एक्सप्लोरर

हीरे की तमन्ना में पन्ना में मिट्टी छानते लोग

वो नजारा ही ऐसा था जो आप दूर बैठ कर कल्पना ही नहीं कर सकते. जब पहली बार पता चला कि पन्ना की रूंझ नदी में बन रहे बांध के पास हीरे तलाशने वालों की भीड लग रही है तो सोचा कि कुछ दिनों के लिये कुछ लोग आ गये होंगे जिनको बाद में वन विभाग ने खदेडा भी. मगर जब हमारे पन्ना के साथी शिवकुमार त्रिपाठी ने बताया कि हीरे की तमन्ना वालों का मेला रोज अब भी लग रहा है तो भोपाल से निकल ही पड़े. तड़के सुबह भोपाल से चले तो दो बजे के करीब अजय गढ में बन रहे रूंझ बांध के करीब पहुंचे. पन्ना से आगे अजयगढ का घाट उतरते ही दायें हाथ पर एक कच्चा पक्का सा रास्ता जाता है जहां मुड़ते ही किसी मेले की शुरुआत का नजारा दिखने लगा. 

सबसे पहले चाय पकोड़ी की दो तीन छोटी बडी दुकानें, कुछ अलसाये से खोंमचे जिन पर बुंदेलखंडी में बतियाते और चाय सुडकते लोग और उसके आगे बिकते हुये तसला, फावडा और छलनी भी. इनका उपयोग आगे दिखेगा आपको. थोडे आगे बढे तो बायें तरफ बांध की तनी हुई उंची दीवारें और ठीक सामने की ओर बड़े- बड़े पत्थर और उनको खोदने पर बने छोटे छोटे पोखर जिनमें लोग व्यस्त थे छलनी में मिटटी को हिला हिला कर साफ करने में.
पहली नजर में समझना मुश्किल होता है यहां कुछ लोग छोटी छोटी कुदालियां से मिट्टी खोद रहे हैं तो उससे ज्यादा लोग पानी में मिट्टी छान कर कंकड़ सहेज रहे हैं और कुछ लोग मिटटी घुल जाने के बाद बचे कंकड़ पत्थरों को कपडे पर बिखेर कर सुखाकर उनमें नजरें गड़ा कर हीरा की तलाश कर रहे थे. हीरे के चक्कर में हर चमकीले पत्थर को सहेज कर सावधानी से उठाकर सहेज कर रखा जा रहा था. मगर जैसा कि होता है हर चमकीला पत्थर हीरा नहीं होता. आपको मिला क्या. ये सवाल हमने किया था अपनी पत्नी के साथ चार दिन से डेरा डाले रामलाल प्रजापति से. 

अरे नहीं साहब हमें तो अब तक नहीं मिला. तो किसी को मिला क्या. जी बहुतों को मिल रहा है हमारी किस्मत होगी तो हमें भी मिल जायेगा. मगर कब मिलेगा. जब मुकद्दर में होगा. या जब उपर वाला चाहेगा आसमान की तरफ हाथ करके बोले रामलाल. उनके इस जवाब में दुख दर्द और आस तीनों एक साथ थे. पास में ही छतरी तान कर चौबीस साल का बेटा आशीष बैठा था. मैंने पूछा कब तक करोगे ये मिट्टी की खुदाई. जब तक उम्मीद रहेगी. मगर तुम तो पढ़े लिखे हो तुम कहां उलझ गये ये इस बेमतलब के काम में. तो क्या करें सर नौकरियां निकल नहीं रहीं तो सोचा यही पर किस्मत आजमा लें. इस सच्चाई को सुनने के बाद कुछ पूछना बेकार था. इसलिये उठ कर आगे की ओर चले तो मोटरसाइकिलों पर सवार लोग नदी की ओर जाते दिखे जो हाथ में तसला और फावड़ा रखे थे. मगर लोग जा ही नहीं आ भी रहे थे. रोक कर जब पूछा मिला क्या. जी नहीं. फिर अब क्या करोगे. कल फिर आयेंगे. मगर कब तक यहां आओगे. जब तक हीरा पा नहीं लेंगे.


