिति में हैं. मोदी जी का नेतृत्व में जो सरकार और उनका जो पॉपुलैरिटी है और जब हम केंद्र में उनकी सरकार की बात करते हैं और कर्नाटक में भी उनका बहुत असर है. हम तो अपने कार्यों पर वोट मांगेंगे.
कर्नाटक चुनाव BJP के लिए महत्वपूर्ण
मेरा मानना है कि यह चुनाव बहुत ही निर्णायक है और जहां तक राष्ट्रीय ट्रेंड की बात है तो आपको याद होगा कि जब नॉर्थ ईस्ट में चुनाव होते थे तो कोई भाजपा के बारे में बात ही नहीं करता था. नार्थ ईस्ट में भाजपा का कोई झंडा उठाने वाला भी नहीं था. लेकिन आज क्या स्थिति है. नॉर्थ ईस्ट में जो चुनाव हुए तो हर जगह हम जीते हैं चाहे अपने गठबंधन दलों के साथ नहीं तो फिर खुद से. आप उसका उदाहरण त्रिपुरा में देख सकते हैं. कांग्रेस तो किसी भी राज्य में 5 सीट भी नहीं जीत पाई. इसे आप राष्ट्रीय ट्रेंड ही मान लीजिए.
कर्नाटक बहुत ही महत्वपूर्ण है हम तो वहां पर सत्ता में हैं और कांग्रेस और अन्य वह जो विपक्षी पार्टियां हैं जो बोलती थी कि वह हम गठबंधन करेंगे उसके बाद चुनाव में जाएंगे, भाजपा को हराएंगे और मोदी जी को हटाएंगे. उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती है. आप क्यों नहीं साथ जाते हैं. आप क्यों अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं कर्नाटक में. जब ये एक राज्य में एक साथ नहीं आ पाए तो आप बताइए कि ये लोग कैसे राष्ट्रीय स्तर पर क्या एक साथ आ पाएंगे. कांग्रेस हारती रही है और वहां पर उसके लिए बहुत कुछ दाव पर है. कांग्रेस का वहां पर कुछ दिखता नहीं है हालांकि राहुल गांधी जी ने भारत जोड़ो यात्रा की है. कर्नाटक में ही वह 500 किलोमीटर चले थे तो निश्चित ही वह प्रयास करेंगे लेकिन यह भी देखना होगा कि कहीं राहुल गांधी बीच में ही चुनाव प्रचार छोड़कर चले ना जाए जब उनको यह लगने लगे कि आप कांग्रेस हार रही है. अब चुकी राहुल गांधी जी संसद के सदस्य भी नहीं है तो उनके पास तो पूरा वक्त है कि वह वहां पर चुनाव कैंपेन करें और वह दिखाएं कि वह कुछ कर सकते हैं. लेकिन उससे कुछ होना जाना है नहीं क्योंकि राहुल गांधी जहां-जहां कैंपेन करते हैं वहां कांग्रेस की हार सुनिश्चित हो जाती है.
एंटी-इनकंबेंसी का नहीं होगा असर
राजनीतिक तौर पर इसका लाभ होगा या नहीं यह कहना तो मुश्किल है लेकिन इतना जरूर है कि यह न्याय संगत नहीं था. संविधान के मुताबिक नहीं था. क्योंकि धर्म के नाम पर किसी भी समुदाय को आरक्षण नहीं दिया जा सकता है और ये भी तो सोचना होगा कि जब आपने इस्लाम धर्म को अपनाया तो इस्लाम तो सोशल इनिक्वालिटी को मानता नहीं है और उसके जो अनुयाई हैं, वो यह नहीं कह सकते हैं कि वे सामाजिक तौर पर अनइक्वल हैं. सोशल इकोनामिक बैकग्राउंड पर रिजर्वेशन मिल रहा है तो वह सोशल तो कहीं से हो ही नहीं सकता है. अगर आपको उसका लाभ चाहिए तो वह आर्थिक तौर पर ही मिल सकता है और इसमें चाहे कोई भी हो चाहे वह हिंदू हो या मुसलमान यह सबके लिए है. इसलिए उन्हें ईडब्ल्यूएस के कोटा में शेड्यूल कास्ट के साथ डाल दिया गया है. मुसलमान तो बराबरी की बात करते हैं, तो सोशल इनिक्वालिटी तो हुआ ही नहीं न इसी कारण से आरक्षण की प्रक्रिया में बदलाव किया गया है. क्योंकि किसी भी राज्य में धर्म के नाम पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता है और कांग्रेस जो है वह तुष्टिकरण की राजनीति करती रही है. लेकिन जब हम बात करेंगे तो कॉन्स्टिट्यूशन के दायरे में बात करेंगे न्याय संगत बात करेंगे.
देश ने एक नया ट्रेंड देखा है जिसे हम प्रो-इनकंबेंसी कहते हैं. यह पहले एंटी इनकंबेंसी के नाम पर होता था लेकिन अब यह प्रो इनकंबेंसी के नाम पर होता है. इसका मतलब यह है कि लोग चाहते हैं कि सरकार अच्छा काम कर रही है इसे फिर से कंटिन्यू किया जाए और उन्हें वक्त दिया जाए. जो मोदी जी का इमेज है वह भाजपा को एक नई ऊंचाई पर ले जाता है. उन्होंने जो लड़ाई शुरू की है भ्रष्टाचार के मुद्दे पर तो देखिये कि इतने पैसे तो कभी नहीं जब्त किए गये थे जितना कि अब किया गया है तो निश्चित ही जनता मोदी जी के ऊपर भरोसा करती है और मोदी जी भाजपा से हैं तो निश्चित तौर पर भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलेगा. हम बहुमत से भी आगे जाएंगे. इस बार आप, देखिएगा कि शायद जेडीएस अपना वजूद भी खो दे और कांग्रेस कितना कर पाती है यह भी देखना होगा लेकिन हम लोग बहुत अच्छी स्थिति में हैं.
[ये आर्टिकल निजी विचारों पर आधारित है.]