बहुचर्चित फिल्ममेकर सुदीप्तो सेन का कहना है कि कोई मुझे फिल्म टेररिस्ट भी कहेगा तो मुझे बुरा नहीं लगेगा,क्योंकि मैं सच्ची घटनाओं पर आधारित फिल्म बनाना चाहता हूं,ज्वलंत मुद्दों और पीड़ितों का दर्द समाज और सिस्टम को दिखाना चाहता हूं. सुदीप्तो सेन ने कहा उन्होंने केरला स्टोरी और बस्तर में मैंने यही किया, 2025 में केरला स्टोरी-2 में भी यही सच होगा.. अब इस वजह से नाराज कोई संगठन या व्यक्ति विशेष फतवे जारी कर  सुदीप्तो सेन की गर्दन काटने और आंख निकाल कर लाने, जिंदा जलाने और हत्या करके लाश को लटकाने के लिए इनाम की घोषणाएं करता है या कार्यक्रमों में विरोध कराता है, तो वह करे, मुझे इसकी परवाह नहीं, मैं अपना काम कर रहा हूं,पूरी सच्चाई से करता रहा हूं और भविष्य में भी करता रहूंगा..सच की अपनी ताकत होती है.. सच को सिक्योरिटी की जरूरत नहीं होती.. 


देवभूमि हिमाचल में विश्व संवाद केंद्र द्वारा दो दिवसीय हिम फिल्मोत्सव आयोजित किया गया.. इस समारोह में भारतीय सिनेमा और फिल्म निर्माण के क्षेत्र से जुड़ी दिग्गज हस्तियों के साथ क्षेत्रीय कलाकारों,राजनेताओं और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं शिक्षा जगत के कई बड़े चेहरे यहां पहुंचे.. इनमें सुदीप्तो सेन का आगमन वादियों के ठंडे वातावरण में गर्मी पैदा करने वाला रहा.. आयोजकों द्वारा राजकीय कालेज धर्मशाला के सभागार में उद्घाटन सत्र, संबोधन और विमोचन के बाद सीधे बात का सत्र रखा था.. इसमें सुदीप्तो सेन ने मुखरता से अपने उद्गार व्यक्त किए साथ ही उन्होंने छात्र छात्राओं के सवालों के जवाब भी दिए,मगर इस सत्र की समाप्ति के बाद जैसे ही सुदीप्तो सेन मंच से नीचे उतरे तो केरल से संबंधित एक छात्रा एवं छात्र ने उन्हें घेर लिया,इससे पहले की मामला और तूल पकड़ता आयोजकों की टीम ने इन्हें बाहर कर दिया.. हालांकि इस बीच वातावरण में गरमाहट जरुर पैदा हुई थी.. इसी के साथ एक अतिथि के साथ हुए इस बर्ताव की कड़े शब्दों में निंदा भी की गई.. सवाल यह उठा कि जब प्रश्न करने का समय था तो उस समय सुदीप्तो सेन से सीधा सवाल क्यों नहीं किया.. इस घटनाक्रम के पीछे कौन था,क्या मंशा थी? आयोजकों द्वारा इसकी जांच कराई जा रही है..  


वहीं आयोजकों  सुरक्षा के बीच सुदीप्तो सेन को धर्मशाला के प्रख्यात पर्यटन स्थल मैकलोडगंज भेजा.. यहां सुदीप्तो सेन ने कहा कि वह इस तरह के घटनाक्रमों से नहीं डरते..फिर अंजाम चाहे जो भी हो.. क्या सुदीप्तो सेन ने इस तरह की कंट्रोवर्सी से ही अपनी फिल्म केरला स्टोरी का कारोबार 350 करोड़ से अधिक करा लिया ? इस तरह के सवालों पर सुदीप्तो सेन दो टूक कहते हैं कि वह उन लोगों में से नहीं है,जिनका धंधा और दाल रोटी कंट्रोवर्सी से चलती हो.. वह खुद को फिल्म मेकर से पहले फिल्म एक्टिविस्ट मानते हैं और कोई उन्हें फिल्म टेरेरिस्ट भी बोले तो उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता.. मौजूदा दौर में भारत को इस तरह के कई फिल्म टेररिस्ट चाहिए.. पिछले एक दशक में भारतीय सिनेमा ने अपनी पहचान बदली है.. अब भारत में वास्तविक घटनाओं पर आधारित फिल्मों का प्रचलन बढ़ा है और दर्शक इसे खूब पसंद कर रहे हैं..केरला स्टोरी और बस्तर इसी तरह की फिल्मों में शुमार है.. 


