दृश्य एक. बड़वानी ज़िले के राजपुर क़स्बे में बिरसा मुंडाजयंती का समापन समारोह सामने पंडाल में हज़ारों आदिवासियों क़ी भीड़ सामने मंच जिस पर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान सिर पर लाल रंग की लम्बी कलगी वाली पगड़ी पहन कर भाषण देने आते हैं. अपना भाषण शुरू करने वो माइक के पास आते है और फिर अचानक जैसे कुछ याद सा आता है वो कहना शुरू करते हैं आज के कार्यक्रम में आये मेरे आदिवासी भाइयों बहनों सबसे पहले मैं आप सबको घुटना टेककर प्रणाम करूंगा और उसके बाद ही अपना भाषण दूंगा और वो माइक से हटकर जोश भरे कदमों से मंच के बीचों बीच जाकर घुटने के बल बैठते है और दोनों हाथ जोड़कर शीष झुकाते है.


थोड़ी देर में मुख्यमंत्री के दोनों जुड़े हुए हाथ सामने लगी रेलिंग पर टिक जाते हैं. मुख्यमंत्री को ऐसा करते देख मंच पर बैठे दूसरे जनप्रतिनिधि हैरान रह जाते हैं और थोड़ी देर बाद वो भी मंच पर मन मारकर झुकने की कोशिश करते हुए दिखते हैं. और कुछ क्षणों के बाद मुख्यमंत्री उठकर चल पड़ते हैं फिर वापस माइक के पास जनता को सिर झुकाकर घुटने के बल बैठकर प्रणाम करने का संतोष. शिवराज के चेहरे पर दिखता है बात यहीं खत्म नहीं होती वो माइक से बोलते हैं भाइयों बहनों आपको ये प्रणाम किसी को दिखाने के लिए नहीं कर रहा बल्कि पूरे दिल से कर रहा हूं. मैं मामा मुख्यमंत्री हूं जो करता हूं दिल से करता हूं, जनता उत्साह से तालियां बजाती रह जाती है.


दृश्य दो. हैदराबाद की प्रसिद्द चार मीनार इलाके के सामने की गलियों में भारी भीड है. इस भीड़ की वजह है बीजेपी का रोड शो. ये रोड शो उन संकरी गलियों से भी गुजर रहा है. जहां पर कभी बीजेपी के नेता जाते नहीं थे. इस रोड शो की अगुवाई कर रहे हैं बीजेपी के राष्टीय अध्यक्ष जेपी नडडा. नडडा सड़क के दोनों और के मकानों और दुकानों में बैठे जनता का अभिवादन करते हैं मुस्कुराते हैं हाथ हिलाते हैं. बीजेपी के कार्यकर्ता भी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को अपने बीच पाकर उत्साहित हैं. हैदराबाद में लोकसभा या विधानसभा की किसी सीट के लिये ये हाई प्रोफाइल प्रचार नहीं हो रहा. ये प्रचार तो ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के चुनावों के लिये हो रहा है. आपके मुंह का जायका नहीं बिगाडिये कि पार्टी अध्यक्ष स्वयं पार्षदों के चुनाव में प्रचार करने उतर पडे. नडडा ही नहीं पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान गृहमंत्री अमित शाह भी 150 पार्षदों वाली इस पांच हजार करोड़ के बजट वाली नगर निगम चुनाव के प्रचार करने आने वाले हैं. हैदराबाद नगर निगम में चौबीस विधानसभाएं आती हैं. उन विधानसभा के कार्यकर्ताओं का हौसला बढाने और आगे की रणनीति तय करने बीजेपी के सभी छोटे बड़े नेता इस नगर निगम चुनाव में प्रचार करने आ रहे है. अब आप याद करिये मध्यप्रदेश के 28 विधानसभा के उपचुनाव जिसमें प्रचार करने सचिन पायलट भर ही आ सके. राहुल प्रियंका कहां हैं तब पता चला कि गांधी परिवार उपचुनावों में प्रचार को नहीं उतरता.


पिछले विधानसभा चुनावों की शुरूआत होने को थी और एकबार जब मेरा तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से सामना हुआ तो मैंने सवाल दागा कि आप तो अभी से चुनाव के मूड में आगये तब उन्होंने पलट कर कहा था कि मैं तो साल भर चुनाव के मोड में ही होता हूं इसमें बुराई क्या है हम राजनेता हैं हर चुनाव हमारे लिये महत्तवपूर्ण होता है. यही वजह है कि मुझे नगर निगम और नगर पालिका चुनावों में प्रचार करने में भी हिचक नहीं होती. किसी भी चुनाव में हम अपने कार्यकर्ता को क्यों अकेला छोड दें. जब शिवराज सिंह की ये बातें याद आती हैं तभी लगता है कि पिछले उपचुनावों में 28 में से 19 सीटों का करिश्मा शिवराज सिंह के नेतृत्व में ही बीजेपी कर पायी. जिसमें दूसरी पार्टी से विरोधी प्रत्याशी को लाना और उनको अपनी पार्टी का बनाकर जिताना आसान नहीं था वो भी तब जब पंद्रह महीने पहले पार्टी ने इनके ही खिलाफ प्रचार कर चुनाव लड़ा और शिकस्त पायी थी.


मध्यप्रदेश की राजनीति में शिवराज सिंह चौहान के आने के बाद से राजनीति करने का तरीका पूरा बदल गया है. शिवराज प्रदेश में पिछले पंद्रह साल से मुख्यमंत्री हैं, वो चौथी बार मुख्यमंत्री बने हैं मगर शायद ही किसी सभा में उन्होंने इस बात का जिक्र किया हो, वो आचार व्यवहार में हमेशा वैसे ही बने रहते हैं. सरल और सहज साथ ही सुलभ भी. अब ऐसे में कांग्रेस उनसे क्या खाकर मुकाबला करेगी समझ नहीं आता. राजनीति अब काम से नहीं व्यवहार से अपने वोटरों को खुश करने का नाम हो गयी है. पिछले चुनावों में कांग्रेसी कमलनाथ सरकार के पंद्रह महीने के काम काज गिनाते रहे और शिवराज हर सभा में जनता के सामने झुक कर प्रणाम कर वोट बटोरते रहे. कहते रहे टेंपरेरी मुख्यमंत्री हूं भैया परमानेंट बना दो. उधर जनता जानती है कि राजनीति में सारे पद टेंपरेरी ही होते हैं मगर शिवराज अपने लोक व्यवहार से परमानेंट मुख्यमंत्री हुये जा रहे हैं. इन्हीं शिवराज सिहं का कांग्रेस को तीन साल बाद 2023 में मुकाबला करना है. कांग्रेस की युवा पीढ़ी में भारी बैचेनी और छटपटाहट है आने वाले चुनाव तक कमलनाथ शायद इतने सक्रिय ना रह पायें तब इस सहज सरल सुलभ शिवराज का मुकाबला करने पार्टी किसे और किस रणनीति के चलते करेगी आज से ही सोचना पडेगा.


द पालिटिक्स डाट इन के विकास जैन कहते हैं कि मध्यप्रदेश की जनता के लिये शिवराज सिहं चौहान इन्फोसिस के नारायणमूर्ति बन गये हैं जिनको लेकर जनता को भरोसा बनता है कि कैसी भी परिस्थिति हो वो डिवेंडेट यानिकी फायदा जरूर देगा. तो क्या आप भी ये मानते हैं ?


(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)