एक्सप्लोरर

Opinion: 'कोई कल्पना नहीं, ठोस हकीकत है लव-जिहाद, 400 से अधिक ऐसे मामलों की पूरी सूची दिसंबर में हमने सौंपी'

बिहार के भागलपुर की मानवी राज सिंह इन दिनों सुर्खियों में हैं. वह उभरती हुई मॉडल हैं और उन्होंने खुद को लव-जिहाद का शिकार बताया है. उनके मुताबिक तनवीर खान ने अपना नाम यश बताकर उनसे नजदीकियां बढ़ाईं और बाद में धर्म-परिवर्तन को कहा. मना करने पर पिटाई, सेक्सुअल असॉल्ट वगैरह किया. मानवी के इस बयान के बाद लव-जिहाद का मामला फिर से सतह पर आ गया है, जिसके बारे में अभी हाल ही में रिलीज और बड़ी हिट बनी फिल्म द केरल स्टोरी भी बात करती है. 

सैंकड़ों मामले हैं लव-जिहाद के

लव जिहादियों के लिए इस तरह का मामला बहुत सामान्य है. पूरे देश में इस तरह के सैकड़ों मामले हैं. इससे भी ज्यादा वीभत्स वो मामले हैं, जिसमें कभी 35 तो कभी 21 टुकड़े कर दिए, बच्चियों को आतंकी बना दिया या फिर मौत के मुंह में धकेल दिया. राजधानी दिल्ली में अक्तूबर 2022 में ही मनीष जाटव को मारा. मेरे पास तो बहुतेरे मामले हैं. जैसे नीतू है, रिंकू है, खुशी है, अंकिता है और अनगिनत मामले हैं. पहचान छुपा कर कभी कलावा पहनते हैं, कभी टीका लगाते हैं, कभी रुद्राक्ष की माला पहनते हैं और मोनू, गुड्डू और पप्पू जैसे नाम रखते हैं, जिससे उनकी पहचान छुप जाए. कई जिहादियों के पास से तो तीन-तीन आधार और वोटर कार्ड भी मिले हैं. हिंदू समाज के सामने चुनौती है कि हिंदू बेटियां भोली होती हैं और इन जिहादियों के चंगुल में जल्दी फंस जाती हैं. ये लोग गैंग की तरह काम करते हैं, इनकी फंडिंग होती है और पूरा को-ऑर्डिनेशन के साथ काम करते हैं, इसलिए ये सफल भी हो जाते हैं और बेटियां फंस जाती हैं. कई बार बेटियां बोल नहीं पातीं क्योंकि हिंदुओं में बचपन से यह सिखाया जाता है कि इज्जत जान से भी प्यारी है. कई बार जब वह बताती हैं, तो उनका घर छूट चुका होता है, वैसे में उनके पास उपाय बस यही रहता है कि वे या तो मर जाती हैं या मार दी जाती हैं. मानसी या खुशी की बात है, भागलपुर या रांची की बात है या फिर ये मानसी की बात करें, इस तरह की असंख्य घटनाएं हैं. हालांकि, बहुत को कोई समाधान नहीं मिला है.

एंटी लव-जिहाद कानून के बाद थोड़ा बदलाव

यूपी में लव-जिहाद विरोधी कानून आने के बाद एक बदलाव आया है. ऐसा नहीं है कि घटनाएं बिल्कुल बंद हो गयी हैं, लेकिन ये है कि जिहादियों पर अंकुश भी लगा है. केसेज रुक तो नहीं रहे हैं, वे बेतहाशा बढ़ रहे हैं क्योंकि गैंग अपने ट्रैप में फंसाता है. इसके लिए दो स्तरों पर काम करना होगा. एक तो कानून देशव्यापी बने. अब जैसे देखिए कि दिल्ली में नहीं है धर्मांतरण पर कानून. इसके चारों तरफ के राज्यों में जैसे यूपी, हरियाणा में हो गया है, लेकिन दिल्ली में कानून न होने की वजह से वे यहां छुप जाते हैं. दिल्ली सरकार एक तरह से उनको प्रश्रय दे रही है. हमने तो मुख्यमंत्री से कई बार कहा कि एंटी लव-जिहाद और धर्मांतरण विरोधी कानून बनाएं. दूसरा रास्ता ये है कि कठोरतम सजा मिले. फास्ट ट्रैक अदालतें हो और जल्दी मामला निबटे. हिंदू समाज के अंदर भी बहुतेरे लोग सेकुलर-ब्रिगेड के ट्रैप में हैं. वे कहते हैं कि हिंदू-मुसलमान से क्या फर्क पड़ता है, मेरा अब्दुल ऐसा नहीं है. अब जो स्थितियां ऐसी आ रही हैं कि कोई भी अब्दुल कैसा भी हो, उसके अंदर का अब्दुल्ला कब निकल जाएगा, किसी को पता नहीं है. 

