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निज्जर की हत्या: आतंकवाद-खालिस्तान पर कनाडा सरकार का अजीब रवैया, पहले ही भारत ने किया था अलर्ट

खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की कनाडा में गोली मारकर हत्या कर दी गई. वह खालिस्तान टाइगर फोर्स की चीफ था और भारत सरकार की तरफ से हाल में उसे डेजिगनेटेड टेररिस्ट घोषित किया गया था. निज्जर कनाडा में रहकर लगातार भारत के खिलाफ आतंकवाद को हवा दे रहा था. हाल में भारत ने 41 आतंकियों की लिस्ट जारी की थी और इसमें हरदीप निज्जर का नाम शामिल था. जहां तक हिन्दुस्तान का ताल्लुक है तो इसके लिए काफी अच्छा और सफल रहा है.   

जहां तक बात खुफिया एजेंसी की संलिप्तता की बात है तो ये तो मैं नहीं जानता हूं लेकिन ये बड़े पैमाने पर मनीलांड्रिंग कर रहे थे. ये उस शख्स को हर प्रकार की फंडिंग और सहायता दे रहे थे, जिसे भारत सरकार ने पकड़कर असम की जेल में भेजा है.

कनाडा सरकार का अजीब रवैया

बहुत पड़े पैमाने पर वो हिन्दुस्तान में खालिस्तान मूवमेंट को वापस हवा देने की कोशिश कर रहा था. उसको ये हर पैमाने पर सपोर्ट दे रहे थे. इनका मारा जाना बहुत लाजिमी था. हिन्दुस्तान ने बार-बार कनाडा की सरकार को उसके बारे में अवगत कराया था, लेकिन उसके बावजूद कनाडा की सरकार का रवैया आतंकवाद और खालिस्तान की मूवमेंट को लेकर अजीबोगरीब रहा है.

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की तरफ से हर वक्त ये आश्वासन दिया जाता है कि इन खालिस्तानी आतंकियों के खिलाफ हर तरह की कार्रवाई की जाएगी, लेकिन वास्तव में वे ऐसा करते नहीं हैं, क्योंकि पंजाब से जो सिख समुदाय के लोग वहां पर गए हुए हैं, वे काफी प्रभावी हैं. ऐसे में ट्रूडो के लिए वोट बैंक पॉलिटिक्स काफी मायने रखती है. इसी मुद्दे की वजह से ट्रूडो इस खालिस्तान मूवमेंट को खत्म नहीं कर पा रहे हैं. लेकिन हरदीप सिंह निज्जर का मारा जाना एक तरह से लिंच पिन था. बाकी आतंकियों के लिए भी ये साफ इशारा है कि देश के साथ अगर बगावत करोगे तो अंतिम नतीजा यही होगा.

खालिस्तान मूवमेंट को खत्म करने के लिए ये जरूरी है कि कनाडा हो या फिर ब्रिटेन... वहां की स्थानीय सरकारों से बातचीत करनी चाहिए. हालांकि, वास्तविकता ये है कि ऑपरेशन ब्लूस्टार के बाद एंटी इंसरजेंसी में हर परिवार ने कुछ न कुछ खोया. जिन लोगों ने उस वक्त मुसीबतें झेली, वो किसी प्रकार से झेलने के लिए दोबारा तैयार नहीं हैं.


निज्जर की हत्या: आतंकवाद-खालिस्तान पर कनाडा सरकार का अजीब रवैया, पहले ही भारत ने किया था अलर्ट

सिख कम्युनिटी बहुत देशभक्त

सिख कम्युनिटी बहुत देशभक्त है. वे पूरी तरह से देश के साथ एकजुट हैं और वे नहीं चाहते हैं कि उनकी शांति को भंग किया जाए. लेकिन, बड़े पैमाने पर पैसा जुटाया जा रहा है ताकि भारत विरोधी खालिस्तान तत्वों को हवा दी जाए. हरदीप सिंह निज्जर के मारे जाने के बाद बाकी आतंकियों के लिए संदेश बिल्कुल साफ है कि आप अमेरिका में हो, कनाडा में हो या फिर दुनिया के किसी और कोने में हो... अंत यही है. हिन्दुस्तान किसी तरह से आपको नहीं छोड़ेगा. यहां की वर्तमान सरकार काफी प्रभावी है हिन्दुस्तान दुनिया की सबसे उभरती हुई मार्केट है. सारी सरकारें चाहती हैं कि हिन्दुस्तान के साथ अच्छे ताल्लुकात रखें.

