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कर्नाटक: कानून मंत्री के ऑडियो टेप से बीजेपी कैसे बचा पायेगी दक्षिण का किला?

Karnataka Minister Audio Clip Row: दक्षिणी राज्य कर्नाटक में मंत्रियों व नेताओं के फोन रिकॉर्ड करने और फिर उसे सार्वजनिक रुप से लीक करने का सियासी इतिहास पुराना है. वहां सरकार चाहे जिस पार्टी की रही हो लेकिन अपने विरोधियों के फोन टेप करके उन्हें लीक करने में कोई भी दल दूध का धुला हुआ नहीं है. ताजा मामला कर्नाटक के कानून मंत्री जेसी मधुस्वामी से जुड़ी एक ऑडियो रिकॉर्डिंग का है जिसके सामने आने के बाद बीजेपी की बोम्मई सरकार के लिये नई मुसीबत पैदा हो गई है.

अमूमन ऐसा कम ही होता है कि एक सीनियर मंत्री अपनी ही सरकार को नाकारा साबित करते हुए उसकी आलोचना करे और वह बात सार्वजनिक हो जाये. अगले साल मई से पहले वहां विधानसभा चुनाव हैं और उससे पहले सामने आए इस ऑडियो कांड ने विपक्ष को मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई सरकार के ख़िलाफ़ एक बड़ा सियासी मुद्दा दे दिया है. सवाल है कि बोम्मई क्या वाकई इतने लचर सीएम हैं कि उनकी कोई प्रशासनिक पकड़ नहीं है, जिसके चलते कई मंत्री भी उनसे नाराज़ हैं?

दरअसल, कानून मंत्री की जो ऑडियो क्लिप सामने आई है, उसने बेंगलुरु से लेकर दिल्ली तक बीजेपी नेतृत्व को बैक फुट पर या कहें कि बचाव की मुद्रा में ला दिया है. इस ऑडियो टेप में कानून मंत्री भास्कर नामक एक सामाजिक कार्यकर्ता से फ़ोन पर बात कर रहे हैं और उसकी शिकायत के जवाब में वे कथित तौर पर कहते हैं कि राज्य में सरकार काम नहीं कर रही है और बीजेपी (BJP) साल 2023 के विधानसभा चुनावों तक सिर्फ चीजों का प्रबंधन कर रही है. 

उन्होंने कहा कि, "सरकार काम नहीं कर रही, हम किसी तरह से मैनेज कर रहे हैं." सामाजिक कार्यकर्ता ने किसानों से जुड़ी समस्या को लेकर एक बैंक के ख़िलाफ़ शिकायत की थी, जिसके जवाब में कानून मंत्री मधुस्वामी को फोन पर उनसे कहते सुना जा सकता है, "हम यहां सरकार नहीं चला रहे, हम बस किसी तरह संभाल रहे हैं और अगले 7-8 महीने तक किसी तरह खींचना है." 

इस ऑडियो क्लिप में मधुस्वामी उस सामाजिक कार्यकर्ता की शिकायत पर अपनी ही सरकार के मंत्री सोमशेखर की कथित निष्क्रियता को लेकर असमर्थता जताते हुए सुना जा सकता है. कानून मंत्री को फोन पर कहते सुना गया, "मैं इन विषयों को जानता हूं. मैंने इस बात से एस टी सोमशेखर (सहकारिता मंत्री) को अवगत करा दिया है. वह कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. क्या करें?"         

उनके इस बयान का मतलब साफ है कि सरकार में सब कुछ ठीक नहीं है और किसी तरह से चुनाव तक इसे घसीटा जा रहा है, लेकिन ये सरकार के नाकारापन को उज़ागर करने के साथ ही सीएम बोम्मई की कार्यशैली पर भी सवाल उठाता है. हालांकि कानून मंत्री के इस कथित बयान उनके कुछ कैबिनेट सहयोगियों ने भी आलोचना की है, लेकिन सियासी कमान से निकला ये ऐसा तीर है, जिसने विपक्ष को जख्मी करने की बजाय उसे संजीवनी बूटी दे दी है.

हालांकि विवाद बढ़ने के बाद मुख्यमंत्री बोम्मई ने सफ़ाई दी है कि  ‘मधुस्वामी ने दूसरे संदर्भ में बयान दिया था. मैं उनसे बात करूंगा. बयान का परिप्रेक्ष्य दूसरा था इसलिए उसे गलत अर्थ में लेने की जरूरत नहीं है. उन्होंने सहकारी बैंक से संबंधित किसी मुद्दे पर विशेष रूप से बात की थी. चीजें अब दुरुस्त हैं, कोई समस्या नहीं है.’ मंत्रिमंडल के सहयोगियों द्वारा मधुस्वामी के प्रति नाराजगी व्यक्त करने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मैं उन सभी से बात करूंगा.’

बोम्मई पर लगे आरोपों के बाद अब सरकार के मंत्री ही एक दूसरे के इतने खिलाफ हो चुके हैं कि अब उनमें जूतमपैजार की नौबत आ गई है. राज्य के एक सीनियर मिनिस्टर ने कानून मंत्री के इस्तीफे की मांग कर डाली, तो वहीं सहकारिता मंत्री एसटी सोमशेखर ने भी उनकी बात से असहमति जताते हुए कहा कि अगर उन्हें लगता है कि हम केवल मैनेज कर रहे हैं, तो उन्हें कर्नाटक के कानून मंत्री के रूप में तुरंत पद छोड़ देना चाहिए. वह सरकार का हिस्सा हैं और वे हर कैबिनेट बैठक में लिए गए निर्णय का भी हिस्सा हैं. अगर उन्होंने वह बयान दिया है, इसका मतलब है कि वह भी इसके पक्षकार हैं. मंत्री पद पर होने के कारण, इस तरह का बयान देना उनके लिए गैर जिम्मेदाराना है.

ये तो हुई सरकार के ही मंत्री की बात लेकिन सच तो यह है कि पिछले कुछ महीनों में बोम्मई के विरोधी काफी मुखर हो चुके हैं. विरोधियों का आरोप है कि मुख्यमंत्री ने राज्य पर अपनी पकड़ खो दी है. कर्नाटक में सांप्रदायिक हिंसा भी भड़क रही है. पिछले महीने बीजेपी के एक कार्यकर्ता की हत्या कर दी गई थी.अब ये ऑडियो टेप सामने आने के बाद मुख्य विपक्षी कांग्रेस व जनता दल सेक्युलर को सरकार के खिलाफ हमलावर होने का एक और हथियार मिल गया है. इसलिये बड़ा सवाल है कि दक्षिण के इकलौते किले को क्या बीजेपी इतनी आसानी से बचा पायेगी?

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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