एक्सप्लोरर

BLOG: नीतीश के इस्तीफे से क्या हैं JDU के सामने चुनौतियां, लालू के लिए नुकसान और BJP के फायदे?

नीतीश ने अपने इस्तीफे का जो समय चुना है. देश की राजनीति के ट्रेंड के ऐन मुताबिक हो सकता है, लेकिन बिहार की राजनीति के लिए उनका ये फैसला शायद उनके ही समर्थक और प्रशंसक पचा पाएं, इतना आसान नहीं होगा. नीतीश को कई चुनौतियों से जूझना पड़ेगा.

नैतिकता के पैमाने पर राजनीति किसी बजबजाते गंदे नाले की तरह क्यों न हो, इस हमाम में सभी नंगे ही क्यों न कहे जाते हो, लेकिन अपने लंबे राजनीतिक सफर में नीतीश कुमार की छवि अब तक बेदाग रही है. वो अपने और गैरों के बीच ‘विकास पुरुष’ और ‘सुशासन बाबू’ कहे जाते हैं. हालांकि, उन्होंने भी खूब पापड़ बेले हैं, खाक छानी है और रंज झेले हैं. ये उनका ही कमाल है कि इतने लंबे समय तक राजनीति की पथरीली पगडंडियों पर चलने के बावजूद इतना नैतिक साहस रखते हैं कि वो अपनी ही बिरादरी के लोगों को ये नसीहत दे पाते हैं कि कफन में जेब नहीं होती. नीतीश ने अपने इस बयान से साफ कर दिया कि वो किस बात से परेशान हैं. लेकिन नीतीश ने अपने इस्तीफे का जो समय चुना है. देश की राजनीति के ट्रेंड के ऐन मुताबिक हो सकता है, लेकिन बिहार की राजनीति के लिए उनका ये फैसला शायद उनके ही समर्थक और प्रशंसक पचा पाएं, इतना आसान नहीं होगा. नीतीश को कई चुनौतियों से जूझना पड़ेगा. लेकिन सबसे मुश्किल डगर लालू के लिए है. बीजेपी के तो दोनों हाथों में लड्डू है. नीतीश के सामने क्या चुनौतियां हैं? अब नीतीश के सामने कई चुनौतियां हैं. जब जनता ने महागठबंधन को पांच साल के लिए चुना था, तो फिर उस जनमत को महज़ 20 महीने में ही क्यों खारिज किया गया. क्या तेजस्वी यादव के ऊपर लगे आरोपों में उन्हें कहीं कोई राजनीति की बू नहीं आती. आखिर वो अपने उन वोटरों को क्या जवाब देंगे जो तेजस्वी के आरोपों को राजनीति के चश्मे से देखते हैं. दूसरा सवाल ये कि भ्रष्टाचार की लड़ाई बड़ी है या सांप्रदायिकता की. मोदी सरकार के आने के बाद देश में जो माहौल बना है. देश का सेक्युलर तबका इसके लिए बीजेपी सरकार और पीएम मोदी की खामोशी को जिम्मेदार ठहराता है. अब नीतीश के लिए उस तबके को समझाना टेढ़ी खीर होगी. अब किस मुंह से उसी ताकत से हाथ मिलाएंगे और गठबंधन सरकार चलाएंगे. क्या हैं लालू की मुश्किलें सजायाफ्ता होकर संसदीय राजनीति से बनवास झेल रहे लालू प्रसाद के लिए अब हर पल, हर मोड़ मुश्किल की घड़ी है. सत्ता से आउट होते ही उनपर सियासी शिकंजे का बढ़ना तय है. दिक्कत ये है कि अब पूरा परिवार ही केंद्र सरकार की अलग-अलग एजेंसियों के निशाने पर है. बेटे ही नहीं, बेटियां और दामाद भी मुश्किल में हैं. नीतीश के शब्द कफन में जेब नहीं होता, सीधे तौर पर लालू के तिजोरी प्रेम पर हमला है. इन आरोपों से बचाव के लिए लालू के पास कोई छतरी भी नहीं है, क्योंकि अब तक लालू ने अपनी जो छवि गढ़ी है, उसमें वो एक बड़े भ्रष्टाचारी नेता के तौर पर शुमार किए जाते हैं. लालू सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई के चैंपियन माने जाते हैं, लेकिन मौजूदा राजनीति में ये खूबी फायदे का सौदा नहीं, बल्कि नुकसान की नकेल बन चुकी है. अब राजनीति के पिच पर एमवाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण बांझ हो चली है. बीजेपी के लिए फायदे ही फायदे नीतीश के इस्तीफे से बीजेपी के दोनों हाथों में लड्डू ही लड्डू हैं. इसका अंदाज़ा इससे ही लगाया जा सकता है कि नीतीश के इस्तीफे के चंद मिनट बाद ही पीएम मोदी ने उन्हें बधाई दे डाली. बीजेपी खेमे में खुशी की लहर दौड़ गई. हर तरफ से बीजेपी नेताओं की बधाइयों का दौर शुरू हो गया. बीजेपी के लिए ये इस्तीफा कई मायनों में अहम है. दरअसल, इस इस्तीफे से बीजेपी ने अपने खेमे में उस नेता को फिर से पा लिया है, जिसमें मोदी से टक्कर लेने की क्षमता है. राजनीतिक गलियारों में ये बात कही भी जाती रही है कि अगर कांग्रेस नीतीश के नेतृत्व में चुनाव लड़े तो मोदी को चुनौती दी जा सकती है. कम से कम अब इस संभावना पर ब्रेक लग गया है. अब देश में मोदी के टक्कर में उन्हें चुनौती देने वाला नीतीश जैसे कद्दावर नेता नहीं बचा है. पिछड़ी जातियों में भी बीजेपी की साख मजबूत होगी. बिहार में सत्ता में आने से पड़ोसी पश्चिम बंगाल में भी बीजेपी के लिए खुद ब खुद माहौल साज़गार बनेंगे. मोदी सरकार के कामकाज पर एक सेक्युलर, ईमानदार और साफ सुथरी छवि वाले नेता की मुहर लगेगी. इसके साथ ही उस शादी को दोबारा बहाल का मौका मिलेगा जो 2013 में टूट गई थी. आखिरी बात बिहार में नीतीश-लालू के गठबंधन टूटने से उस ख्वाब को धक्का लगा है कि भारत की सियासी फिजा में जो गुबार हैं, वो धीरे-धीरे बैठ ही जाएंगे. लेकिन ऐसा लगता है कि वो गुबार अब उठ-उठकर आंसू से रुलाया करेंगे.

