'रिश्ता वो जो मीठा हो जाए', योगी आदित्यनाथ के लिए केशव प्रसाद मौर्य का 300 पार का नारा
यूपी बीजेपी में युद्ध विराम हो गया है. 'हम साथ-साथ हैं' पर चलते हुए पार्टी ने फिर 300 पार का नारा दिया है. बीती ताही बिसारिए आगे की सुधि लेई. पार्टी ने यूपी चुनाव के लिए यही मैसेज दिया है. संघ और बीजेपी के तीन दिनों के मंथन के बाद साल 2017 के नतीजों को 2021 में दोहराने का लक्ष्य है.
राजनीति भी समय है और इस समय का पहिया फिर घूम गया है. वो भी पांच सालों में ही.. केशव प्रसाद मौर्य ने फिर 300 पार का नारा दिया है. बैठक में जब उन्होंने अपने मन की ये बात की, तब योगी आदित्यनाथ उनसे बस तीन कुर्सी दूर थे. पांच साल पहले भी केशव ने तीन सौ पार करने का दावा किया था. ऐसा हुआ भी. लेकिन उनके मन का नहीं हो पाया. योगी आदित्यनाथ सीएम हो गए और उन्हें डिप्टी सीएम से संतोष करना पड़ा. अगले चुनाव में बीजेपी का चेहरा कौन? केशव के घर योगी के खीर खाते ही सब मीठा हो गया है. चुनाव में चेहरे को लेकर चिक चिक खत्म हो गई है. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य अब कह रहे हैं हमारे यहां कोई मतभेद नहीं है. कल तक उनका मन केंद्रीय नेतृत्व पर अटका था. पर अब वे मान गए हैं या फिर यूं कहिये कि मना लिया गया है.
विजय का मूल मंत्र- अब कोई रार नहीं, मन में दीवार नहीं
पिछले तीन दिनों से लखनऊ में संघ और बीजेपी की बैठकों का दौर जारी है. इस मंथन से इस बार बस अमृत ही निकला. बीजेपी में अब हम साथ साथ हैं की हवा है. लखनऊ के पार्टी ऑफिस में बीती रात चार घंटे तक बैठक हुई. योगी सरकार के सभी मंत्रियों को बुलाया गया था. सबने अधिकारियों की शिकायत की. उनकी मनमानी के किस्से सुनाए. योगी और संगठन महामंत्री बीएल संतोष सब नोट करते रहे. फिर एक मंत्र दिया गया. विजय का मूल मंत्र- अब कोई रार नहीं, मन में दीवार नहीं. घर घर तक योगी सरकार का काम पहुंचाना है.
राजनीति का सच यही है कि सिर्फ काम से वोट नहीं मिलता है. इसके लिए किस्म किस्म के फॉर्मूले बनाए जाते हैं. सब मिलाकर रणनीति यही बनी है कि हिंदुत्व के साथ-साथ सामाजिक समीकरण भी बैठाना है. जातीय समीकरण सेट करने के लिए नेताओं को अपनी-अपनी बिरादरी का मन जीतने का लक्ष्य दिया गया है. बीजेपी के सामने चुनौती 2017 के नतीजों को दुहराने की है. सहयोगी दलों को साथ लेकर चलना भी कम कठिन काम नहीं है. चुनाव करीब आते देख अब तक मौन रहे संजय निषाद डिप्टी सीएम के लिए ताल ठोंकने लगे हैं. यूपी के पूर्वांचल में निषाद मतलब मल्लाह समाज के वोटरों का असर है. वहीं पटेल समाज की राजनीति करने वाली अनुप्रिया पटेल भी सत्ता में हिस्सेदारी चाहती हैं. बीजेपी ने अपना घर ठीक कर लिया है तो देर सवेर सहयोगी पार्टियों को भी समझा बुझा लिया जाएगा.