रूंझ नदी पर आकर हीरा तलाशने की दीवानगी की ये कहानी एक महीने पुरानी है. जब यहां पर 270 करोड की इस  बहुउद्देशीय बांध बनने के लिये बडे पैमाने पर मिटटी की खुदाई हुई. नीचे से उपर आयी इस मिट्टी में कुछ लोगों ने किस्मत आजमायी और जब एक दो लोगां को हीरे मिले तो बस फिर क्या था ये बात फैल गयी कि रूंझ किनारे हीरे मिल रहे हैं. क्या पन्ना और छतरपुर आसपास के जिलों जिसमें यूपी के महोबा और बांदा के लोग भी शामिल थे चले आ रहे हैं किस्मत आजमाने.

यूं तो पन्ना में हीरे की दस फीट वाय दस फीट की क्वारी सरकार को दो सौ रुपये साल के मामूली शुल्क के बाद मिलती है जिसमें मिला हीरा सरकारी खजाने में जमा करना होता है और नीलामी होने पर सरकार टैक्स काट कर हीरा मिलने वाले को देते हैं. मगर यहां तो फ्री फार आल था. कोई भी कहीं भी कितना भी खोद कर चाल में से चमकीले पत्थर या हीरे पा सकता था. तो लगी थी भीड़. आगे बढ़ने पर पत्थरों के बीच बनी नीली पीली पन्नियों से ढकी झोपडियां भी दिखीं. लोग नदी किनारे रह रहे हैं. सुबह से लेकर शाम तक मिट्टी खोदते हैं. वहीं खाना बनाते हैं वहीं सो रहते हैं. हीरा आज नहीं तो कल भगवान ने चाहा तो मिल ही जायेगा. वैसे भी बुंदेलखंड के लोग अति संतोषी होते हैं तभी गरीबी को इज्जत के साथ धारण किये रहते हैं.

उधर नदी के पास तो नजारा ही दूसरा होता है. सैंकडों मोटरसाइकिल और के बीच से रास्ता बनाते हुए आप जब नदी की ओर देखते हैं तो समझ नहीं पाते कि हैरान होए या हंसे. इस दीवानगी पर. पांच सौ लंबी धार में घुटनों तक डूबे सैकड़ों लोग हाथों में रखी छलनी में मिट्टी छानते दिख रहे हैं. सवाल वही. मिला. नहीं. मगर कुछ लोगों को मिल रहा है. हमें भी मिलेगा मेहनत करना भर हमारे हाथ में है. मगर क्या ये मेहनत है नहीं ये सिर्फ अंधी दौड है. जिसमें भागने वाले ज्यादा पाने वाले कम हैं. हीरों की इस कथित घाटी में सबको उम्मीद है मिलेगा हीरा. कलेक्टर संजय मिश्रा भी मानते हैं कि ये कानून सम्मत नहीं है. हम उन सबको रोकने की बहुत कोशिश करते हैं मगर क्या करें लोग बडी संख्या में रोज चले आते हैं. वैसे बेरोजगारी और सूखे के शिकार बुंदेलखंड में लोगों को काम मिलता तो कौन आता नदी किनारे मिट्टी खोदने, छानने क्योंकि हीरा सबको नहीं मिलता ये सबको मालुम है मगर फिर भी उम्मीद खींचे लाती है इनको यहां मगर कब तक.