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार और आंकड़ें लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

लेखक से ट्विटर पर जुड़े  https://twitter.com/azadjurno लेखक से फेसबुक पर जुड़े  https://www.facebook.com/abdul.wahidazad.7
और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

सरदारों पर अब नहीं बनेंगे जोक? सुप्रीम कोर्ट ने बताया अहम मसला, सुझाव सौंपने को भी कहा
सरदारों पर अब नहीं बनेंगे जोक? सुप्रीम कोर्ट ने बताया अहम मसला, सुझाव सौंपने को भी कहा
Delhi Assembly Elections: BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
Axis My India Exit Poll 2024: मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
जब होटल में वरुण धवन ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए ऐसा क्या कर बैठे थे अनुष्का शर्मा के पति
जब होटल में वरुण ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए दिलचस्प किस्सा
ABP Premium

वीडियोज

America में अनमोल बिश्नोई की गिरफ्तारी, भारत लाने की तैयारी! | ABP NewsChitra Tripathi : ट्रंप की वजह से अदाणी टारगेट ? । Gautam Adani Case ।  Maharashtra Election'The Sabarmati report' पर सियासत तेज, फिल्मी है कहानी या सच की है जुबानी? | Bharat Ki BaatAdani Bribery Case: अदाणी पर अमेरिकी केस की इनसाइड स्टोरी! | ABP News

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
सरदारों पर अब नहीं बनेंगे जोक? सुप्रीम कोर्ट ने बताया अहम मसला, सुझाव सौंपने को भी कहा
सरदारों पर अब नहीं बनेंगे जोक? सुप्रीम कोर्ट ने बताया अहम मसला, सुझाव सौंपने को भी कहा
Delhi Assembly Elections: BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
Axis My India Exit Poll 2024: मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
जब होटल में वरुण धवन ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए ऐसा क्या कर बैठे थे अनुष्का शर्मा के पति
जब होटल में वरुण ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए दिलचस्प किस्सा
Border Gavaskar Trophy: ट्रेनिंग में ही दो टी20 मैच खेल जाते हैं विराट कोहली, बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से पहले बड़ा खुलासा
ट्रेनिंग में ही दो टी20 मैच खेल जाते हैं विराट कोहली, बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से पहले बड़ा खुलासा
बुजुर्गों को अक्सर निमोनिया क्यों होता है? जानें इस गंभीर इंफेक्शन  के लक्षण और बचाव का तरीका
बुजुर्गों को अक्सर निमोनिया क्यों होता है? जानें इस गंभीर इंफेक्शन के लक्षण और बचाव का तरीका
‘इंडिया की बाइक्स चला रहे और पाकिस्तानियों पर लगा दिया बैन‘, यूएई के शेख पर भड़की PAK की जनता
‘इंडिया की बाइक्स चला रहे और पाकिस्तानियों पर लगा दिया बैन‘, यूएई के शेख पर भड़की PAK की जनता
10 मिनट स्पॉट जॉगिंग या 45 मिनट वॉक कौन सी है बेहतर, जानें इसके फायदे
10 मिनट स्पॉट जॉगिंग या 45 मिनट वॉक कौन सी है बेहतर, जानें इसके फायदे
Embed widget