तारीख़ ग्यारह अक्टूबर... बीजेपी के लिये भोपाल की सबसे कठिन सीट पर पार्टी के प्रत्याशी आलोक शर्मा की पहली चुनावी सभा थी. मंच पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान थे, जो थोडी देर पहले ही हरिद्वार ऋषिकेश से दो दिन तक संतों की संगत कर लौटे थे. इन दो दिनों में एक कांग्रेस समर्थित ट्विटर हैंडल से श्राद्ध के दौरान टिकट बांटने को लेकर शिवराज का फोटो लगाकर लिखा था कि श्राद्व में टिकट बांटने वाले का ही श्राद्ध होता है.


दो दिन की चुप्पी के बाद शिवराज के पास मंच था और उनकी जनता भी. बस फिर क्या था शिवराज का इस चुनाव का चर्चित बयान सामने था, मेरे भाइयों और बहनों.. मामा के मरने की भी दुआएं की जा रही हैं. ऐसा क्या है मामा में. कांग्रेस के लोग दिन रात सबेरे शाम एक ही नाम शिवराज चौहान. शिवराज मामा तेरा सत्यानाश हो जाये. मगर मैं शिवराज हूं अपनी जनता का सेवक यदि मर भी जाऊंगा तो राख के ढेर की तरह फीनिक्स पक्षी की तरह फिर से पैदा हो जाऊंगा अपनी जनता की सेवा के लिये.


बस फिर क्या था इस इमोशनल डायलॉग के बाद सामने जनता की ओर से देर तक तालियां बजती रहीं. ये शिवराज हैं जिनको समझने के लिये गहरी दृष्टि और लंबा अनुभव चाहिये. जब वो जनता के सामने होते हैं तो ऐसा लगता है कि उनसे बेहतर संवाद करने वाला नेता प्रदेश में कोई है ही नहीं. मध्य  प्रदेश में सबसे लंबे वक्त तक सबसे बड़े पद पर रहने के बाद भी उनका कार्यकाल और उनकी काम करने की चाहत कम होते नहीं दिख रही.


वैसे जिस फीनिक्स पक्षी से उन्होंने अपनी तुलना की है वो कई भाषाओं की दंतकथाओं में पाया जाता है. इसे अमर पक्षी या माया पक्षी भी कहा जाता है. इसकी उम्र भी पांच सौ से हजार साल की अनुमानित होती है. जीवन के अंतिम दिनों में इसके घोंसले में आग लग जाती है और कहा जाता है कि फिर नये फीनिक्स पक्षी का जन्म होता है.


ये चीनी रोमन यूनानी कथाओं का पात्र है मगर शिवराज सिंह भी राख से जन्म लेने वाले नेता से कम नहीं है. उनके नेतृत्व में 2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस से ज्यादा वोट मगर पांच सीटें कम लाने पर बीजेपी आलाकमान ने इस्तीफा दिलवाकर श्यामला हिल्स के मुख्यमंत्री निवास से हटाकर लिंक रोड एक के बंगले में बैठा दिया गया था. मगर पंद्रह महीने बाद ही बीस से ज्यादा विधायकों से पाला बदलवा कर फिर शिवराज को मुख्यमंत्री निवास में बैठने का मौका उसी बीजेपी ने दिया जो पहले कार्यवाहक सरकार होने के बाद भी पांच विधायकों को लाने की मंजूरी शिवराज को नहीं दे रही थी. इसे आप क्या कहेंगे फीनिक्स जैसा उदाहरण ये नहीं है क्या.


मध्यप्रदेश के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री और सबसे लोकप्रिय नेता होने के बाद भी शिवराज की परीक्षाएं कम नहीं हुयीं. तकरीबन तीन साल तक सरकार चलाने के बाद जब 2023 के विधान सभा चुनाव आये तो बीजेपी आलाकमान ने नयी तान छेड़ दी. सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ा जायेगा. कौन बनेगा मुख्यमंत्री..यह चुनाव के बाद तय होगा या'नी शिवराज को फिर साइड लाइन करने की पूरी तैयारी.


मगर फीनिक्स पक्षी ने फिर ज़ोर मारा और जब जबलपुर के गैरिसन ग्राउंड पर प्रधानमंत्री मोदी के सामने जनता से पूछा बताओ कैसी सरकार चला रहा हूं मैं. जनता ने क्या बोला होगा कहने की ज़रूरत नहीं. क्या मोदी जी को प्रधानमंत्री बनना चाहिए या नहीं. क्या मुझे चुनाव लड़ना चाहिये या नहीं. मैं चला जाऊंगा तो बहुत याद आऊंगा जैसे बयान शिवराज के आये तो आलाकमान पिघला और तीन सूचियों के बाद जब 57 नामों वाली चौथी सूची आयी तो सबने कहा कि शिवराज के मन की सूची है. उनके सारे लोगों को टिकट मिले जिसमें उनका नाम भी बुधनी से था.


शिवराज कहते हैं कि वो जो करते हैं दिल से करते हैं, सरकार दिल से चलायी है..चुनाव भी दिल से लड़ेंगे. कोई कुछ भी करे कुछ भी समझे चार बार पार्टी ने उन जैसे गांव के सामान्य व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाया यही क्या कम है. और अब जब पार्टी ने अभी उनके चुनावी दौरे तय नहीं किये हैं..मगर शिवराज पिछले तीन दिन से भोपाल की विधान सभा सीटों पर रोज शाम जाकर पार्टी के प्रत्याशियों के लिये धूमधाम से प्रचार में जुट गये हैं. फीनिक्स पक्षी को माया पक्षी भी कहा जाता है ये हमने ऊपर ही लिख दिया है.


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