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

शिंदे या फडणवीस, कौन बनेगा मुख्‍यमंत्री? महाराष्‍ट्र की सियासत में एक ही शख्‍स है सीएम मेकर
शिंदे या फडणवीस, कौन बनेगा मुख्‍यमंत्री? महाराष्‍ट्र की सियासत में एक ही शख्‍स है सीएम मेकर
संभल में किसके कहने पर आई भीड़, किसने उकसाया? इन 7 बड़े सवालों के जवाब तलाशने में जुटी पुलिस
संभल में किसके कहने पर आई भीड़, किसने उकसाया? इन 7 बड़े सवालों के जवाब तलाशने में जुटी पुलिस
झोपड़ी में परिवार के साथ रहते थे 'पंचायत' के 'सचिव जी', रोजाना काम करके मिलती थी 40 रुपये दिहाड़ी
झोपड़ी में परिवार के साथ रहते थे 'पंचायत' के 'सचिव जी'
आज ही के दिन 10 साल पहले क्रिकेट जगत ने खोया था बड़ा सितारा, बैटिंग करते समय ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी की गई थी जान
आज ही के दिन 10 साल पहले क्रिकेट जगत ने खोया था बड़ा सितारा, बैटिंग करते समय गई थी जान
ABP Premium

वीडियोज

Sambhal Clash : दंगाईयों के लगेंगे पोस्टर,नुकसान की होगी वसूली, गुस्से में योगी सरकार! | UP PoliceIPO ALERT: Rajputana Biodiesel IPO में जानें Price Band, GMP, Key Dates, Allotment & Full Review | Paisa LiveParliament Session : Adani और Sambhal हिंसा को लेकर संसद में विपक्ष का हंगामाParliament Session : Adani और Sambhal हिंसा को लेकर संसद में हंगामा

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
शिंदे या फडणवीस, कौन बनेगा मुख्‍यमंत्री? महाराष्‍ट्र की सियासत में एक ही शख्‍स है सीएम मेकर
शिंदे या फडणवीस, कौन बनेगा मुख्‍यमंत्री? महाराष्‍ट्र की सियासत में एक ही शख्‍स है सीएम मेकर
संभल में किसके कहने पर आई भीड़, किसने उकसाया? इन 7 बड़े सवालों के जवाब तलाशने में जुटी पुलिस
संभल में किसके कहने पर आई भीड़, किसने उकसाया? इन 7 बड़े सवालों के जवाब तलाशने में जुटी पुलिस
झोपड़ी में परिवार के साथ रहते थे 'पंचायत' के 'सचिव जी', रोजाना काम करके मिलती थी 40 रुपये दिहाड़ी
झोपड़ी में परिवार के साथ रहते थे 'पंचायत' के 'सचिव जी'
आज ही के दिन 10 साल पहले क्रिकेट जगत ने खोया था बड़ा सितारा, बैटिंग करते समय ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी की गई थी जान
आज ही के दिन 10 साल पहले क्रिकेट जगत ने खोया था बड़ा सितारा, बैटिंग करते समय गई थी जान
27 करोड़ में बिके ऋषभ पंत अगर चोटिल हो जाते हैं तो तब भी मिलेंगे पूरे पैसे? जान लीजिए जवाब
27 करोड़ में बिके ऋषभ पंत अगर चोटिल हो जाते हैं तो तब भी मिलेंगे पूरे पैसे? जान लीजिए जवाब
ये है असली बाहुबली! 20 फीट लंबे मगरमच्छ को कंधे पर लेकर चल पड़ा शख्स, देखें वीडियो
ये है असली बाहुबली! 20 फीट लंबे मगरमच्छ को कंधे पर लेकर चल पड़ा शख्स, देखें वीडियो
इस तरह से काटेंगे मिर्च तो कभी नहीं जलेंगे हाथ, देसी जुगाड़ का वीडियो हो रहा वायरल
इस तरह से काटेंगे मिर्च तो कभी नहीं जलेंगे हाथ, देसी जुगाड़ का वीडियो हो रहा वायरल
काश! अखिलेश यादव संभल की घटना पर पीड़ित परिवारों को संबल देते हुए संभल जाते
काश! अखिलेश यादव संभल की घटना पर पीड़ित परिवारों को संबल देते हुए संभल जाते
Embed widget