अमृतपाल समर्थकों के सामने पंजाब पुलिस की बेबसी खतरनाक संकेत, पाक चला रहा K-2, बढ़ सकती हैं खालिस्तानी गतिविधियां
अजनाला में जो कुछ गुरुवार को हुआ और उसके नतीजे में शुक्रवार को जो कुछ भी हुआ वो एक बड़े खतरे की घंटी है. यह पंजाब के लिए ही नहीं, बल्कि देश के लिए भी खतरे की घंटी है. अराजकता के सामने पंजाब पुलिस और वहां की सरकार का नग्न समर्पण है. जिन लोगों पर आरोप थे एक शख्स के अपहरण व मारपीट की, उनमें से एक की गिरफ्तारी होती है लवप्रीत सिंह तूफान की. और उनके बाकी साथी जिन पर भी ये आरोप था वो हजारों का हुजूम लेकर के तलवारों और बंदूकों के साथ थाने का केवल घेराव ही नहीं करते हैं बल्कि बैरिकेडिंग तोड़ते हैं, पुलिस वालों के साथ मारपीट करते हैं. इसमें कुछ लोग घायल हो जाते हैं और उसको छोड़ने का दबाव बनाते हैं. सबसे शर्मनाक बात ये है कि पुलिस इस दबाव के सामने नतमस्तक हो जाती है. वो न केवल छोड़ने के लिए राजी हो जाती है बल्कि ये कह देती है कि हम कल उनको रिहा कर देंगे और वैसा ही हुआ... तो ये बहुत ही खतरनाक संकेत है.
पंजाब की आंतरिक सुरक्षा पर बढ़ेगा खतरा
ये बहुत बड़ी चुनौती है क्योंकि इस घटना के बाद खालिस्तान समर्थक संगठन 'वारिस पंजाब दे' के प्रमुख अमृतपाल सिंह और उसके साथियों के खिलाफ कोई कार्रवाई करना पंजाब पुलिस के लिए और भी मुश्किल होगा. एक ओर जहां अमृतपाल और उसके साथियों का दुस्साहस बढ़ेगा वहीं दूसरी ओर पंजाब पुलिस का मोरल डाउन होगा. खालिस्तान समर्थकों की गतिविधियां पंजाब में और अधिक सिर उठा सकती हैं. इसका पूरा असर पंजाब की आंतरिक सुरक्षा पर पड़ेगा और पंजाब क्योंकि सीमांत राज्य है. इसलिए आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा होगा.
पंजाब में खालिस्तान समर्थकों का एक छोटा समूह हमेशा से 80 के दशक से ही भिंडरावाला के समय से ही सक्रिय रहा है. लेकिन इसे अमृत पाल सिंह ने जिस तरीके से नए तेवर दिए हैं वो एक चिंता की बात है. उसके नेतृत्व में खालिस्थान समर्थक जो दबे छिपे हुए थे, उन्होंने सिर उठा लिया है. उनकी गतिविधियां बढ़ती जा रही हैं. वो न केवल पंजाब सरकार को धमकी दे रहे हैं बल्कि सरकार को भी धमकाने का काम कर रहे हैं...तो ये जो खतरा पहले दिन से उभर आया था कि आम आदमी पार्टी की सरकार के लिए पंजाब को संभालना मुश्किल होगा, वो खतरा अब नए सिरे से सामने आ गया है. ऐसा नहीं लगता है कि आम आदमी पार्टी की भगवंत मान सरकार खालिस्तानी समर्थकों के जैसे तेवर हैं, उनका सामना कर पाएगी.
पंजाब को संभालना हो रहा मुश्किल
अमृतपाल सिंह ने देश की पूर्व पीएम इंदिरा गांधी को लेकर जो कुछ कहा वो कुछ भी नया नहीं है. इसी तरह की भाषा का इस्तेमाल करते रहे हैं. पंजाब सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार को भी धमकी देते रहे हैं. अब तो हाल ही में उन्होंने बयान दिया है जिसमें इंदिरा गांधी का हवाला देते हुए कहा कि जैसा हश्र उनका हुआ वैसा ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का होगा.
वो एक तरह से सीधे, खुली व नग्न धमकी है केंद्रीय सरकार को. इसमें पंजाब सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार को भी चेत जाना चाहिए, क्योंकि इसकी पूरी आशंका है कि अमृत पाल सिंधु को दुबई से पंजाब एक सुनियोजित साजिश के तहत लाया गया है. वो पहले तो सिख के पूरे वेश में भी नहीं था जब वह दुबई में रहता था. पंजाब आकर के उसने खुद को भिंडरावाले की शैली में विकसित किया है. उसी तरह की उसकी बातें करने का अंदाज, उसकी भाषा शैली, उसका पहनावा वो सब भिंडरावाले के नक्शेकदम पर है. ये बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं किया जाना चाहिए कि कोई समूह, संगठन, व्यक्ति हिंसा का सहारा लेकर, अराजकता का सहारा लेकर राज्य सरकार और केंद्र सरकार को इस तरह से खुली धमकी दे. अगर इसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है तो हालात और भी बिगड़ सकते हैं.