एक केंद्रीकृत कानून चाहिए लव-जिहाद के खिलाफ

हमारी तो केंद्र सरकार से लंबे समय से मांग है कि लव-जिहाद के खिलाफ और धर्मातरण के खिलाफ एक केंद्रीकृत कानून होना ही चाहिए, जिससे देश के अंदर आए दिन जो ऐसी घटनाएं हो रही हैं, वह बंद हों. अभी श्रद्धा वाला केस तो चर्चा में आ गया, ऐसे असंख्य मामले हैं जो मीडिया में नहीं आ पाते, पुलिस-प्रशासन उनको नीचे ही दबा देता है, बेटियों की आवाजें नहीं सुनी जातीं हैं. हम तो परिवार के साथ मिलकर उनको मानसिक और बौद्धिक सपोर्ट देते हैं. आवश्यकता पड़ने पर हम आर्थिक मदद भी देते हैं. सुरक्षा के लिए पुलिस-प्रशासन से अपील करते हैं. अगर आवश्यकता पड़ती है तो जिहादियों पर अंकुश लगाने के लिए किसी और तरह की जरूरत होती है, तो वो भी हम करते हैं. बेटी की सुरक्षा और परिवार के मानसिक-शारीरिक स्वास्थ्य के लिए उस वक्त जो भी जरूरी काम करने होते हैं, वह हम करते हैं. बेटी की सुरक्षा और परिवार की इज्जत हमारी प्राथमिकता रहती है. दिसंबर में हमने 420 ऐसे मामलों को मीडिया में जारी किया था. दुर्भाग्य से किसी ने उस पर तवज्जों नहीं दी. ये वैसे मामले थे, जिन पर मीडिया में भी आया था और हमने मीडिया लिंक के साथ उनको भेजा. अगर आप अगल-अलग हरेक मामले की विवेचना करेंगे तो हैरान रह जाएंगे. आप सोचेंगे कि ये देश है या बड़ा मजाक, हमारी बेटियों के साथ जिसको जो मन आए करता है, फिर उसकी देह नोचता है, उसके साथ व्यभिचार करता है, उसे आतंक की राह पर धकेल देता है या फिर उसे मार देता है. अगर वह बच भी गयी तो एक जिंदा लाश बनकर ही रहती है. 

समाज दे साथ, केवल भारत की बात नहीं

हमारे साथ सोशल स्टिग्मा या सामाजिक कलंक का भी एक मसला है. हिंदू समाज के लिए बेटी इज्जत का केंद्र मानी जाती है, उसके साथ ही पूरे परिवार की इज्जत चली गयी, ऐसा समाज मान लेता है तो अक्सरहां अगर बेटी चली गयी तो परिवार भी उसे छोड़ देता है. वीभत्सतम मामलों से गुजरकर जब बेटी आती है, तो वैसे वक्त में भी हम उसे सपोर्ट करते हैं. इसके लिए चौतरफा मार करनी होगी. हमारा लीगल सिस्टम, जुडिशियल सिस्टम स्ट्रांग हो, काउंसिलिंग की भी व्यवस्था हो, जैसे अभी सुबह ही हमें एक मीटिंग में पता चला कि आप अगर छानबीन करें तो जो अबॉर्शन के मामले हैं, उसमें भी एक बड़ा हिस्सा इन लव-जिहादियों से पीड़ित बच्चियों की होती है. वे जिहादी कहते भले हैं कि हमारा इस्लाम शांतिप्रिय है, उसमें ये नहीं होता, वो नहीं होता लेकिन ये करते वही सब हैं जो कहते हैं कि गलत है. तो, आदमी किस इस्लाम का भरोसा करे? 

