वैसे तो हमारे भोपाल का वो पूरा इलाका ही वीआईपी है. मगर उस गली की तो बात ही कुछ और है. बात हम चार इमली की कर रहे हैं जो असल में पहले चोर इमली कहा जाता था. पांच नंबर स्टाप में दुर्गा पेट्रोल पंप से जो गली ऊपर जाकर दो फाड़ होती है उसमें बायें जाकर थोडे आगे जाने पर जब आप दायें मुडते हैं और इसी बेनूर अंधेरी सी गली कासिम से इक तरतीब चिरागों की शुरू होती है.
एक कुराने सुखन का सफा खुलता है. असदुल्ला खां गालिब का पता मिलता है. अरे माफ करिये गली के चक्कर में कहां गुलजार साहब के गालिब की गली को याद कर बैठा. तो इसे यूं शुरू करते हैं तो इसी चमचमाती कारों से भरी गली में एक तरतीब बंगलों की शुरू होती है और कुछ पूर्व और कुछ वर्तमान मंत्रियों का पता मिलता है.
सबसे पहला पता है बी फोर. ये बी टाइप बंगला बीस मार्च तक ढेरों विभागों के मंत्री रहे पीसी शर्मा का है. बीस मार्च को सरकार गिरने के बाद अब ये पूर्व मंत्री का बंगला हो गया है तो स्वाभाविक है यहां कारों की भीड़ कम हो गयी है. वरना बीस के पहले के पंद्रह महीने तक यहां सुबह से ही गाडियों की कतार लग जाती थी. कार्यकर्ता और काम कराने वाले लोगों की. पीसी भाई सुबह उठते ही काम में लग जाते और बंगले से निकलते निकलते गाड़ी में बैठते बैठते आवेदनों पर दस्तखत करते रहते.
कभी वो आवेदन गाड़ी के बोनट पर रखकर साइन करते तो कभी गाड़ी में बैठकर. गोद में कागज रखकर पूछते बताओ कहां दस्तखत करना है. सहजता और सक्रियता वाले पीसी भाई के घर सुबह से ही मीडिया की भीड़ होती खासकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की. बड़े कैमरे, छोटे कैमरे, मोबाइल कैमरे और उन सबको एक समान सहजता से बाइट देते हमारे पीसी भाई. मगर अब पूर्व होते ही बी फोर की रौनक कम हुई है.
अब आते हैं बी फाइव. पीसी भाई के बंगले से जुड़ा ये बंगला पूर्व मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया का है. महेंद्र सिंह गुना जिले की बम्होरी सीट से जीते और कमलनाथ सरकार में श्रम मंत्री काबिज हुए. उनका पहला बड़ा काम था संबल योजना को बंद करना. संबल योजना की आड़ में जो खाते पीते लोग गरीबों का निवाला निगल रहे थे ऐसे लाखों लोगों की छंटनी कर संबल को उन्होंने नया सबेरा नाम दिया और कमलनाथ के करीबी बन गए. मगर सिंधिया जी के इशारे पर मंत्री पद दांव पर लगा कर ऐसे बेंगलूरू गये कि विधायकी और मंत्रीगिरी गंवा कर ही भोपाल लौटे.
सो ये बंगला सूना है मगर उम्मीद की आस है कि शिवराज सरकार का जब अगला मंत्रिमंडल बनेगा उसमें फिर वो मंत्री बनेंगे और बंगले की रौनक लौटेगी. मगर कब ये सवाल महेंद्र भाई के समर्थकों के मन मे जरूर है. हांलाकि जिस संबल को दुर्बल किया था उस योजना की वापसी हो गयी है.
अब बात इस गली के सबसे चर्चित बंगले बी सिक्स की. ये बंगला हमेशा अपने चमकदार और मिलनसार मालिक नरोत्तम मिश्रा के दम पर गुलजार रहता है. सफेद कुर्ता, काली मूछें और माथे पर लाल टीके वाले मिश्रा जी पंद्रह साल की बीजेपी की सरकार में मंत्री रहे. विभाग कौन सा हो इससे उनको फर्क नहीं पड़ा. मगर सरकार जाने और पंद्रह महीने बाद फिर सरकार बनी तो अब वो फिर मंत्री हैं और इस बार गृह विभाग जैसा ताकतवर विभाग उनके पास है.
