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कर्नाटक-महाराष्ट्र में सीमा-विवाद को लेकर भड़की आग को क्यों नहीं बुझाता केंद्र?

कर्नाटक में अगले पांच महीने के भीतर विधानसभा चुनाव होने हैं लेकिन उससे पहले ही महाराष्ट्र के साथ चल रहे दशकों पुराने सीमा विवाद ने उग्र रूप ले लिया है. कर्नाटक के बेलगाम (बेलगावी) पहुंचने वाले महाराष्ट्र की नंबर प्लेट वाले ट्रकों और बसों पर पथराव होने के बाद ये आंदोलन हिंसक होता दिख रहा है. 
                     
जवाबी कार्रवाई करते हुए शिव सैनिकों ने भी पुणे पहुंचने वाली कर्नाटक की सरकारी बसों पर कालिख पोतकर अपने इरादे जता दिये हैं. कर्नाटक में बीजेपी की सरकार है, जबकि महाराष्ट्र में भी बीजेपी-शिव सेना गठबंधन सरकार ही सत्ता में है, लेकिन इसके बावजूद दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री इस आंदोलन को काबू करने के लिए कोई ठोस कार्रवाई करते हुए फिलहाल तो नहीं दिखते हैं.  

शायद यही वजह है कि एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने हालात की नाजुकता को भांपते हुए केंद्र सरकार से इस मामले में तुरंत दखल देने को कहा है. ऐसे में, केंद्र सरकार का ये फर्ज़ बनता है कि वह दोनों राज्यों को न सिर्फ संयम बरतने की हिदायत दे बल्कि कोई ऐसा फार्मूला भी निकाले कि इस विवाद को जड़ से ही खत्म कर दिया जाये. 

दरअसल,दोनों ही राज्यों में अंतर्राज्यीय सीमा को लेकर पिछले कई बरसों से विवाद चल रहा है. लेकिन कुछ अरसे के अंतराल के बाद दोनों ही तरफ से इस चिंगारी को छेड़ दिया जाता है,जो हिंसक घटनाओं में तब्दील हो जाती है और दोनों ही राज्यों के लोगों के लिये आना-जाना बड़ी मुसीबत बन जाता है. इस पूरे विवाद के केंद्र में बेलगाम यानी बेलगावी ज़िला केंद्र में है क्योंकि महाराष्ट्र दावा करता रहा है कि 1960 के दशक में राज्यों के भाषा-आधारित पुनर्गठन के समय ये मराठी-बहुल क्षेत्र कर्नाटक को गलत तरीके से दिया गया था.  

वैसे तो महाराष्ट्र से लगते कर्नाटक के सीमावर्ती इलाके में ऐसे कई गांव हैं,जहां मराठी भाषी लोगों की बहुतायत है,इसलिये महाराष्ट्र लंबे अरसे से इन गांवों को अपने राज्य में शामिल करने की जद्दोजहद में लगा हुआ है, लेकिन कर्नाटक सरकार इसके लिए राजी नहीं है. दोनों राज्यों के बीच सीमा-विवाद को लेकर कानूनी लड़ाई चल रही है,जिस पर अंतिम फैसला आना बाकी है. 

इस बीच कर्नाटक ने भी हाल ही में महाराष्ट्र के कुछ गांवों पर अपना दावा फिर से शुरू कर दिया है, जिससे दोनों राज्यों में विवाद बढ़ता जा रहा है. ये ऐसा अजूबा विवाद है,जहां दोनों ही राज्यों में डबल इंजन की सरकार है लेकिन इसके बावजूद केंद्र सरकार बरसों पुराने इस झगड़े को सुलझाने में अभी तक नाकाम ही रही है. 

अगर शरद पवार की बात मानें,तो ताजा मामले से हालात ज्यादा गंभीर हो गये हैं और अगर केंद्र ने तुरंत इसमें हस्तक्षेप नहीं किया,तो स्थिति और भी ज्यादा हिंसक रूप ले सकती है. उनके मुताबिक दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री आगे आकर इस मामले में जल्द ही कोई ठोस निर्णय लें क्योंकि महाराष्ट्र के लोगों पर हमला हो रहा है.  गाड़ियों को टारगेट किया जा रहा है और दहशत का माहौल पैदा किया जा रहा है. 

हालांकि महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से बात की है और बेलगावी के पास हिरेबगवाड़ी में हुई घटनाओं पर कड़ी नाराजगी भी व्यक्त की है. बोम्मई ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कहते हुए फडणवीस को आश्वासन दिया है कि महाराष्ट्र से आने वाले वाहनों की सुरक्षा की जाएगी. 

लेकिन पवार इससे संतुष्ट नहीं हैं और कहते हैं कि इससे कुछ होने वाला नहीं है. सीमा पर आने जाने वाले वाहनों को लेकर एक बड़ी परेशानी बनती दिखाई दे रही है. जिस तरह से वहां हमला किया गया और घटना घट रही हैं, ये बेहद गंभीर है. अगर अगले 24 घंटों में हालात नहीं सुधरते हैं तो आगे जो कुछ भी होगा, उसकी पूरी जिम्मेदारी केंद्र और कर्नाटक सरकार की होगी. हिंसा और तोड़फोड़ की ताजा घटनाओं के बाद कर्नाटक सरकार ने महाराष्ट्र की ST बस को बेलगाम (बेलगावी) में आने से मना कर दिया है.  

कर्नाटक पुलिस ने ST महामंडल से कहा है कि यहां बसों पर पथराव हो सकता है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वहां हालात बेकाबू होते जा रहे हैं. शायद इसीलिये शरद पवार को ये कहने पर मजबूर होना पड़ा है कि किसी को भी हमारे (महाराष्ट्र) धैर्य की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए और यह गलत दिशा में नहीं समझा जाना चाहिए.  उन्होंने राज्य के सीएम एकनाथ  शिंदे से भी कहा है कि वे कोई भी फैसला लेने से पहले सभी पार्टियों को विश्वास में लें और महाराष्ट्र के हितों का ख्याल रखें. 

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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