दक्षिण भारत में ये विचित्र स्थिति है. कर्नाटक में कांग्रेस में पहले दो गुट थे- डीके शिवकुमार और सीतारमैया. अब तीन गुट हो गए हैं. मल्लिकार्जुन खरगे के लड़के पंकज खड़गे एकदम से ऊपर आ गए हैं. तो तीन गुटों की मारामारी है कांग्रेस में. अब बीजेपी से जिसको भी टिकट नहीं मिला, उसको खींचने की तैयारी है. मुझे लगता है कि फाइट बहुत टफ है.
फाइट बहुत टफ, नरेंद्र मोदी डिसाइडिंग फैक्टर
दोनों तरफ में टांका जो है, वह 19-20 का भी नहीं है, बिल्कुल एक जैसा है. आप विशेषज्ञ के तौर पर भी नहीं कह सकते कि बीजेपी जीतेगी या कांग्रेस. मुझे लगता है कि ये नरेंद्र मोदी के लिए चैलेंज है. जो दो-तीन परसेंट वोटर हैं नरेंद्र मोदी के, वो बीजेपी के वोटर नहीं हैं, बल्कि वो नरेंद्र मोदी के ऊपर पागल होकर वोट करते हैं. वो यंगस्टर्स हैं, डिजिटल चिल्ड्रेन हैं, तो नरेंद्र मोदी का फैक्टर बहुत डिसाइडिंग होगा. वो जो 20 रैली करनेवाले हैं, उसका फर्क पड़ेगा.
राहुल गांधी में वो बात नहीं
जब इंदिरा गांधी की सत्ता छीन ली थी, रायबरेली की जनता ने, तो चित्तमंगलूर में लोग सड़कों पर उतर आए थे, मारामारी हो गई थी, लेकिन राहुल गांधी का जो वायनाड है, वह भी साउथ में ही है. वायनाड कर्नाटक से बेहद नजदीक हैं, लेकिन राहुल गांधी की छवि उधर अच्छी नहीं है. राहुल गांधी को डर लग रहा है जाने में. उन्होंने एकदम स्पष्ट रूप से बोल दिया है कि अंबानी का, अडाणी का नाम नहीं लेना है. हालांकि, मुझे लगता है कि उधर राहुल गांधी वर्सेज मोदी की टक्कर खत्म होकर बोम्मई वर्सेस सिद्धारमैया हो गया. बोम्मई की जो छवि है, वो 40 परसेंट कमीशनधारी कहकर खराब की जा रही है. तो, ये जो कांग्रेस के पास चुनौती है, बीजेपी के 50 परसेंट वोट को लेकर इधर-उधर करने की, उसमें नरेंद्र मोदी अपना दो-तीन परसेंट वोट मिलाकर आज की तारीख में जीत भी सकता है.
भाजपा ने नए चेहरों को मौका दिया है
नरेंद्र मोदी ने पुराने 50-60 लोगों का टिकट काट दिया है. कहा जो पुराने लोग हैं, उनकी जगह नए को मौका दो. जिनका टिकट कटा, वो 70 से 90 वर्ष की उम्रवाले हैं. जिनको टिकट दिया है, वो नए लोग हैं. तो ये भी एक बात है. जगदीश शेट्टार जैसे लोगों ने जो बगावत की है, उससे नुकसान तो होगा. यह तो स्वाभाविक है. नुकसान कितना पहुंचेगा, अभी कह नहीं सकते. कैंपेन पर निर्भर करता है. शेट्टियार को भी दिल्ली बुलाया है. ईशरप्पा करके जो दलित लीडर हैं, उनका टिकट काटा है. तो उनको छह महीने बाद राज्यपाल बना देंगे. मुझे लगता है कि बीजेपी का अंदरूनी मामला दो दिनों में सुलटेगा. उन लोगों के ऊपर अमित शाह का डंडा चाहिए एक. तो दो दिनों बाद आखिरी डेट है, तो पता चल जाएगा.
बीजेपी स्ट्रेटेजी से टिकट बांट रही है
जिनके टिकट कटे हैं, वो पुराने हैं. यंगस्टर्स को टिकट दे रही है. 35 परसेंट औरतों को टिकट बांटा है. छोटे-छोटे कॉलेज से निकली जो बच्चियां हैं, उनको टिकट दिया है. एंटी-इनकम्बैन्सी को सुधारने के लिए नरेंद्र मोदी ये खेला किया है. अब सोनिया गांधी जा नहीं रही हैं, राहुल गांधी कल-परसों से जाएंगे, प्रियंका दो-तीन बार जा चुकी है. तो फैक्शन का मामला है. कांग्रेस वोटकटुआ पार्टी बनकर उभरेगी. पहले आम आदमी पार्टी का यह मामला था, लेकिन अब वो उधर है नहीं.