(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
विदेशों के पीएम छू रहे प्रधानमंत्री के पैर, डर रहे चीन-पाकिस्तान... 9 साल में मोदी सरकार ने किए ये बड़े एतिहासिक काम
मोदी सरकार के 9 साल के कार्यकाल के दौरान कई अहम फैसले लिए गए हैं. इसके बाद ये तय है कि 2024 के चुनाव में दोबारा ये सरकार 350 सीटों के साथ वापसी करेगी. ये स्वर्णमय समय है, जिसे हमलोग रामराज्य कहते हैं. रामराज्य वो होता है जहां पर हर जनमानस का विकास हो, गरीब का कल्याण हो. मकान, सबको शौचालय, हर घर नल से जल, किसानों के खाते में सालाना छह हजार रुपये, इलाज पर खर्च के लिए पांच लाख रुपये. इसके अलावा विधवा पेंशन, बेटियों को पढ़ाने के लिए और शादी-ब्याह के लिए एक लाख रुपये.
तकरीबन 10 से 12 करोड़ मकान इस देश में बन चुके हैं. कई शौचालय बन गए. सड़कों का जाल बिछाया. बिजली है, सम्मान है. इससे भी बढ़कर प्रभु श्रीराम की लड़ाई 500 साल से हम हिन्दू सनातनी लड़ रहे थे. अब प्रभु श्रीराम का मंदिर बन रहा है. बाबा विश्वनाथ का कॉरिडोर बन रहा है.
ये एक-एक पैसा जनता का जनता के बीच जा रहा है. इसी को रामराज्य कहते हैं. मोदी जी का आना जैसे अवतरित हुए नि: स्वार्थ आदमी हैं. आज उन्होंने देश को इतना शक्तिशाली बना दिया कि आज हमसे पाकिस्तान और चीन डर रहा है. बांग्लादेश आंख उठाए ऐसी किसी की हिम्मत नहीं है.
विदेशों के पीएम आज छू रहे पैर
विदेशों में वहां के प्रधानमंत्री पैर छू रहे हैं. ऐसा कभी नहीं हुआ. प्रधानमंत्री का एक प्रोटोकॉल होता है. प्रधानमंत्री चाहे छोटे आईलैंड का हो या फिर बड़े आईलैंड का, वे प्रधानमंत्री होते हैं. लेकिन, उनको देखते ही पैर छू लेना और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री का पीएम मोदी को बॉस कहना और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का ये कहना कि मैं आपका ऑटोग्राफ लेना चाहता हूं. उनका ये कहना कि आप दिसंबर में वाशिंगटन आने वाले हैं और अभी से ही सारे टिकट फुल हो गए.
जिस तरह के यूपी में योगी जी और केन्द्र में मोदी का जो समय है और जिस तरह से अमित शाह जी संगठन को चाणक्य बुद्धि के साथ चला रहे हैं, ऐतिहासक है नितिन गडकरी का काम. एक-एक व्यक्ति का काम महत्वपूर्ण हैं. वैष्णव जी का रेलवे डिपार्टमेंट में काम.
सैन्यबल की बात हो या फिर लड़ाकू विमानों को खरीदने की... आज हम खुद रॉकेट बना रहे हैं. वैक्सीन बनाकर पीएम मोदी की तरफ से 135 करोड़ जनता को बचाना, ये अपना खुद की वैक्सीन भारत बना रहा है. इसके साथ ही, दूसरे देशों को भी बचा रहा है. ऐसा पहले कभी हुआ ही नहीं.
ये स्वर्णमय समय है
इसीलिए मैं ये कहता हूं कि ये बहुत ही स्वर्णमय समय है. आर्टिकल 370 को कश्मीर से खत्म करना... आज कश्मीर में टूरिज्म चरम सीमा पर है. फिल्मों की शूटिंग चल रही है. सबसे ज्यादा टूरिस्ट पिछले साल वहां पर पहुंचे. वहां के बच्चों ने पत्थर और बंदूकें उठाना बंद कर दिया है. वहां पर ट्रेनें गांव-गांव तक पहुंच रही है. नॉर्थ-ईस्ट को पूरा बदल दिया गया है. नया संसद भवन बनाया गया है, जिसका हमलोग रविवार को उद्घाटन करने जा रहे हैं.
अंग्रेजों की गुलामी और उसके चिन्ह से बाहर आना, उस मानसिकता से निकलना ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी भारत को पढ़े न कि अंग्रेजों और मुगलों को पढ़े, जो आक्रमणकारी थी, लुटेरे थे. डाकू लोगों को हमलोग अभी तक पढ़ रहे थे. अब जिस तरह से मोदी जब बना रहे हैं और जो भारत बन रहा है, आने वाली पीढ़ी को स्कूलों में भारत के बारे में पढ़ाया जाएगा. प्राचीन भारत को, गुलामी वाले भारत को नहीं पढ़ाया जाएगा. वे किस पीड़ा के साथ गुजरे, उसे पढ़ाया जाएगा. मुगल काल के राजाओं की और अंग्रेजों का महिमामंडन नहीं किया जाएगा.
दुनिया में बढ़ा सम्मान
भारत का आज दुनियाभर में सम्मान बढ़ा है. बच्चे-बच्चे आज मोदी-मोदी चिल्ला रहे हैं. पाकिस्तान के न्यूज चैनल और मीडिया सिर्फ मोदी जी की चर्चा और उनकी वाहवाही कर रहे हैं. बहुत बड़ा समय है. मोदी जी को नहीं जाने दें, बीजेपी को 20-25 साल तक रहने दें, अगर हम कोई गलती न करें और फ्री के लॉलीपॉप में न फंसें तो 2047 तक भारत फिर से सोने का चिड़िया बन जाएगा.
फ्री का आज सभी लोग ड्रामा कर रहे हैं. जनता का पैसा और कर्ज सरकार पर आ रहा है. फ्री में जहर बांट रहे हैं. फ्री के चक्कर में देश खत्म हो जाएगा. ये अच्छी बात नहीं है क्योंकि फ्री जीवन में कुछ नहीं होता है. सरकारी यंत्र-तंत्र की इससे कमर टूट जाएगी.
जहां तक विपक्ष की तरफ से महंगाई और गरीबी को लेकर आरोप है तो दरअसल उनके बाद आलोचना करने के लिए कुछ बचा ही नहीं है. अब सिर्फ वे अपने बाल नोंच रहे हैं. जब मौका मिला तो उन्होंने सिर्फ अपने परिवार को बनाया. अपनी जागीर को भरे और देश को खत्म कर दिया था. पहले सिर्फ देश के चार शहरों में ही काम होते थे- चेन्नई, दिल्ली, बैंगलुरु और मुंबई. बाकी तो 80 प्रतिशत देश में कोई ध्यान नहीं देता था. 2024 में देखिए मोदी जी 350 से ज्यादा सीटों के साथ वापस आ रहे हैं.
[ये आर्टिकल निजी विचारों पर आधारित है.]