जब नरोत्तम मंत्री नहीं रहे तब इस बी सिक्स में रौनक थोड़ी कम थी. मगर कमलनाथ सरकार को उखाड़ फेंकने वाली जावली का दर्जा इसी बंगले को मिला था. नरोत्तम हमेशा कहते थे कि ऊपर से जब आदेश होगा कांग्रेस सरकार को गिरा देंगे. ये अलग बात है कि सरकार तो गिरी मगर उसे पहले दिन से गिराने का प्रयास करने वाले नरोत्तम फिर मंत्री ही बने वो मुख्यमंत्री की दौड़ में पीछे रह गये. नरोत्तम जी के पास अब स्वास्थ्य विभाग भी है इसलिये सारा लोकल रीजनल और नेशनल मीडिया अब सुबह शाम उनसे कोरोना को लेकर बाइट और खबरें और लाइव लेता रहता है या यूं कहें कि पीसी शर्मा के बंगले पर रहने वाली कैमरों की भीड़ अब इस बंगले पर आ गयी है.
अब आता है बंगला नंबर बी सेवन. ये किस्मत के धनी सत्ते पे सत्ता, मुकद्दर का सिकंदर तुलसी सिलावट का बंगला है. कमलनाथ सरकार में सांवेर से विधायक बने तुलसी भिया सिंधिया कोटे से स्वास्थ्य मंत्री बने. हालांकि उनको उप मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष बनाने की भी बातें हुईं.
मगर स्वास्थ्य मंत्री सिलावट जी ने मार्च के दूसरे हफ्ते में बेंगलुरू जाकर कमलनाथ सरकार की तबियत बिगाड़ दी. कहने वाले तो ये भी कह रहे हैं कि जब कोरोना प्रदेश में पैर पसार रहा था तब प्रदेश का स्वास्थ्य मंत्री बेंगलुरू में रिसॉर्ट रिसॉर्ट खेल रहा था. इसलिये प्रदेश में कोरोना के लिये पुराने स्वास्थ्य मंत्री जी ही जिम्मेदार हैं इसलिये उनको मिला स्वास्थ्य विभाग बगल के बंगले सी सिक्स में शिफ्ट हो गया और बगल के बंगले सी सिक्स का जल संसाधन इस बंगले में आ गया. कितनी सुविधा है हमारे फाइलें लेकर जाने वाले अफसरों की. इस बंगले से उस बंगले में ही जाना पड़ा.
अब इस वीआईपी गली का आखिरी रहस्यमय बंगला बी एट. इस बंगले में पहले बड़े ताकतवर पूर्व मुख्य सचिव रहते थे इसलिये कमलनाथ सरकार बनने के कुछ महीनों की देरी में ये बंगला अलॉट हुआ कांग्रेस सरकार के उर्जावान मंत्री प्रियव्रत सिंह को.
जैसा कि परंपरा है नयी सरकार बनते ही तमाम मंत्री बंगला स्टाफ और सुविधाएं जुगाड़ने में जी जान लगा देते हैं तो इस बंगले में भी उसी परंपरा का निर्वाह हुआ और इसे बनाने सजाने संवारने में इतना वक्त लग गया कि जब तक ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत यहां आने की सोचते सरकार की चला चली की बेला आ गयी. हालांकि प्रियव्रत ने यहां गृह प्रवेश तो कर लिया था मगर बंगले पर मंत्री की नेम प्लेट नहीं लग पायी और सरकार गुजर गयी. तो चार इमली के पांच बंगलों वाली इस गली की कहानी यही कहकर खत्म करते हैं कि जैसे सत्यनारायण भगवान की कृपा से यहां के दो बंगलों के दिन बदले बाकी तीन के भी बदलें.
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