भारत की विदेश नीति में इस वक्त पूर्ववर्ती सरकारों की तुलना में काफी बदलाव आया है. किसी देश की एक नीति होती है कि आपकी दुनियाभर में आखिर इमेज क्या है, आपकी लीडरशिप की दुनिया में क्या इमेज है? हाल में जब संयुक्त राष्ट्र संघ में इस बात पर वोट किया जा रहा था कि इजरायल-हमास जंग में सीजफायर होना चाहिए या नहीं, लड़ाई बंद होनी चाहिए या नहीं तो इस पर वोटिंग के दौरान भारत ने एब्स्टेन किया था. 


स्वभाविक तौर पर दुनिया में ये एक बहुत बड़ा शिफ्ट है कि आप शांति के पक्ष में नहीं हैं, और हम ये कहते हैं कि हम शांति प्रिय देश हैं. दुनिया में शांति का संदेश भारत से ही फैला है. महात्मा बुद्ध से लेकर और जो भी हमारे बुजुर्ग हुए हैं, बड़ी-बड़ी हस्तियां इस देश में हुई हैं. स्वभाविक रुप से महात्मा गांधी तक हमलोगों ने दुनियाभर में शांति का संदेश दिया है, लेकिन अब भारत ने इजरायल-हमास जंग में अपनी नीति के साथ समझौता किया.


भारत दुनिया का सबसे बड़ा 'जनतंत्र'


आपकी लीडरशिप पर अगर दुनिया को विश्वास है तो उसको स्वीकार किया जाता है. भारत दुनिया का सबसे बड़ा जनतंत्र है. हमसे बड़ा कोई देश नहीं है और 75 सालों से जिसका संविधान बना हुआ है, उस संविधान का पालन किया जा रहा है.


ये बात ठीक है कि वर्तमान सरकार ने कुछ तोड़ने मरोड़ने की कोशिशें की है, हम ये देश के अंदर के लोग समझते हैं.  लेकिन जो बाहर के लोग हैं, वो आज भी ऐसा कर रहे हैं. दूसरा मामला अगर देखें तो कनाडा ने आतंकी निज्जर की हत्या में हमारे ऊपर बड़ा आरोप लगा दिया.



कनाडा की तरफ से लगाए गए आरोपों पर केन्द्र सरकार को बिल्कुल स्पष्ट रुप से कहना चाहिए था. हालांकि अभी मोदी सरकार की तरफ से ये बातें कही गई है, लेकिन वो बातें पहले कही जानी चाहिए थी कि ये गलत बोल रहे हैं, भारत इस तरह का काम नहीं करता है. अगर आपके पास निज्जर की हत्या से जुड़ा कोई सबूत है तो उसे दीजिए.


भारत को देना चाहिए था करारा जवाब


कनाडा की तरफ से ये आरोप किसी और ने नहीं बल्कि वहां के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने लगाया था. उसी दिन भारत को ये साफ कहना चाहिए था कि ये गलत बात है, अगर कुछ सबूत है तो उसे भारत को मुहैया कराइये, जो कुछ दिन पहले हमारे विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ये बातें कही हैं.



 ये ऑथरिटी होनी चाहिए कि दुनिया में अगर कोई भी आपको गलत काम के बारे में कहे तो आप कड़ाई से उसका विरोध करिए. क्योंकि भारत की कभी ऐसी नीति नहीं रही है. इससे पहले चीन के साथ डोकलाम वाला मामला हुआ था. हम अपने स्टैंड पर टिके रहे. लेकिन, अभी जो चीन एलएसी के पास इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने, गांव को डेवलप करने का काम कर रहा है, उस पर हम चुप्पी साधकर बैठे हुए हैं.


हम चीन के मुद्दे पर कुछ भी नहीं बोल रहे हैं, और कह रहे हैं कि न कोई आया हुआ है और न कोई आया हुआ था. हमारे 20 से 25 सैनिक एलएसी पर शहीद हो गए. अरुणाचल प्रदेश पर तो चीन अपना दावा ही कर रहा है. एक या दो नहीं कई बार चीन ने अरुणाचल प्रदेश का नक्शा बदलकर वहां की जगहों का नाम बदलने की कोशिश की और एक नया नाम देने की कोशिश की.


चीन पर भी भारत ने साधी चुप्पी


हम ये समझते हैं कि भारत सरकार को ठीक से आकलन करना चाहिए और भारत की जो छवि एक शांति प्रिय देश की थी, भारत की ऐसी छवि को दुनिया में अगर कहीं कुछ हो तो भारत की तरफ से लोग उम्मीद की नजर से देखें, कि वो अपने जनतंत्र की ताकत की बदौलत और जो शांति का संदेश भारत ने दिया है, उसकी बदौलत विश्व में तमाम जगहों पर शांति बनाने के लिए अपना आकार, इतनी बड़ी जनसंख्या है, दुनिया की सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश है भारत... इसका फायदा उठाकर और भारत की प्रति जो दुनियाभर में सम्मान है, उसे बरकरार रखते हुए, पहल करनी चाहिए.




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