हिन्दुस्तान की सरकार तो बड़े पैमाने पर अपने एंबैस्डर और हाई कमीशन के माध्यम से, विदेश मंत्रालय के माध्यम से और यहां तक कि प्रधानमंत्री के माध्यम से यह स्पष्ट संदेश भेज रही है कि अगर आपने अपनी एक्टिविटी पर काबू नहीं किया तो भारत और कनाडा के बीच संबंधों में दरार आ सकती है. इससे और कोई सख्त मैसेज नहीं जा सकता है.
कनाडा को ये संदेश गया है कि अगर आप चाहते हों कि हमारे रिश्ते अच्छे हो तो आपको ऐसे तत्वों के खिलाफ कड़ा एक्शन लेना होगा. ये उनको साफतौर पर नजर आ रहा है कि किस तरह की कार्रवाई की जा रही है. 

खालिस्तान मूवमेंट को नहीं कोई बड़ा सपोर्ट

खालिस्तान मूवमेंट को कोई बड़ा सपोर्ट नहीं है. गिने-चुने हजार-दो हजार लोग दुनिया के छह-सात देशों में फैले हुए हैं. इनको बड़े डोनेशन मिलते हैं, जिनसे ये अपनी क्वालिटी ऑफ लाइव में सुधार करते हैं और हिन्दुस्तान के लिए रोड़ा बनने की कोशिश करते हैं. विदेशों में रह रहे सिख समुदाय को ये साफतौर पर नजर आना चाहिए कि हिन्दुस्तान को चोट न पहुंचाएं. हिन्दुस्तान में किसी की प्रकार से वे खालिस्तान को कायम नहीं कर पाएंगे, क्योंकि न तो सिख समुदाय ऐसा चाहता है और न ही हिन्दुस्तान की सरकार कभी ऐसा करने देगी. इसलिए उन लोगों को पैसे देने की बजाय किसी बेहतर उद्देश्य के लिए पैसा खर्च करना ठीक रहेगा.

जहां भी कोई बड़ी आपदा आती है, तो अपनी सेहत की न परवाह करते हुए कोरोना के दौरान सिख समुदाय ने लंगर खोले, अस्पताल खोले और जो सिख समुदाय काम कर रहा है वे अविश्वसनीय है. ये सारी दुनिया जानती है. ये पैसा वहां पर लगाएं जहां इस कम्युनिटी की शोभा हो, बजाय खालिस्तान के.

हिन्दुस्तान की बड़ी जबरदस्त कोशिश अपने एबैस्डर और हाई कमीशन के माध्यम से बताने कि ये रहती है कि वे उस देश के एंबैस्डर हैं. इसलिए वे हिन्दुस्तान के नाम, शान और आबरु को ऊंचा करें और ऐसी गतिविधियां न होने दें, जिनसे आपके और आपके देश के लिए नुकसानदेह हो. हिन्दुस्तान की सरकार उन देशों को भी कह रही है कि उन लोगों को डिपोर्ट किया जाए, तो खालिस्तान मूवमेंट को हवा दे रहे हैं. 

भारत का रहा कड़ा संदेश

हमने पिछले दिनों देखा कि मंदिरों से लेकर गुरुद्वारे तक आए दिन कुछ न कुछ हो रहा है. लेकिन जब हिन्दुस्तान के पीएम ऑस्ट्रेलिया में गए और वहां के प्रधानमंत्री के सामने जिक्र किया, उसके बाद ऐसे मामलों में काफी कमी आयी है. वहीं जब पीएम मोदी अमेरिका में बाइडेन से मिलेंगे तो वे जरूर कहेंगे कि ऐसी गतिविधियां अमेरिका में मत होने दीजिए. पीएम मोदी प्रवासी भारतीयों से इशारों में ये कह सकते हैं कि आप हिन्दुस्तान की शान और मान हो. अमेरिका के लिए अच्छा काम कीजिए, लेकिन हिन्दुस्तान को बदनाम नहीं होने दीजिए.

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]

 

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