खालिस्तानी नेटवर्क को पोषित कर रहा पाकिस्तान
ये केवल कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में ही सक्रिय नहीं है. ये खालिस्तानी समर्थक इन दोनों देशों के अलावा ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोप के कुछ और देशों जैसे जर्मनी, स्पेन और इटली भी शामिल है. इसके अलावा इन्हें पाकिस्तान में भी हर तरह का समर्थन व संरक्षण मिल रहा है. ये कोई नई बात नहीं है और खालिस्तानी नेटवर्क आपस में जुड़ा हुआ है. ऑस्ट्रेलिया के तीन मंदिरों में जो घटना हुई उसके बाद कनाडा के मंदिरों में हुई तो उसमें जो नारे लिखे हुए थे, वो बिल्कुल एक जैसे थे उसमें खालिस्तान की बात की गई थी. पीएम मोदी को धमकी दी गई थी तो वो भाषा और वे नारे बिल्कुल एक होना ये बताता है कि खालिस्तानी समर्थक जिन-जिन देशों में हैं वो सब आपस में मिले हुए हैं. उनका अपना एक नेटवर्क है और इस नेटवर्क को पोषित करने का काम पाकिस्तान भी कर रहा है. ये बहुत पुरानी और जानी हुई बात है कि कनाडा स्थित पाकिस्तान का जो उच्चायुक्त है वह खालिस्तानियों को हर तरह से समर्थन देता रहता है. वहां जब भी खालिस्तानी तत्वों की गतिविधी होती है वहां पाकिस्तान और उसके उच्चायुक्त का हाथ साफ दिखता है.
खालिस्तान रह-रह कर पहले भी सिर उठाते रहा है उसको पता है कि तथाकथित किसान आंदोलन में खालिस्तानी सक्रियता थी और दीप सिद्धू उसी किसान आंदोलन में सक्रिय था. इस बात को किसान नेता भी जान रहे थे और इस आंदोलन को कथित समर्थन देने वाले राजनीतिक दल भी लेकिन उन्होंने उससे आखें बंद कर रखी थी. पंजाब में आज जो कुछ हो रहा है उसकी जड़ें कहीं न कहीं किसान आंदोलन में भी है क्योंकि किसान आंदोलन के जरिये खालिस्तानियों को सक्रिय होने का मौका मिला. दुर्भाग्य से उनकी सक्रियता देश और विदेश में भी देखने को मिली. भारत सरकार को न केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बल्कि घरेलू मोर्चे पर भी सक्रियता दिखाने की जरूरत है.
पाकिस्तान ने प्रोजेक्ट K2 को कभी बंद ही नहीं किया
पाकिस्तान का बहुत पुराना प्रोजेक्ट रहा है K2 यानि कश्मीर और खालिस्तान और ये प्रोजेक्ट कभी भी बंद नहीं हुआ. अब पंजाब के हालात को देखकर के उसने नए सिरे से अपनी सक्रियता बढ़ाई है और वो कश्मीर को भी अशांत व अस्थिर करने की जितनी कोशिश कर रहा है उतनी ही कोशिश पंजाब में भी कर रहा है. तो यह भारत सरकार के लिए गंभीर चिंता की बात है कि पाकिस्तान जो आर्थिक, राजनीतिक रूप से बहुत ही खराब स्थिति में है इसके बावजूद वो खालिस्तानियों को और कश्मीरी आतंकियों और अलगाववादियों को खाद-पानी देने से बाज नहीं आ रहा है. इस मामले में पाकिस्तान की जो भी नीति और रणनीति है उस पर भारत सरकार अभी रक्षात्मक रवैया अपनाए हुए है और इससे बात नहीं बनेगी. भारत सरकार को आक्रामक रवैये का परिचय देना होगा. पाकिस्तान जो कुछ पंजाब में खालिस्तान के बहाने और कश्मीर में रेफरेंडम के बहने कर रहा है जब तक उसे उसकी कीमत नहीं चुकानी पड़ेगी तब तक वो अपनी हरकतों से बाज आने वाला नहीं है.
(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.ये आर्टिकल राजीव सचान जी से बातचीत पर आधारित है.)