सुदीप्तो सेन ने कहा कि वह छोटे से शहर से आते हैं.. उनका भी कुछ बड़ा और बेहतर करने का सपना है..  भारत के महान राष्ट्रपति स्वर्गीय एपीजे अब्दुल कलाम जी के एक कथन कि सपने वो होते हैं जो सो कर नहीं देखे जाते,सपने वो होते हैं जो आपको सोने नहीं देते.. मैंने जैसी फिल्म बनाने का सपना देखा था,उसे मैंने दिन रात एक करके पूरा किया.. सुदीप्तो सेन ने हिम फिल्मोत्सव-2024 के मंच से एक बेहद महत्वपूर्ण विषय को छुआ,जिसका सीधा असर हिमाचल के कलाकारों पर पड़ रहा है.. उनका मानना है भारतीय सिनेमा की हर तीसरी चौथी फिल्म की शूटिंग हिमाचल में होती है.. फिर चाहे वह हिंदी सिनेमा हो या मराठी,तेलुगू,मलयालम,बंगाली, भोजपुरी अथवा पंजाबी..हिमाचल सरकार को बंगाल,तेलंगाना,उत्तर प्रदेश जैसे अन्य राज्यों से सीख लेने की आवश्यकता है,क्योंकि इन राज्यों में फिल्म निर्माण को लेकर जो पालिसी लागू की है,उसका सीधा लाभ कलाकारों और फिल्म निर्माण में उपयोगी तमाम विधाओं से जुड़े संबंधित राज्यों के लोगों को मिल रहा है..


उन्होंने कहा यह इस लिए संभव हुआ क्योंकि इन राज्यों में फिल्म निर्माण की अलग अलग विधाओं से जुड़े संगठन सक्रिय भूमिका में है.. इन संगठनों की जागरुकता का ही नतीजा है कि इन राज्यों में जब भी कोई फिल्म की शूटिंग होती है तो 20 से 25 प्रतिशत तक संबंधित राज्यों के फिल्म निर्माण से जुड़े कलाकारों,तकनिशियनों को फिल्म के क्रू मेंबर के रुप में शामिल किया जाता है,जिससे स्थानीय कलाकारों और फिल्म उद्योग से जुड़े लोगों को आगे बढ़ने के अवसर और आर्थिक लाभ होता है.. हिमाचल सरकार को भी यह कदम उठाना होगा.. इसी के साथ उन्होंने विश्व संवाद केंद्र के प्रयासों की सराहना की.. उन्होंने कहा कि देश के अलग अलग राज्यों में जिस तरह से विश्व संवाद केंद्र ने फिल्मोत्सव आयोजित कर फिल्म निर्माण की तमाम विधाओं से जुड़े युवाओं और पहले से कार्य में जुड़े लोगों को सीखने समझने का प्लेटफार्म दिया है,इसी के साथ इन्हें राष्ट्र निर्माण में अपनी क्षमताओं का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित भी किया.. सुदीप्तो का मानना है कि यह ऐतिहासिक कदम है,जिसके सार्थक परिणाम सामने आने लगे है..  


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उत्तर क्षेत्र के प्रचार प्रमुख अनिल कुमार ने सुदीप्तो सेन के इस सुझाव की जहां सराहना की,वहीं हिमाचल के सांसद राजीव भारद्वाज ने इस विषय पर संज्ञान लेते की बात कही है.. प्रचार प्रमुख अनिल कुमार ने कहा कि भारतीय सिनेमा की पहली फिल्म हरिशचंद्र सत्य के आइकान कहने जाने वाले राजा हरिश्चंद्र पर तैयार की गई थी,उस समय भी खलनायक पर आधारित बन सकती थी.. हमारी संस्कृति में भारतीय मन अपने नायक को मरता नहीं, सफल देखने की चाह रखता है.. भारत की फिल्में कैसी हों,सीरियल, वेब सीरीज और विज्ञापन आदि में परोसी जा रही सामग्री से समाज पर क्या असर पड़ेगा,इन विषयों पर कंटेंट निर्माण से पहले गंभीरता जरुरी है.. केवल इंटरटेनमेंट इंटरटेनमेंट और इंटरटेनमेंट से काम नहीं चलेगा..इस सोच को दूर कर संस्कृति के अनुकूल होकर समझने की आवश्यकता है.. सुदीप्तो सेन और उन जैसे अन्य कई फिल्ममेकर इस मर्म को समझते हैं.. फिल्म निर्माण और इसकी अलग अलग विधाओं में कार्य करने की इच्छुक वर्तमान और भावी पीढ़ी भी इनसे प्रेरणा लेकर बेहतर समाज बनाने, जागरूकता लाने और राष्ट्रीय एकता एवं सौहार्द को बढ़ाने वाले विषयों पर फोकस करना होगा.. 


 


[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं.यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.]