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PM मोदी की सुरक्षा में हुई चूक का पैमाना राज्य के हिसाब से ही क्यों बदल जाता है?

बीते साल इन्हीं दिनों में पंजाब के दौरे पर गये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में हुई चूक को लेकर देशव्यापी बवाल मचा था और तब बीजेपी ने चरणजीत सिंह चन्नी की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया था.कर्नाटक के हुबली शहर में गुरुवार को पीएम के रोड शो के दौरान भी कुछ वैसी ही सुरक्षा चूक हुई है लेकिन राज्य सरकार इसे कोई चूक मानने को तैयार नहीं है.

इसलिये बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि क्यों कि कर्नाटक में बीजेपी की सरकार है और वहां अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव हैं तो क्या इसे ध्यान में रखते हुए ही इसे बड़ा मुद्दा नहीं बनाया गया? दूसरा बड़ा सवाल ये भी कि पीएम की सुरक्षा को लेकर हर राज्य के लिहाज से ये मापदंड आखिर कैसे बदल जाते हैं और एसपीजी की "ब्लू बुक" तब कहां चली जाती है? 

1984 में एसपीजी का किया गया था गठन
सब जानते हैं कि देश के पीएम की सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हुए ही साल 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद अगले साल ही स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप यानी एसपीजी का गठन किया गया था .तब तय किया गया था कि ये इलीट सुरक्षा समूह मौजूदा पीएम के साथ ही पूर्व पीएम और उनके परिजनों को भी सुरक्षा-कवच देता रहेगा. हालांकि मोदी सरकार ने पूर्व पीएम और उनके परिजनों को मिल रहे एसपीजी कवर को छीनते हुए अब अर्ध सैनिक बलों के जवानों के भरोसे ही उनकी सुरक्षा छोड़ दी है लेकिन सुरक्षा के लिहाज से समझने की बात ये है कि एसपीजी पीएम को सिर्फ आतंरिक घेरे में रखती है,यानी उसकी मर्जी के बगैर कोई परिंदा भी वहां पर नहीं मार सकता.

जब पीएम किसी भी राज्य के दौरे पर जाते हैं तब बाहरी सुरक्षा का सारा जिम्मा वहां की राज्य पुलिस का ही होता है.इसलिये आपने देखा भी होगा कि जब पीएम मोदी किसी शहर में रोड शो करते हैं तो सड़क के दोनों तरफ आम लोगों को रोकने के लिए पुलिस बेहद मोटी रस्सियों वाली बॉउंड्री बना देती है और इसका खास ख्याल रखती है कि कोई उसे पार न कर पाए, जिसे सुरक्षा बाड़ा कहा जाता है.अब सवाल ये उठता है कि हुबली में पीएम मोदी के रोड शो के दौरान एक युवक अचानक उनकी तरफ दौड़ता है और पीएम के काफी ज्यादा करीब तक आखिर कैसे पहुंच जाता है? दरअसल,वह युवक प्रधानमंत्री तक फूलों की माला पहुंचाना चाहता था, इसके लिए उसने बिना सोचे समझे जय पुलिस का बनाया घेरा तक तोड़ दिया और पीएम मोदी तक पहुंच गया. इसे देखते ही एसपीजी कमांडो हरकत में आए और युवक को पीएम से दूर कर दिया लेकिन पीएम के बाहरी सुरक्षा घेरे का जिम्मा संभाल रही राज्य पुलिस आखिर क्या कर रही थी कि वह उनकी आंखों में धूल झोंककर पीएम की गाड़ी तक पहुंच गया?

पंजाब दौरे के वक्त भी हुई थी गंभीर लापरवाहियां 
हैरानी की बात तो ये है कि वहां के पुलिस कमिश्नर ने सुरक्षा में सेंध से इनकार करते हुए कहा है कि पीएम की सुरक्षा में किसी तरह की कमी नहीं हुई है. जबकि वीडिया में साफ दिख रहा है कि भीड़ से निकलकर दौड़ता हुआ शख्स पीएम मोदी के पास पहुंच जाता है जिसे एसपीजी द्वारा रोकने के बाद स्थानीय पुलिसकर्मी वहां से हटाते हुए नजर आ रहे हैं. उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह मानते हैं कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा में गंभीर लापरवाहियां पंजाब दौरे के वक्त भी हुई थी और उसका नमूना हुबली में भी देखने को मिला है. उनके मुताबिक "एडवांस सिक्योरिटी लायसन" (एएसएल) मीटिंग होती है जिसमें एसपीजी के साथ स्थानीय पुलिस और प्रशासन के अधिकारी शामिल होते हैं. 

इस मीटिंग में प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के हर मिनट का सुरक्षा विश्लेषण होता है. श्रमिकों, छात्रों, किसानों के संभावित प्रदर्शन का विश्लेषण होता है. इसके अलावा राष्ट्र विरोधी तत्वों से जीवन के खतरे (थ्रेट परसेप्शन) का विश्लेषण भी होता है. प्रधानमंत्री के मूवमेंट की पूरी ड्रिल की जाती है. उस ड्रिल के हिसाब से ही प्रधानमंत्री की सुरक्षा के इंतजाम किए जाते हैं. हर चीज का विकल्प रखा जाता है. ठहरने की व्यवस्था का विकल्प रखा जाता है, इसी तरह रूट का भी विकल्प रखा जाता है. आपात स्थिति के लिए सुरक्षित ठिकाने भी तैयार रखे जाते हैं. अब बड़ा सवाल ये उठता है कि एसपीजी और पीएमओ ने इसे सुरक्षा में कोई चूक अगर नहीं माना तो आखिर ऐसा क्यों हुआ? सवाल ये भी उठता है कि पीएम मोदी अगर गैर बीजेपी शासित राज्यों में जाते हैं और वहां भी सुरक्षा की ऐसी ही कोई चूक होती है तो क्या तब भी एसपीजी ऎसे ही खामोश बनी रहेगी ?

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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