ये पत्रकारिता उतनी आसान नहीं है जितनी दिखती है. अच्छा पत्रकार वो है जो पहले तो खबर को मेहनत से तलाशे, तथ्यों के आधार पर उसे पक्का करे और फिर उसे अच्छी तरह से लिखे या कहे. मतलब पत्रकार को बेहतर संचार या कम्युनिकेशन आना चाहिये. हालांकि जब बात कम्युनिकेशन या संचार की आती है तो मैं एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आगे बहुत नेताओं को और संचार पढ़कर पत्रकारिता में आने वाले हम पत्रकारों को भी पानी भरते पाता हूं. कोई बात कैसे और किस अंदाज में कही जानी चाहिये कि जो सामने वाले को समझ में आये और ना सिर्फ समझ में आये बल्कि दिल में गहराई तक उतर जाये, ये बात शिवराज सिंह चौहान से बेहतर कोई नहीं जानता. चलिये पहेलियां बुझाना बंद करता हूं. सीधे मौके पर आपको ले चलता हूं.
भोपाल का लार्ड मिंटो हाल गुरुवार की दोपहर अंदर से बाहर तक सजा था. खिलाडियों के पोस्टरों से सजे स्वागत द्वारों से. इन पोस्टरों में सबसे खास चेहरा चमक रहा था टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक विजेता हॉकी के खिलाड़ी विवेक सागर का. अंदर मुख्य हाल में मंच पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ विवेक विराजमान थे तो मंच के सामने उनके माता पिता परिवार और दोस्तों के साथ ही खेल अकादमियों के खिलाडी बैठे हुये थे. विवेक को एक करोड़ रुपये की सम्मान राशि से सम्मानित किया जाना था. कार्यक्रम की औपचारिकताओं के बीच बोलने की बारी आयी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की, जो सुबह से ही विवेक के साथ थे. उसे पहले घर पर शॉल श्रीफल से सम्मानित किया, फिर उसे लेकर स्मार्ट पार्क में पौधारोपण कराया और अब अपने साथ यहां लाये थे.
शिवराज जी ने माइक संभाला और गौर करिये शब्दों पर... सुनिये उनके शब्दों को..... यहां पर हैं मध्य प्रदेश को ही नहीं पूरे देश को गौरवान्वित करने वाले हमारे लाडले बेटे विवेक सागर, जरा इसका इतना जोरदार स्वागत करिये कि हाल गूंज जाये.....अभिनंदन विवेक. स्वागत कीजिये विवेक सागर का... अभिनंदन करिये..... शुभकामनाएं दीजिये विवेक सागर को तुम खूब आगे बढो.
मध्य प्रदेश की साढ़े आठ करोड़ जनता की ओर से तुम्हारा स्वागत है करता हूं विवेक.. मुख्यमंत्री की इस बात के बाद सामने बैठे सारे लोग जिनमें शिवराज मंत्रिमंडल के कई मंत्री भी थे उठकर देर तक ताली बजाते रहे. अब कार्यक्रम चार्ज हो चुका था. शिवराज सिंह ने कुछ बातें खेल विभाग और अपनी सरकार की करने के बाद फिर संचार स्किल को साधते हुये भावनात्मक भाषण पर आ गये सुनिए.... विवेक की माता जी कमला देवी भी हैं यहां पर, उनकी आंखों में मैंने आज बार बार आंसू देखें. आपको प्रणाम आपने ऐसे पुत्र को जन्म दिया है. जीतने के बाद विवेक की एक ही हसरत है अपनी मां जो कच्चे छोटे घर में रहती हैं उनको पक्का घर बना दूं. आज मैं कमला देवी से पूछना चाहता हूं बताओ मेरी बहन कहां मकान चाहिये. तुमने गौरवान्वित किया है देश को, प्रदेश को. इसलिए आप जहां चाहोगी राज्य सरकार वहां मकान उपलब्ध कराएगी. रहने के लिये पक्की छत देगी आपको.
बस फिर क्या था यहां स्क्रीन पर विवेक की मां के आंसू पोछते विजुअल्स आ रहे थे तो उधर हाल तालियां की गड़गड़ाहट से गुंज रहा था. कार्यक्रम में हर आदमी भावुक हो रहा था और मुख्यमंत्री की दरियादिली पर खुश हो रहा था. मगर अभी संचार गुरू शिवराज सिंह का मास्टर स्ट्रोक आना बाकी था. तालियों के बाद वक्ता शिवराज जी की वक्तव्य कला और निखरती है फिर वो आवाज में उतार चढाव भी लाने लगते हैं. सस्पेंस और रूचि पैदा करते हैं सुनिये. अभी मैं कुछ कह रहा तो विवेक सकपका गये. गाड़ी में मैंने विवेक से कहा तुमको डीएसपी बना दें. विवेक बोला डीएसपी बनूंगा तो खेलूंगा कैसे, तो मैंने कहा कि तुमको डीएसपी पीएचक्यू में बैठने के लिये थोडी ही बना रहे हैं अरे तुम तो हॉकी खेलना.
डीएसपी मध्य प्रदेश सरकार ऐसे ही बना देगी, खेलते रहो और नाम कमाते रहो तो विवेक आज से मध्य प्रदेश पुलिस के डीएसपी भी हैं. बस फिर क्या था मंच पर और सामने बैठी जनता फिर खड़े होकर तालियां पीट रहीं थी और मुख्यमंत्री की दरियादली को वाह वाह कर रही थी. विवेक मिंटो हाल के इस कार्यक्रम से एक करोड़ रुपये का इनाम एक पक्का मकान और डीएसपी की नौकरी लेकर लौटें. साथ ही वो उनका परिवार दोस्त गांव सब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के इस भाषण के बाद उनके पक्के मुरीद भी बन चुके थे.
अब इस संवाद को अलग रखकर देखें तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वही किया जो दूसरे राज्यों की सरकारें ओलंपिक का पदक लेकर लौटे अपने राज्यों के खिलाड़ियों के लिए कर रही हैं. बडे इनाम की राशि एक पक्का मकान और सरकारी नौकरी. मगर शिवराज ने ये सारी चीजें जिस रोचक और दिल को लुभाने वाली अदा के साथ सामने रखीं वो शायद कोई दूसरा मुख्यमंत्री ना तो उस चतुराई और संवाद कुशलता के साथ कर सकता है.
इसलिये मैं मानता हूं कि शिवराज सिंह की लोकप्रियता में बड़ा योगदान उनकी संवाद कला के कारण है. कुछ शब्दों के दोषपूर्ण उच्चारण के बाद भी शिवराज जी की संवाद अदायगी लुभाती है तो उसकी वजह है उनकी सहजता, बोलने में सीधे सरल शब्दों का प्रयोग साथ ही सामने बैठे लोगों से लगातार संवाद करते चलना. संचार में शिवराज सिंह सरीखी प्रवीणता पाने के लिये ही वसीम बरेलवी ने ही लिखा है.
कौन सी बात कहां, कैसे कही जाती है,
ये सलीका हो तो हर बात सुनी जाती है......