यह केवल भारत की बात नहीं है. इंग्लैंड में भी ऐसा हो रहा है. पाकिस्तान-अफगानिस्तान की तो बात छोड़ दीजिए. म्यांमार भी इससे त्रस्त है, श्रीलंका में इसके खिलाफ लोग उठ खड़े हुए तो इनसे राहत मिली. ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में भी इन लोगों ने जीना मुहाल कर रखा है. नाम अलग हो सकते हैं, लेकिन काम एक है. पैटर्न एक ही है. दो तरफों से ये इस्लाम को बढ़ावा देते हैं. या तो तलवार यानी ताकत से या पहचान छिपाकर और लव या सेक्स के जरिए. जैसा जिन्ना ने कहा था, उसी की राह पर पूरी कम्युनिटी के जिहादी चल रहे हैं. बोलने को कोई कुछ भी बोल दे, लेकिन इनके खिलाफ बोलने का किसी के पास माद्दा नहीं है. इसलिए, हिंदू समाज को भी जागना होगा. बेटियों को भी अपनी सुरक्षा खुद तय करनी होगी. जिहादियों के ट्रैप में न फंसें. अगर गलती से कुछ ऐसा हो जाता है, तो स्थानीय पुलिस-प्रशासन को सूचि करें, लड़ें. परिवार से भी यही कहना है कि पलायनवादी न बनें, पराक्रमवादी बनें. 

(यह आर्टिकल निजी विचारों पर आधारित है) 

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

सरदारों पर अब नहीं बनेंगे जोक? सुप्रीम कोर्ट ने बताया अहम मसला, सुझाव सौंपने को भी कहा
सरदारों पर अब नहीं बनेंगे जोक? सुप्रीम कोर्ट ने बताया अहम मसला, सुझाव सौंपने को भी कहा
Delhi Assembly Elections: BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
Axis My India Exit Poll 2024: मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
जब होटल में वरुण धवन ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए ऐसा क्या कर बैठे थे अनुष्का शर्मा के पति
जब होटल में वरुण ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए दिलचस्प किस्सा
ABP Premium

वीडियोज

America में अनमोल बिश्नोई की गिरफ्तारी, भारत लाने की तैयारी! | ABP NewsChitra Tripathi : ट्रंप की वजह से अदाणी टारगेट ? । Gautam Adani Case ।  Maharashtra Election'The Sabarmati report' पर सियासत तेज, फिल्मी है कहानी या सच की है जुबानी? | Bharat Ki BaatAdani Bribery Case: अदाणी पर अमेरिकी केस की इनसाइड स्टोरी! | ABP News

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
सरदारों पर अब नहीं बनेंगे जोक? सुप्रीम कोर्ट ने बताया अहम मसला, सुझाव सौंपने को भी कहा
सरदारों पर अब नहीं बनेंगे जोक? सुप्रीम कोर्ट ने बताया अहम मसला, सुझाव सौंपने को भी कहा
Delhi Assembly Elections: BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
Axis My India Exit Poll 2024: मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
जब होटल में वरुण धवन ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए ऐसा क्या कर बैठे थे अनुष्का शर्मा के पति
जब होटल में वरुण ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए दिलचस्प किस्सा
Border Gavaskar Trophy: ट्रेनिंग में ही दो टी20 मैच खेल जाते हैं विराट कोहली, बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से पहले बड़ा खुलासा
ट्रेनिंग में ही दो टी20 मैच खेल जाते हैं विराट कोहली, बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से पहले बड़ा खुलासा
बुजुर्गों को अक्सर निमोनिया क्यों होता है? जानें इस गंभीर इंफेक्शन  के लक्षण और बचाव का तरीका
बुजुर्गों को अक्सर निमोनिया क्यों होता है? जानें इस गंभीर इंफेक्शन के लक्षण और बचाव का तरीका
‘इंडिया की बाइक्स चला रहे और पाकिस्तानियों पर लगा दिया बैन‘, यूएई के शेख पर भड़की PAK की जनता
‘इंडिया की बाइक्स चला रहे और पाकिस्तानियों पर लगा दिया बैन‘, यूएई के शेख पर भड़की PAK की जनता
10 मिनट स्पॉट जॉगिंग या 45 मिनट वॉक कौन सी है बेहतर, जानें इसके फायदे
10 मिनट स्पॉट जॉगिंग या 45 मिनट वॉक कौन सी है बेहतर, जानें इसके फायदे
Embed widget