लगभग हम सभी को चाय का बहुत शौक होता है. चाय के शौकीन हमें लगभग हर घर में मिल जाएंगे. जिसकी वजह से आसानी से हर गली, नुक्के में एक छोटी सी चाय की दुकान जरूर मिल जाएगी. ऐसे ही चाय वाले प्रफुल्ल बिल्लोरे को कौन नहीं जानता है. प्रफुल्ल ने यह साबित कर दिखाया कि कोई भी धंधा छोटा या बड़ा नहीं होता. अगर आपके अंदर किसी काम को करने का जुनून और मेहनत होती है तो आप जीवन में एक दिन जरूर सफल होंगे. 


आप लोगों ने एमबीए चायवाला का नाम जरूर सुना होगा. बड़ों से लेकर बच्चे-बच्चे एमबीए चायवाला के नाम से अच्छी तरह वाकिफ हैं. प्रफुल्ल ने एमबीए में एडमिशन लिया था लेकिन उसमें वह सफल नहीं रहे जिसके बाद उन्होंने खुद का बिजनेस करने की सोची और आज की तारीख वह बहुत सफल है. प्रफुल्ल का बिजनेस के 5 से 6 करोड़ का टर्नओवर है. एमबीए चायवाले का करोड़ों में टर्नओवर है और विदेश में भी इनकी फ्रेंचाइजी खुल रही है. एमबीए चायवाले प्रफुल्ल बिल्लौर ने खुद ABPLive.com पर यूपीएससी छात्र के लिए सफलता मंत्र बताया है. पढ़िए उन्हीं की जुबानी...



आत्मनिर्भर भारत के लिए जरूरी है काम करना


मैं इस वक्त अमेरिका में हूं और एक महीने की यात्रा पर आया हूं. अपने व्यापार को आगे बढ़ा रहा हूं. इसके साथ ही, एमबीए चाय वाला 200 आउटलेट्स के साथ काफी तेजी से देशभर में आगे बढ़ रहा है. इसके अलावा, पूरे देश में धर्म और जागरण पर आगे बढ़ रहा हूं. युवाओं को ये प्रेरणा दे रहा हूं कि कैसे अतीत की नीवं पर भविष्य का निर्माण कर सकते हैं.


करीब 50 से ज्यादा कंपनियों में मैं निवेश कर चुका हूं, जहां पर नए-नए स्टार्टअप्स यंग इंडिया से निकल रहे हैं, उन्हें नए स्ट्रक्चर और भरोसा और पैसा दे रहा हूं. आने वाली भविष्य की युवा पीढ़ी के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहा हूं और देख रहा हूं कि कैसे हम 5 ट्रिलियन इकॉनोमी बना सके. आत्मनिर्भर भारत का पीएम मोदी ने जो नींव रखी है, उसे सार्थक बनाने के लिए ये जरूरी है कि आगे काम किया जाए, ये सिर्फ जुमले न साबित हो. 


लाखों लोग स्टार्टअप में आ रहे


लाखों लोग जो सरकारी नौकरी या प्राइवेट जॉब के पीछे थे, वे अपना कुछ न कुछ व्यापार कर रहे हैं. कोई पानी का, कोई जूतों का, किसी ने हेयर सैलून खोला, किसी ने मोबाइल की दुकान खोली. कोई ग्राफिक डिजाइन कर रहा, कोई वीडियो एडिटिंग कर रहा, कोई इंग्लिश स्पीकिंग कर रहा तो कोई कंटेंट राइटिंग कर रहा है.


करोड़ों लोगों तक हम पहुंचे हैं, लाखों लोग प्रभावित हुए हैं. और लाखों लोगों ने अपनी जिंदगी में निर्णय लेना शुरू किया है. लोग अब अपना मार्गदर्शन खुद कर रहे हैं. सच्ची देशभक्ति यही है कि आप पैसा कमाओ, टैक्स भरो, रोजगार लो और रोजगार दो. देश की तरक्की में एक सार्थक प्रयास करो, सिर्फ यही नहीं एक ट्वीट डाल दिया.


यूपीएससी में असफलता पर क्या करें?


यूपीएससी में अगर 2-3 साल में सफलता हाथ नहीं लगी तो छोड़ दीजिए. ऐसा नहीं है कि उसे पकड़े रहें. अगर किसी ने ये ठान लिया है कि उसके करके ही रहना है तो फिर ये आर-पार की लड़ाई हो जाती है. लेकिन, हर व्यक्ति आर-पार की लड़ाई लड़े, इसकी कोई गारंटी नहीं है.


लाखों युवाओं को तो ये पता है कि इसके एग्जाम क्लियर नहीं होंगे. वे टाइम पास के लिए भी करते हैं. सैकड़ों मेरे ऐसे मित्र रहे, जिनकी तैयारी उससे मेल नहीं खाती थी. मैं किसी को भला-बुरा नहीं कह रहा हूं. मेरा एक वीडियो मनीष कश्यप के साथ वायरल हुई. मैने उसे कहा था- दुनिया को बेवकूफ बना लो, समाज को बेवकूफ बना लो, लेकिन जो अपना ऊर्जा का समय है, सरकारी नौकरी के पीछे मत भागो. जिसका नतीजा आपके हाथों में नहीं है, क्योंकि कई बिन्दुओं में उसका गणित बैठता है. इसमें जातिगत समीकरण रहते हैं. कई आपसे अच्छे पढ़ने-लिखने वाले भी आ जाते हैं. ऐसे में अगर परीक्षा क्लियर नहीं किया तो फिर कहीं के नहीं रहते हैं आप.


सरकारी नौकरी के भरोसे मत बैठिए


इसलिए मेरा कहना है कि सरकारी नौकरी के पीछे ज्यादा अटैच होने की जरूरत नहीं है. क्रिएटिव बनने की कोशिश करिए. इस भरोसे मत रहिए कि हर महीने 25-50 हजार रुपये आता रहेगा और काम नहीं करना पडे़गा. युवाओं के मुंह से सुनता हूं कि एक बार सरकारी नौकरी लग गई तो सेट हो जाएंगे. फिर कोई टेंशन नहीं. तो अगर इस तरह नीयत है तो नहीं जाना चाहिए. अगर सिस्टम सुधारने का मन है तो जाइये अन्यथा उसे छोड़ दीजिए.


20-25 साल का समय काफी एनर्जी का समय होता है. इसके जहां चैनलाइज कर देंगे उधर आगे बढ़ेंगे. मैंने 20 साल की उम्र ठेला लगाना शुरू किया था. आज 26 साल का हूं. छह साल में मैंने काफी अच्छा किया है. सैकड़ों-हजारों लोगों को रोजगार दे पा रहे हैं, क्योंकि हम चौबीसो घंटे हमारी खुद की जिंदगी और व्यापार को बना रहे थे. किसी के भरोसे नहीं बैठे. इसलिए सरकारी नौकरी में 2-3 साल की कोशिश में न निकले तो छोड़ दीजिए. 


नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.


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